मेरी हार हुई है या जीत – के कामेश्वरी

अपूर्वा एम सी ए की फ़ीस जमा करने के लिए ऑफिस के पास खड़ी थी । उसी समय एक लड़की पीछे से आई और अपूर्वा से पूछा कि एम सी ए की फ़ीस यहीं पर जमा कराना है क्या ।अपूर्वा ने पीछे मुड़कर देखा तो एक सीधी सादी गँवार टाइप की लड़की खड़ी हुई दिखी थी । अपूर्वा ने हाँ में सर हिला दिया और अपनी फ़ीस जमा कराने लगी । जैसे ही उसका काम ख़त्म हो गया वह वहाँ से चली गई जाते समय उसने उस लड़की को देखा वह कॉटन का सलवार सूट पहनी थी लंबे बालों को टाइट चोटी बना लिया था । उसे देख कर भी अनदेखा करके अपूर्वा अपनी कार की तरफ़ बढ़ गई ।

दूसरे दिन सुबह अपूर्वा कॉलेज पहुँची और अपने क्लास में जाकर बैठ गई । फोफेसर क्लास में पहुँच गए थे और उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया था तभी “ मैं अंदर आ सकती हूँ” एक आवाज़ सुनाई दी सबकी नज़र दरवाज़े की तरफ़ उठी और दरवाज़े पर देखा वही लड़की थी सेम कॉटन सलवार सूट में थी । ! सर ने कहा —कमिन …. वह सीधे अपूर्वा के साथ की सीट पर बैठ गई । अपूर्वा को ग़ुस्सा आया परंतु क्लास के बीच में वह मना भी नहीं कर सकती थी ।

क्लास ख़त्म हो जाने के बाद सर ने सबको अपना परिचय देने के लिए कहा—- तब अपूर्वा ने बताया कि उसके पिता बैंक में रीजनल मैनेजर हैं । माता-पिता की अकेली संतान है । सर ने उस लड़की से भी पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम मैथिली है और वह एक किसान की बेटी है गाँव से आई है । उसे अंग्रेज़ी में बात करना भी नहीं आ रहा था । परंतु पहले सेमेस्टर के ख़त्म होते ही उसने फ़र्राटे से अंग्रेज़ी बोलना सीख लिया था । और फ़र्स्ट सेमेस्टर में उसने कॉलेज में टॉप किया । इस तरह टॉप करते करते लास्ट सेमेस्टर तक पहुँच गई । कॉलेज के सभी फोफेसर उसे चाहने लगे । अपूर्वा ने बहुत कोशिश की थी कि उसे मैथिली से अधिक नंबर मिले परंतु फायनल रिज़ल्ट में अपूर्वा को मैथिली से दो नंबर कम मिले । इस तरह मैथिली कॉलेज की टॉपर बन गई । दोनों को ही कैंपस सेलेक्शन में बड़ी कंपनियों में नौकरी मिली । उसके बाद दोनों अपने अपने घर चले गए थे । उसके बाद दोनों की कभी मुलाक़ात नहीं हुई थी ।

अपूर्वा की शादी हो गई थी वह कंपनी में बहुत बड़े ओहदे पर कार्यरत थी । उसके पति भी मलटीनेशनल कंपनी में डायरेक्टर थे ।उनके दो प्यारे बच्चे थे । वे अपना समय बच्चों को नहीं दे पाते थे क्योंकि हमेशा वे दोनों टूर्स पर जाते थे इसलिए अपने बच्चों को उन्होंने बहुत बड़े स्कूल के होस्टल में रख दिया था । बच्चे भी खुश थे । उन्हें छुट्टियों में घर आना अच्छा लगता था ।



