जगदीश जी अपने बेटे की हरकतों से परेशान हो गए थे।आए दिन उसकी शिकायतें मिलती रहती थी परेशान हो गए थे वो अपने बेटे से ।कारण था घर में अच्छा खासा पैसा था और जगदीश जी की पत्नी निर्मला जी बेटे के हाथ में खूब पैसा देती रहती थी जिसकी वजह से बेटा थोड़ा सा खर्ची हो गया था वो खूब पैसा दोस्तों के साथ उड़ाया करता था। पढ़ाई लिखाई में तो उसका मन लगता नहीं था ।बेटे को पता था कि क्या होगा पढ़-लिख कर घर मैं पैसा तो है ही नहीं पढ़ा तो बिजनेस तो है वहीं करूंगा ।बेटे (राजीव) के दोस्तों को भी पता था कि इसके पास तो खूब पैसा है खर्च कराओ अच्छे से।
इस साल राजीव का हाई स्कूल के बोर्ड एक्जाम थे स्कूल में हाजिरी कम होने की वजह से उसे स्कूल में परीक्षा में बैठने से प्रिंसिपल ने मना कर दिया तो राजीव को प्राइवेट फार्म भरवाए गए । राजीव का सेंटर प्राइवेट होने की वजह से उसका सेंटर शहर से दूर बींस किलोमीटर दूर पर था । अभी उसके पास साइकिल थी क्योंकि गाड़ी वो अभी चला नहीं पाता था । साइकिल से उस दिन वो पेपर देने गया तो शाम तक नहीं लौटा घर में सबको चिंता होने लगी । फिर काफी शाम होने पर घर में किसी ने खबर दी कि आपके बेटे को कुछ लोगों ने पकड़ रखा है और उसकी साइकिल भी पंचर कर दी है पचास हजार रूपए मांग रहे हैं फिर छोड़ेंगे उसे ।
दरअसल की दिनों से राजीव का एक दोस्त राजीव से पच्चीस हजार रुपए मांग रहा था उसे बाइक खरीदनी थी उसमें लगाने के लिए लेकिन राजीव नहीं दे रहा था तो सभी दोस्तों ने मिलकर प्लान बनाया कि राजीव को कहीं दूर ले जाकर उसकी साइकिल पंचर कर दे और घर से पैसे मंगवाए फिर हम सब लोग मौज करेंगे ।
जब घर में खबर आई तो जगदीश जी परेशान हो गए किसी तरह पैसे देकर बेटे को वापस लाए । फिर तो आए दिन ऐसी वारदातें होती रहती और पैसे की मांग होती रहती। जगदीश जी बहुत परेशान थे कि क्या करें क्या न करें किसी तरह राजीव इंटर कर लें तो उसे कहीं बाहर भेज दें । यही सोच रहे थे ।
आ ज इंटर का रिजल्ट आया बस मार्जिन से पास हो गया था राजीव । जगदीश जी की बहन झांसी में रहती थी सो जगदीश जी ने राजीव को उनके पास भेजने का मन बना लिया । हालांकि जो अपने घर में मां बाप के सामने रहकर नहीं पढ़ सकता वो किसी दूसरे के घर रहकर क्या ही पढ़ेगा। मां बाप तो थोड़ा डांट फटकार भी सकते हैं दूसरे लोग तो वो भी नहीं कर सकते।
फिलहाल जगदीश जी बेटे को लेकर झांसी आ गए ।बहन दो कमरों के छोटे से मकान में किराए के घर में रहती थी ।और उनके दो छोटे बच्चे थे और उनकी सास भी साथ में रहती थी।बहन ने कहा भी कि भाई हमारे घर में जगह नहीं है और फिर यहां राजीव के लिए अनजानी सी जगह है ये एरिया तो आपके यहां से भी खराब है कैसे रहेगा। लेकिन जगदीश जी नहीं माने बोले अरे यही कहीं एक कोने में पड़ा रहेगा । हमारे शहर में इसकी जान को भी खतरा है।रोज पैसे के लिए धमकियां मिलती रहती है । यहां पर इसको तुम कंट्रोल में रखना ज्यादा पैसे वैसे मत देना बस आने जाने का पैसा देना ।बहन का मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन भाई का मुंह देखकर रखना पड़ा ।और जगदीश जी राजीव को छोड़कर चले गए।
बहन रोज राजीव को बीस रूपए देती आने जाने को ।एक हफ्ता तो ठीक था फिर एक दिन बहन (ममता) राजीव का पैंट धोने लगी तो उसमें से हजार रूपए निकले वो देखकर दंग रह गई राजीव से पूछा इतने पैसे तुम्हारे पास कहां से आए तो राजीव बोला मम्मी ने दिए थे ।आब बताओ मां बाप ही जब बेटे को सुधरने देना नहीं चाहते तो दूसरा क्या करेगा ।
फिर एक दिन ममता के पति ने राजीव को बाजार में सिगरेट पीते देखा और बताया कि कुछ पुड़िया से निकाल कर सिगरेट में डाल रहा था तो ममता के ऊपर घड़ों पानी गिर गया ।जब ममता ने डांटा तो वो बुआ का घर छोड़कर कहीं और रहने लगा वहां कुछ लड़के रहते थे उनके साथ रहने लगा । बाद में पता लगा कि राजीव ड्रग्स लेता था । फिर क्या था बुआ के घर से दूर जाकर तो उसे और भी आजादी मिल गई ।जो बच्चे बिगड़ जाते हैं वो फिर कही भी जाकर सुधर नहीं पाते हैं । अपना भार किसी दूसरे पर मत थोपे ।और राजीव आजतक बिगड़ा हुआ ही है । कभी सुधर नहीं सकता ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश