मिट्टी के खिलौना

मुगल सम्राट अकबर को अपनी बैठक खाने में तरह-तरह के खिलौने रखने का बहुत ही शौक था उनके बैठक खाने में एक से एक तरह के खिलौने उपलब्ध थे हर खिलौने की अपनी एक खासियत होती थी.

1 दिन सम्राट अकबर का दरबार सजा हुआ था तभी दरबार में उनका खास मंत्री बीरबल प्रवेश किए और उन्होंने बोला कि महाराज बाहर एक खिलौने वाला आया है और  और उसके पास तीन तरह के मिट्टी की आदमीनुमा खिलौना है। देखने में यह खिलौने बहुत ही आकर्षक और सुंदर लग रहे थे लेकिन जब मैंने उससे उसको खरीदना चाहा तो खिलौने वालों ने तीनों खिलौने के अलग-अलग मूल्य बताएं जबकि तीनों खिलौने देखने में एक जैसे ही हैं।

 पहले खिलौने का मूल्य उसने सौ स्वर्ण मुद्राएं बताया और दूसरे का 50 स्वर्ण मुद्रा और तीसरे का उसने बताया कि इस की कोई कीमत नहीं है अगर आप यह दोनों खिलौने खरीद लेंगे तो यह आपको हम मुफ्त में दे देंगे।



बीरबल बोले “महाराज अब मुझे समझ नहीं आ रहा है  कि मैं उस खिलौने का क्या मूल्य दूं जबकि देखने में तो तीनों खिलौने एक जैसे ही है”।

सम्राट अकबर ने बीरबल से कहा कि ऐसा करो तुम खिलौने वाले वह अंदर दरबार में लेकर आओ अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।  सम्राट अकबर ने कहा कि वह खिलौने वाले तुम यह बताओ कि आखिर यह खिलौने तीनों देखने में तो एक जैसे ही है लेकिन तुमने इनकी कीमत अलग-अलग क्यों रखी है और एक की कीमत तुम ने इन दोनों को खरीदने के साथ  मुफ्त में क्यों दे रहे हो।

खिलौने वालों ने बोला महाराज अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं इन खिलौनों के बारे में बताओ किया खिलौना क्यों इतनी कीमती है एक खिलौना क्यों बिलकुल ही  मूल्यहीन है।

सम्राट अकबर बोले ठीक है तुम हमें बताओ कि या तुम्हारे मिट्टी के खिलौने का रहस्य क्या है सब लोग ऐसे देखने को आतुर थे।

खिलौने वाला ने अपने थैले से एक रस्सी निकाला और वह रस्सी खिलौने के कान में डालना शुरू किया तो क्या देखता है यह राशि खिलौने के दूसरे कान से बाहर आ गई।

वैसे ही दूसरा खिलौना के कान मे रस्सी डाला तो पेट मे रस्सी चला गया।  

अब तीसरी खिलौने को दिखाने की बारी था  खिलौने वाले ने तीसरा खिलौने के कान में भी रस्सी डाला तो यह रस्सी खिलौने के मुंह से बाहर आ गया।



लेकिन अभी भी सम्राट अकबर इस रहस्य को समझ नहीं पाए थे ले।   लेकिन बीरबल इस रहस्य को समझ गए थे और मंद मंद खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे अकबर ने कहा लगता है बीरबल तुम्हें इसका रहस्य पता चल गया है अब मुझे और सब को इस खिलौने के रहस्य के बारे में बताओ।

बीरबल ने कहा महाराज पहले खिलौने का आशय यह है कुछ लोग हमेशा अपनी धुन में रहते हैं किसी की बातों से उन्हें कोई भी फर्क नहीं पड़ता है उन्हें हमेशा अपने वाहवाही लूटने में मजा आता है ऐसे लोग वैसे तो किसी को हानि नहीं पहुंचाते इसीलिए इस पुतले की कीमत हमने सिर्फ 50 स्वर्ण मुद्राएं रखी है।

दूसरी खिलौने से आशय यह है इस तरह के लोग बहुत ज्यादा ही चरित्रवान और गंभीर होते हैं वह अपने किसी बात पर तभी राय जाहिर करते हैं जब तक उस बात का उन्हें पूरी तरह से ज्ञान ना हो

महाराज तीसरे खिलौने से यह आशा है कि इस तरह के लोग अच्छे नहीं होते हैं यह अपने कान और पेट दोनों से हल के होते हैं इन्हें कोई बात पता चलनी चाहिए सिर और शोर मचाने में इन्हें ज्यादा समय नहीं लगता है।

तो दोस्तों उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आई होगी।

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