इधर मैथिली की भी शादी हो गई थी । उसके पति की अपनी कंपनी थी जो अच्छे से चल रही थी और मैथिली भी तो नौकरी कर रही थी । मैथिली ने अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद अपनी नौकरी छोड़ दी और बच्चे की देख रेख में लग गई थी । मैथिली ने दो साल बाद एक सुंदर सी लड़की को जन्म दिया था । अब उसके दो बच्चे हो गए थे । उनकी देख रेख उनकी पढ़ाई में वह इतनी व्यस्त हो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला कि उसने इतने साल कैसे बिताए । बेटी ग्यारहवीं में थी और बेटा नवीं में था।  वे अपनी पढ़ाई खुद कर लेते थे । अब मैथिली को थोड़ा समय मिल जाता था । इसलिए उसने अपने पास पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी और एन जी ओ में सोशल वर्क भी करने लगी थी । उसके विचार में पैसों के पीछे नहीं भागना चाहिए। पैसों की जितनी ज़रूरत है उतना है तो बस है । इस तरह वह अपनी ज़िंदगी ख़ुशी ख़ुशी से जी रही थी ।

अपूर्वा को ऑफिस के काम से अमेरिका जाना था। उसके लिए उसे शापिंग करनी थी । अपने व्यस्त जीवन से उसने कुछ पल निकाले और मॉल में पहुँच गई थी । देखा वहाँ बहुत भीड़ जमा थी लोग किसी से बातें कर रहे थे । अपूर्वा भी देखना चाह रही थी कि आख़िर यह हस्ती कौन है जो इतने लोगों के बीच घिरी हुई है । अपूर्वा कोशिश कर रही थी कि किसी तरह वह दिख जाए तभी उसकी एक झलक उसे देखने को मिली

ओहो ! वह सोचने लगी कि मैं शायद इसे जानती हूँ । अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालकर सोचा तो याद आया कि यह हमारे कॉलेज की टॉपर मैथिली है । जब मैथिली सबसे विदा लेकर जा रही थी तो अपूर्वा ने ज़ोर से पुकारा मैथिली । किसी को अपना नाम पुकारता हुआ सुन मैथिली थोड़ी सी ठिठक कर रुक गई और पीछे मुड़कर देखा । 

दोनों ने एक दूसरे को आश्चर्यचकित होकर देखा—-

पहले अपूर्वा ने ही कहा !मैथिली!  तुम मैथिली ही हो ना …

मैथिली ने भी आश्चर्य से कहा अपूर्वा….



दोनों ने एक दूसरे को पहचानते हुए कहा- बहुत दिनों बाद मिले हम दोनों कहाँ रहती है मैथिली?

मैथिली ने कहा —अगर तुम जल्दी में नहीं हो तो हम फुडकोर्ट में बैठकर चाय पीते हुए बातें करेंगे ।

अपूर्वा को घर जाना तो था परंतु उसे यह भी जानना था कि आख़िर यह कॉलेज की टॉपर के क्या हाल-चाल हैं। यह क्या कर रही है? अपनी जिज्ञासा को न रोक सकने के कारण उसने कहा —-हाँ हाँ क्यों नहीं चलो सालों बाद मिले हैं बातें करते हैं । अपूर्वा ने मैथिली के साथ जाते हुए ही ड्राइवर से फ़ोन पर कह दिया था कि वह जब फ़ोन करेगी तब सामान लेने आ जाना । दोनों फुडकोर्ट में जाकर बैठ गए । कॉफी का आर्डर दे दिया । अपूर्वा ने ही बात शुरू की और बताने लगी कि वह एक बहुत बड़े कंपनी में काम करती है।  उसके पति कंपनी में डायरेक्टर के पद पर हैं और बच्चे हॉस्टल में रहते हैं क्योंकि दोनों को अपने बच्चों की देख-रेख का समय नहीं मिलता है । उनकी पढ़ाई में ख़लल न पड़े इसीलिए बड़े से स्कूल के हॉस्टल में रहने को भेज दिया है ।

अपूर्वा ने कहा —- चलो मैथिली अब अपने बारे में बता दे तुम तो अपने कॉलेज की टॉपर थी न।किसी बड़ी कंपनी में बहुत बड़े पोस्ट पर होगी न । बता न इतना इंतज़ार क्यों करा रही है ।

