नेलपॉलिश बनाम लिपस्टिक – उमा महाजन  : Moral Stories in Hindi

  रमा जी ने किचन का सारा काम समेटा और बैड रूम में आईं। बिस्तर पर बैठकर जैसे ही उन्होंने अपनी रजाई खोली कि उनके दाहिने हाथ की एक उंगली के नाखून में रजाई के गरम गिलाफ का एक हिस्सा फँस गया। मुँह से ‘उफ्फ़’ की आवाज निकालते हुए उन्होंने बड़ी सावधानी से उसे निकालकर अपने नाखून को सहलाया। 

   दरअसल सुबह न जाने कैसे उनके इस नाखून के किनारे में एक कट लग गया था।कट ऐसे स्थान पर था जिसे नाखून काट कर निकाला नहीं जा सकता था और दिन में भी यह कई बार उनके कपड़ों और बालों में फंसकर उन्हें तकलीफ पहुँचा चुका था। अतः इस वक्त उन्होंने इस पर अपनी नेलपॉलिश की दो-तीन परतें चढ़ा लेने का विचार किया, लेकिन इतनी ठंड में उनका पुनः बिस्तर से निकलने का मन नहीं हो रहा था। 

       ठीक इसी समय उनके पति ने कमरे में प्रवेश किया। रमा जी ने उनसे अनुरोध किया, ‘प्लीज! मेरे मेकअप ड्राअर से मुझे मेरी एक नेलपॉलिश पकड़ा दें।’ सर्दी से बचने के लिए वे भी तुरंत अपनी रजाई में घुसने की मंशा से ही कमरे में आए थे । सो, रमाजी की समस्या से बिल्कुल अनजान तंज भरे लहजे में ‘अब इस रात में मेकअप करके तुम्हें कौन सी पार्टी में जाना है ?’ कहते- कहते ही उन्होंने ड्राअर में से एक लिपस्टिक निकालकर पत्नी के आगे कर दी, ‘यह लो।’ इस समय रमा जी का ध्यान अपने कट लगे नाखून पर था, लेकिन पति की आवाज सुनकर आँखें ऊपर उठाते ही वे चौंक गईं, ‘मैंने नेलपॉलिश मांगी है, लिपस्टिक नहीं।’ रजाई में घुसने को उतावले पति महोदय थोड़ा सकपकाकर फिर ड्राअर की तरफ मुड़े, लेकिन अब देखने लायक दृश्य था। कभी वे उनकी लिपस्टिक की अलग तरह की दूसरी पैकिंग उठाकर देने लगते और रमाजी के इशारा करते हुए ‘यह नहीं वह’ कहते ही कभी फाउंडेशन की छोटी पैकिंग तथा कभी लिक्विड सिंदूर की पैकिंग उठाकर देने लगते। इस बीच दोनों का ही धैर्य जवाब दे चुका था और जब उन्होंने खीझते हुए ‘कहाँ फँसा दिया मुझे’ कहकर बच्चों की नजर से बचाकर ड्राअर में ही बिल्कुल पीछे की ओर छिपाकर रखे सफेद ड्राइंग पेंट की शीशी ही देनी चाहिए तो रमा जी फट पड़ीं, ‘विवाह के पश्चात् 35 साल से आपके साथ रह रही हूँ,किंतु अब तक आपको मेरी लिपस्टिक,नेलपॉलिश,   लिक्विड बिंदी और यहाँ तक कि सफेेद  पेंट तक का अंतर समझ नहीं आया।चलिए हटिए ! मैं खुद ले लेती हूँ।’ 

  इस बीच उनकी नोकझोंक सुनकर उनकी 14 वर्षीय पोती उनके कमरे में आ चुकी थी ,’दादी क्या हुआ ? आप दादू पर क्यों गुस्सा कर रही हैं ?’और फिर अपनी दादी से सारा माजरा सुनते ही वह खिलखिला पड़ी, ‘दादू ! क्या सचमुच आपको इन सबका अंतर समझ नहीं आता ? कहीं दादी को शापिंग करवाने से बचने के लिए ही तो आप ऐसी ऐक्टिंग नहीं कर रहे हैं ?’ 

    फिर वह अपनी दादी की तरफ पलटकर बोली, ‘लेकिन दादी आप तो हमेशा ही टिपटॉप रहती हैं। इस संबंध में अपनी सर्विस के दौरान के कितने ही किस्से आप हमें सुनाया करती हैं। आपके पास तो अपने कॉस्मेटिक्स का भी ढेर सारा कलेक्शन है और मेरे पापा को भी इन सबकी खूब जानकारी है। वे और ममा हमेशा साथ-साथ ही शापिंग करते हैं। क्या आप दादू संग शापिंग नहीं करती थीं?’ फिर, कुछ याद करके पुनः बोली, ‘ओह! तो इसीलिए आप अब मेरे साथ शापिंग करने जाती हैं। तब तो आपको दादू पर बहुत गुस्सा आता होगा और झगड़ा भी खूब होता होगा ?’ 

   पोती की चुहल पर रमाजी मुस्कुरा कर बोलीं, ‘अरे ठहर तो सही ! इतने प्रश्न एक साथ ! शताब्दी की तरह भाग रही है।और सुन शापिंग के लिए दादू के साथ मेरा झगड़ा क्यों होगा ? दादू ने कभी मेरी शापिंग, न केवल कॉस्मेटिक अपितु घर की किसी भी तरह की वस्तु की शापिंग में रुचि चाहे न दिखाई हो, लेकिन आज तक कभी मुझसे इसका हिसाब-किताब भी नहीं लिया। कभी- कभी समय मिलने पर वे मेरे संग भी चले जाते थे। हां,यह अलग बात थी कि वे ‘साइलैंट पार्टनर’ की तरह एक तरफ खड़े रहते और मैं अपने मन मुताबिक अपनी खरीददारी कर लेती। फिर धीरे-धीरे उनकी व्यस्तता और शापिंग में अरुचि के चलते मैंने तुम्हारे पापा और तुम्हारी बुआ के संग शापिंग करना शुरु कर लिया।’

  अपनी पोती को बड़े ध्यान से सुनते देखकर वे हँसते हुए पुन: बोलीं, ‘दरअसल तुम्हें और तुम्हारी ममा को तो मेरा शुक्रगुज़ार होना चाहिए क्योंकि तुम्हारे पापा को मैंने ही ट्रेंड किया है। एक बात और बेटा, पति-पत्नी का रिश्ता परस्पर प्रेम, विश्वास, सहयोग, समझौते एवं मन से जुड़ा होता है, शापिंग जैसी पतली और कमजोर डोर से नहीं जो चटक जाए।’ 

    फिर,कनखियों से निकट रजाई में बैठे पति को अपनी क्षणिक प्रशंसा से ही मुस्कुराते देखकर वे पोती के कान में फुसफुसाते हुए बोलीं, ‘वैसे तुम्हारे दादू को सूखा सिंदूर बहुत पसंद है और मेरे सौंदर्य प्रसाधनों के नाम पर मेरे लिए केवल एक बार उन्होंने अपने असम के दौरे पर ‘माँ कामाख्या’ का सिंदूर अवश्य खरीदा था।’ 

           और पति महोदय को संशय में छोड़ते हुए रमा जी फिर खिलखिला कर हँस पड़ीं। दादी- पोती की खिलखिलाहट से माहौल भी खिलखिला उठा।

उमा महाजन 

कपूरथला 

पंजाब।

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