मम्मी वक्त के साथ बदल जाने में ही समझदारी है। – दीपा माथुर

शैली मम्मी से जिद्द करती हुई बोली ” प्लीज़ मम्मा अबकी बार भाभी को मैं जो ड्रेस दे रही हूं आप पहनने दीजियेगा।”

आप ही तो कहती थीं ” मेरे मोंटू की शादी होगी तो देखना  उसकी बहू को तुमसे भी अच्छा रखूंगी “

बस दिखावे के लिए क्या?

मम्मी जी आंखों की त्योरियां चढ़ा कर बोलीं ” क्यों क्या सुख नहीं है फ्रिज भरा पड़ा है मिठाइयों से फ्रूट्स से कभी तेरी भाभी का हाथ नहीं पकड़ा ।

जो चाहे वो खाए पर हां,अब घर का इतना काम तो मुझसे नहीं होता तो मदद तो करनी पड़ेगी ना?

वो तो तुम भी करती थी।

शैली मम्मी के पास आकर बैठ गई ” मम्मी जब मैं ससुराल गई थी ना जानती हो मेरी सासूजी ने मुझसे क्या कहा

” देखो शैली बिटिया अब तुम इस घर की लक्ष्मी तो हो पर बेटी भी। इसीलिए मैंने तुम्हारे लिए ये सूट मंगवाए हैं पहन कर देख लो अगर फिट हो और पसंद आ जाएं तो घर में पहन लिया करो ईजी रहा करो आपको पता है

 

वो तो मुझ चुन्नी तक नहीं लगाने देती कहती हैं कोई आ जाए तो लगा लेना ।”

और इसीलिए हम मां बेटी दोनों में खूब जमती है।

आपको पता है हम दोनों तो साथ ही बाजार जाते हैं ।

शॉपिंग करते हैं और मस्त रहते हैं।

कई लोग तो हमें सास बहू की जोड़ी के नाम से जानते हैं।”




मम्मी बिगड़ कर बोलीं ” चलता होगा तुम्हारे ससुराल में मेरी बहू को तो मत बिगाड़ो यहां आस पास अपनी सारी रिश्तेदारी है लोग क्या कहेंगे?

और सुन मुझे कोई कुछ कहेगा तो बर्दाश्त कर लूंगी पर मेरी बहू ( वंदना) को कोई कुछ कह दे वो बर्दाश्त नहीं होगा। इसीलिए सोचती हूं मर्यादा में रहे तो ही ठीक है।”

शैली मम्मी के पास आलती पालती मार कर बैठ गई बोली “मन का फर्क है मम्मी और कुछ नहीं।

सूट में पूरी तरह ढके हुए रहते हैं कुछ संभालना नहीं पड़ता तो आराम से रह लेते हैं काम भी आराम से हो जाता है।

आप सोचो मम्मी जब आप नानी के घर से यहां आई थीं कितनी परेशान होती थीं और इसीलिए बार बार नानी के पास जाने की इच्छा होती होगी कि जरा तो आराम मिले

क्यों?

मम्मी अपने कपड़े समेटते हुए बोलीं ” हां तो वो तो सबकी ही होती है “

“आपको दादी जी घूंघट के लिए ताने भी देती होंगी “शैली ने दूसरा सवाल दागा।

मम्मी ” हां बड़ी बेकार थीं, अरे बिल्कुल चैन नहीं लेने देती थीं। सिर पर से रसोई में भी थोड़ा सा पल्ला क्या हट जाता हाय तौबा मचा देती थीं फिर तुम्हारे पापा चिल्लाते थे कि तुम मम्मी का कहना नहीं मानती हो तुझे क्या बताऊं हमने तो बहुत दुख पाए हैं।”

 

शैली बोली ” हां फिर भी आपने घूंघट प्रथा तो बंद कर ही दी थी है ना ? तभी तो चाचियां आपके गुण गाते नहीं थकती हैं। “

मम्मी के चेहरे पर विजय गर्व से झलकने लगा।

और क्या ?

मैं तो परेशान हुई जो हुई इन छोरियों को नहीं होने दिया।

शैली बोली ” मम्मी आपने अपने समय का एक बड़ा परिवर्तन कर दिया “




आज का वक्त भी थोड़ा परिवर्तन चाहता है ।

मम्मी वक्त के साथ बदलना जरूरी है।

 

अगर आप मां का संपूर्ण एहसास भाभी को होने दोगी ना तो वो अपने मायके जाना भी भूल जाएंगी।

प्लीज़ बस थोड़ा सा…”

अच्छा बाबा अच्छा जा ले जा तेरी भाभी को और दिला ला सूट । वो भी आराम से रह लेंगी।

शैली खुशी से झूम उठी।

शाम होते ही भाभी को स्कूटी पर बिठा कर सूट दिला लाई।

और घर आते ही मम्मी को दिखाने लगी।

मम्मी बोलीं ” अरे इसके पसंद के लाई है तो कह दे पहन कर दिखाएं?”

शैली ने मम्मी के हाथ में सूट दिया और बोली मम्मी ये काम आप करो अच्छा लगेगा भाभी भी खुश हो जाएंगी।

और याद रहे भाभी खुश रहेंगी तभी भैया खुश रहेंगे ।

तो अब आपकी जिम्मेदारी है आप भाभी का बिल्कुल मेरी तरह ध्यान रखेंगी।

हां,हां कोशिश करूंगी।

ला अब सूट दे दे जो बहू को दे आऊं।

शैली से सूट लेकर मम्मी ने वंदना को दिया बदले में वंदना ने एक पैकेट मम्मी को पकड़ा दिया और बोली ” मम्मी जी अभी पहनिएगा।”

मम्मी चौंक कर बोली ” क्या है इसमें?

 

वंदना ;” वो मम्मी जी पापा जी ने कहा है दो तीन सूट मम्मी के लिए भी ले आना।”




पागल हो गई हो क्या मैं इस उम्र में सूट पहनूंगी।

मम्मी जी प्लीज़ एक बार पहन कर तो देखिए अच्छा लगेगा।

तभी शैली अपने पापा को वहां ले आई और पापा को इशारा कर मम्मी से सूट पहनने को प्रेरित करने को कहा।

पापाजी बोले ” अरे शैली की मम्मी अब जमाना बदल गया है तो तुम भी बदलने की कोशिश करो भई।

चलो दोनों सास बहू की जोड़ी सूट पहनो और ईज़ी रहो।

मम्मी ने शरमाते शरमाते सूट पहना।

एक दिन अखरा।

पर फिर इतना ईज़ी फील करने लगीं कि साड़ी पहनने का मन ही नहीं होता था।

कभी कभी पापा जी छेड़ देते थे ” अरी भगवान या तो बहू भी सूट नहीं पहन सकती थी और अब तुम भी कभी साड़ी नहीं पहनती।”

मम्मी तपाक से जवाब देतीं ” हां,तो हम मां बेटी का आराम देख क्यों जलते हो।”

अब हमारी भी जोड़ी बन गई है क्यों?

पापाजी मुस्कुरा दिए मानो कह रहे हो युगों युगों तक ये जोड़ी ऐसी ही बनी रहे।

सच सखियों हर पीढ़ी में परिवर्तन आता है परिवर्तन होना भी चाहिए उसके लिए एक दूसरे की मदद भी जरूरी होती है।

बस ख्याल रहे  बड़े बुजुर्गो का सम्मान और मर्यादा बनी रहे।

#वक्त 

दीपा माथुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!