मैथिली ने कहा— असल में मेरे बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है । हाँ पहले मैं बहुत बड़ी कंपनी में बहुत बड़े पोस्ट पर ही थी । जब बेटा रेहान का जन्म हुआ तब मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी और उसकी देखभाल करने में लग गई थी फिर बेटी आहना का जन्म हुआ तो और भी ज़्यादा व्यस्त हो गई थी । अभी चार साल पहले ही फ्री हुई हूँ । रेहान इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है । आहना नवीं कक्षा में है । पति की अपनी कंपनी है जो अच्छी चल रही है । हम लोगों को आराम से रहने और खाने पीने की दिक़्क़त नहीं होती है बस । वैसे भी अपूर्वा मेरे विचार में पैसे हमारी ज़रूरतों को पूरा करे उतना है तो बस है उसके पीछे अपने परिवार को छोड़कर मेहनत करने का कोई मतलब नहीं है ।



रुको….. मैं अपने बच्चों के फ़ोटो दिखाती हूँ कहते हुए उसे अपनी फेमली फ़ोटो दिखाती है । “सब हँसते हुए ख़ुशी ख़ुशी सुखी परिवार के समान थे फ़ोटोग्राफ़्स में “। और मैं एन जी ओ में लोगों की मदद कर देती हूँ बस समय ही नहीं मिलता है और कुछ सोचने के लिए । यहाँ के कर्मचारी मुझे जानते हैं इसलिए अभी मेरे आने पर भीड़ जमा कर लिया था ।

मैथिली ने कहा कि—- अरे अपूर्वा अपनी फेमली फ़ोटो दिखा दे मैं भी तो देखूँ तुम्हारे परिवार को ।

अपूर्वा ने अपने बच्चों और पति की तस्वीरें दिखाई उसमें एक भी तस्वीर में पूरा परिवार नहीं था ।

उसने कहा —- मैथिली हम दोनों बहुत व्यस्त रहते हैं और बच्चे भी एक साथ छुट्टियों में नहीं आते हैं ।कोई न कोई मिस हो ही जाता है । इसलिए पूरे परिवार का एक भी फ़ोटो तुम्हें देखने के लिए नहीं मिलेगा कहकर हँसने लगी ।

मैथिली ने कहा —मैं यही नहीं होने देना चाहती थी अपूर्वा ! पूरा परिवार मिल-जुलकर रहे इससे अच्छी ख़ुशी और क्या हो सकती है । थोड़ी देर दोनों चुप हो गए उनकी चुप्पी तोड़ते हुए वेटर कॉफी लेकर आ गया ।

अपूर्वा चुपचाप कॉफी पी रही थी और सोच रही थी कि मैं मैथिली से कभी भी नहीं जीत सकती हूँ । उसी समय उसे याद आया कि शाम की उसकी फ़्लाइट है । और उसे जल्दी घर पहुँचना है । उसने ड्राइवर को फ़ोन किया कि सामान लेने आ जाए ।

ड्राइवर के पहुँचने तक में दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई दोनों चुपचाप कॉफी पी रही थी । ड्राइवर आया और अपूर्वा के हाथ से सामान लेने लगा तभी उसने मैथिली को देखा और कहा मैथिली मैडम नमस्ते । आप यहाँ?

मैथिली ने कहा कि कैसे हो विकास । मैं यहाँ कुछ ख़रीदने के लिए आई थी। तुम्हारी यह अपूर्वा मैडम मेरी क्लास मेट हैं उसने कहा – अच्छा मैडम । अपूर्वा ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और मैथिली को बॉय बोलते हुए वहाँ से निकल गई ।

उसने कार में बैठते ही ड्राइवर से पूछा कि वह मैथिली को कैसे जानता है तो उसने बताया कि उसकी पत्नी उनके घर काम करती है और उसके बच्चे अच्छा पढ़ते हैं इसलिए मैथिली मैडम ही उनके बच्चों की स्कूल की फ़ीस भी भरती है । बहुत ही अच्छे हैं दोनों पति पत्नी इतना पैसा बड़ा घर सबकुछ है पर दोनों को घमंड नहीं है ।

ड्राइवर से मैथिली की तारीफ़ सुनकर अपूर्वा से बर्दाश्त नहीं हुआ । उसने आगे ड्राइवर से न कुछ पूछा न बात की पर वह

आज भी वह सोचने के लिए मजबूर हो गई थी कि मैथिली से मेरी हार हुई है या मेरी जीत हुई है ।

के कामेश्वरी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!