माई ग्रेट मदर    -प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

“सुनंदा को अपनी खूबसूरती और अपने पैसो पर बहुत घमंड था। उसके आलिशान बंगले मे सिर्फ उसी की चलती थी।”

सुनंदा के पति राघव और बेटे प्रांजल को उसकी लाइफ स्टाइल बिल्कुल भी पसंद नही थी। सुनंदा हमेशा अपनी चापलूस सहेलियों से घिरी रहती थी। उसका  अधिकतर समय पार्टी व शापिंग मे ही गुजरता था।

प्रांजल अपने पिता राघव की तरह ही सरल व्यक्तित्व का धनी था। प्रांजल ने एम बी ए करके अपने पिता का अम्पायर संभाल लिया। पिता पुत्र एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते थे और एक दूसरे का भरपूर सहयोग करते थे।

प्रांजल अंजली से प्यार करता था जो सभ्य सुशील संस्कारी तथा साधारण परिवार से थी। अंजली मृदु भाषी थी और दिखावे की दुनिया से दूर सरल जीवन जीना पसंद करती थी। अंजली को घर की साज सज्जा और पढ़ने लिखने का बेहद शौक था।

प्रांजल जानता था माॅ॑ अंजली को कभी पसंद नही करेगी। इसलिए उसने पिता की इजाजत लेकर अंजली से कोर्ट मैरिज कर लिया। कोर्ट मैरिज करने के बाद  प्रांजल माॅ॑ से आशीर्वाद लेने के लिए अंजली को घर लेकर आया। सुनंदा क्रोध से आग बबूला हो गई परन्तु उसने अपने क्रोध को दबा लिया। वो जानती थी यदि इस समय उसने बेटे का विरोध किया तो बेटा हाथ से निकल जाएगा…फिर इतना बड़ा अम्पायर कौन संभालेगा?

सुनंदा ने बेमन से बेटा बहू को आशीर्वाद दिया। उसकी नजर मे अंजली गरीब और गॅ॑वार लड़की थी…इसलिए सुनंदा अंजली की बिल्कुल भी इज्जत नही करती थी,




हर समय अंजली को नीचा दिखाती रहती थी। सुनंदा के लिए उसका पैसा और उसकी सहेलियां ही सब कुछ थी।

अंजली सुनंदा के स्वभाव को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह उनकी किसी भी बात कही बुरा नही मानती थी।

“जहां सुनंदा अपनी चाटूकार सहेलियों से गप्पे लड़ाने मे व्यस्त रहती थी वहीं अंजली अपनी घर गृहस्थी की देखभाल और पढ़ने लिखने के शौक पूरे करती थी।”

एक दिन सुनंदा देर रात पार्टी करके निकल रही थी तभी तेज रफ़्तार से आती कार ने सुनंदा की कार को ठोकर मारी जिससे उसकी कार क्षतिग्रस्त हो गई और सुनंदा अपना एक पैर गंवा बैठी।

अंजली रात दिन सुनंदा की सेवा मे लगी रही…एक पल के लिए भी उनको अकेला नही छोड़ती थी। ऐसे मे सुनंदा ने महसूस किया कि वे जिन सहेलियों को अपना मानती थी जिनके लिए अपना घर पति बच्चा सब कुछ छोड़कर उनके साथ मस्ती करती थी….आज उनमे से कोई भी दूर-दूर तक नजर नही आ रहा था।

अब सुनंदा को समझ मे आ गया था कि उन्होने अपने पति और बच्चे के साथ कितना बड़ा अन्याय किया है। कितने कीमती और सुनहरे पलों को उन्होने अपने बनावटी और दिखावटी दुनिया के चक्कर मे गंवा दिया है। अपने पति और बच्चे को कभी भी समय नही दिया और आज यही लोग रात दिन मेरी देखभाल मे लगे हैं.. और मेरी ये बहू जिसे मै जाहिल गंवार समझती थी कभी भी इज्जत नही दिया…वही मेरी जी जान से सेवा कर रही है। यही सब सोचते सोचते सुनंदा के कोरो से आॅ॑सू लुढ़कने लगे। बगल मे बैठी अंजली ने सुनंदा के कोरो से निकलते आॅ॑सूओं को देख लिया।अंजली ने सुनंदा के आॅ॑सूओं को पोंछते हुए कहा माॅ॑ आप क्यों रो रही हैं? मत रोइए…सब ठीक हो जाएगा हम सब आपके साथ हैं।




सुनंदा ने हाथ जोड़कर अंजली से माफी मांगी, “अंजली मुझे माफ़ कर दो बेटा मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया है। तुम लोग मेरे अपने थे लेकिन मै उन दोगुले लोगो को ही अपना समझती रही।” 

अंजली ने सुनंदा का हाथ पकड़ लिया और उनके गले लग गई। तभी राघव और प्रांजल आ गए। सास बहू को गले मिलते देख दोनो बहुत खुश हुए।

राघव बोले अरे सास बहू में क्या खिचड़ी पक रही है जरा हमे भी तो पता चले।

सुनंदा ने राघव और प्राजंल से माफी मांगते हुए कहा, “मुझे माफ कर दीजिए…मैने आप दोनो के साथ बहुत गलत किया…मैं अच्छी पत्नी और अच्छी माॅ॑ नही बन पाई। मैने आप लोगो के लिए कुछ भी नही किया… और आप लोग रात दिन मेरी देखभाल में लगे हैं।”

राघव ने मुस्कुराते हुए कहा देर आए दुरुस्त आए,और तुम ये क्यों कहती हो कि तुमने कुछ नही किया? इतना बड़ा अम्पायर तुम्हारी मेहनत और लगन से ही तो खड़ा हुआ है। तुम न होती तो क्या ये अम्पायर होता?

“मैंने डॉ॑क्टर से बात कर लिया है…तुम्हारे कृत्रिम पैर लग जाएगा और तुम फिर से अपने पैरो पर खड़ी हो जाओगी, डोंट वरी।”

“प्रांजल ने कहा माॅ॑ हम आपको कुछ नही होने देंगे 

बिकाज यूं आर माई ग्रेट मदर।”

सुनंदा ने प्रांजल और अंजली को गले से लगा लिया

और कहा तुम्ही लोग मेरी दुनिया हो…लव यू माई चाइल्ड।

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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