मेरी बेटी अपनी खुशियों की बलि नहीं चढ़ाएगी –  मनीषा भरतीया

सिम्मी जब तू इतनी सी थी बस पैदा ही हुई थी….तब मैंने तुम्हें अपने हाथ में लेकर अपने आप से वादा किया था….कि मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूंगी….जिस तरह मेरी खुशियों मुझसे छीन ली गई है मैं अपनी बेटी की खुशियों को किसी को छीनने नहीं दूंगी…..

कभी बेटी ,कभी बहन, तो कभी पत्नी बन कर  हर कदम पर मुझे मेरे सपनों को कुचल देने के लिए मजबूर किया गया…… पीहर में बाबूजी की तनख्वाह कम होने की वजह से मेरी पढ़ाई कक्षा 5 में ही रोक दी गई यह कहकर कि मेरे भाई की पढ़ाई ज्यादा जरूरी है….. मुझे पढ़ लिख कर क्या करना है चूल्हा चौका ही तो करना है….. शादी के समय मेरी शादी मुझसे उम्र में 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई . … और जब मैंने विरोध करना चाहा तो मुझसे कहा गया कि लड़के की उम्र नहीं उसकी कमाई देखी जाती है….. एक बार भी मेरी पसंद तक नहीं पूछी गई. …

ससुराल आई तो मेरा पति रात को शराब पी कर आता . …और मुझसे जानवरों की तरह पेश आता जैसे मैं इंसान नहीं शरीर की भूख मिटाने का  सामान हूं…. जब मैंने इसका  विरोध किया तब भी मुझसे यही कहा गया क्या हुआ अगर थोड़ा अय्याश है…तो तुम्हें सहारा  तो दिया है…दो वक्त का खाना देता है…..पहनने के लिए कपड़े देता है और क्या चाहिए….. मैं असहाय कुछ न कर सकी…. क्योंकि मैं तो पढ़ी लिखी भी नहीं थी….. इसलिए अपनी नियति समझकर सबकुछ सहती चली गई….

पर मेरी बच्ची तू बता तेरे दिल में क्या है तुझे अगर ये रिश्ता पसंद नहीं है ….तूं किसी और को चाहती है???तो बेटा मैं तेरी शादी  उससे करवाऊंगी…..ये मेरा वादा है तुझसे….. मेरी बेटी अपनी खुशियों की बली नही चढ़ाएगी….लेकिन तू यूँ बुझी बुझी सी मत रह…




नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं है… मुझे इसमें कोई एतराज नहीं है… कि पापा ने अपने दोस्त के बेटे से मेरी सगाई कर दी है… बस मन में एक ही दुविधा है… कि मैं आज तक उससे मिली ही नही…. बस एक बार मै उससे मिलना चाहती थी… थोड़ा टाइम स्पैंड करना चाहती थी…. ताकि हम दोनों एक दुसरे को समझ सकेंं…..

तू चिंता मत कर बेटा …. मैं कुछ तिकड़म भिडा़कर तुम्हारी और रनवीर की मीटिंग सेट करवाती हूँ…

दूसरे दिन सिम्मी ओ बेटा सिम्मी मैंने रनवीर को परसों यहाँ बुलवा लिया है… क्योंकि तेरे बाबूजी कल तीन दिनों के लिए बाहर जा रहे है…. काम से… तुम दोनों एक दूसरे के साथ वो क्या कहते है…सिनेमा देखने जाओ…. पार्क जाओ…. आपस में बातें करो…. और एक दूसरे को समझो…थैंक्यु माँ कहकर सिम्मी अपने कमरे में चली गयी….

फिर रनवीर आ गया…. और दोनों ने एक दूसरे के साथ टाइम स्पैंड किया…. तो सिम्मी के मन में भी कोई धुक चुक नही थी…. फिर खूब धूमधाम से शादी हो गयी…. और सिम्मी विरेन्द्र सिंह के घर बहू बनकर आ गयी… आज उसकी शादी को एक साल हो गया है… और वो अपने ससुराल में बहुत खुश है… उसका पति रनवीर भी उसे बहुत मानता है….

सिम्मी की माँ ये देखकर बहुत खुश है… कि जो उसके साथ हुआ वो उसकी बेटी के साथ नहीं हुआ…. और इसलिए भी खुश है… कि उसके पति अच्छे पति तो नहीं बन पाए… लेकिन एक अच्छे  पिता होने की जिम्मेदारी बखूबी निभा दी…

दोस्तों हर माँ चाहती है कि उसके बच्चों के साथ हमेशा अच्छा हो…. वो अपने बच्चो पर तकलीफ का एक बादल भी मंडराता हुआ नही देख सकती…. और वो माँ जिसने पैदा होने के बाद से ही दुख झेले हो…. वो फिर अपने बच्चों के लिए ज्यादा फिकरमंद हो जाती है…. जैसा की इस कहानी में सिम्मी की माँ थी….

आपको क्या लगता है… सिम्मी की माँ ने सिम्मी की खुशी के लिए दोनों को आपस में मिलाया क्या वो गलत था… अपने सुझाव मुझे कमेंट के द्वारा मुझे जरूर बताएं…. मेरे लिए आपके सुझाव मायने रखते है….

धन्यवाद🙏

आपकी ब्लॉगर दोस्त

@ मनीषा भरतीया

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