मीठी सी मिट्ठी – लतिका श्रीवास्तव

मम्मा मम्मा…. देखो ना मेरी फ्रेंड ने मुझे ब्लॉक कर दिया अचानक कल तक तो सब ठीक था अभी सुबह मैने देखा तो ब्लॉक!!!!अब मैं क्या करूं आप ही बताओ इससे बात किए बिना मैं एक दिन तो क्या एक घंटे भी मैं नहीं रह सकती ….. अत्यधिक परेशान कुहू के बोलने पर शुभा की समझ आया आज सुबह से कुहू इतनी व्याकुल क्यों है !! उसने ब्रेकफास्ट भी नही किया!!  इतनी बातूनी और हंसमुख बेटी के यूं गुमसुम हो जाने का कारण पता लगने पर शुभा ने पूछ ही लिया ….”ब्लॉक कर दिया!!इसका क्या मतलब हुआ किसने कैसे ब्लॉक कर दिया !!ऐसे कैसे कोई तुम्हे ब्लॉक कर सकता है?….

  “ओफ्फो मम्मा !! आपको इतना भी नहीं मालूम अपनी मम्मी की इतनी बड़ी नासमझी पर खीजते हुए कुहू ने बताया जब कोई किसी से नाराज़ होकर ना ही  बात  करना चाहे और ना ही उसका कॉल रिसीव करना चाहे तो उसका नंबर ब्लॉक कर देता है समझी मम्मा !!! मेरी फ्रेंड सान्या ने मुझे ब्लॉक कर दिया है क्यों किया ये भी नहीं पता!!…कुहू फिर से दुखी हो गई…..पहले तो शुभा को कुहू की बचपने पर हंसी सी आ गई पर…..

   हर उम्र की अपनी परेशानियां अपनी उलझने  होती है ,उलझन तो उलझन होती है छोटी या बड़ी नहीं होती है, मानसिक  व्यथित अपनी बेटी की परेशानी देख कर शुभा अपने बचपन के गलियारों में खो गई …..

…….जा मैं तेरे से कुट्टी कुट्टी कुट्टी……अनिता ने शुभा का हाथ पकड़कर जबरदस्ती उसकी कनिष्ठा उंगली में अपनी कनिष्ठा अंगुली पकड़कर गुस्से से और जोर से कहा…..”अरे अरे सुन तो पर हुआ क्या है!! मैने क्या किया है! ए अनिता बता तो सही…”शुभा  बिचारी जो लैब में पूरे ध्यान से प्रैक्टिकल कर रही थी,अकस्मात अनिता की इस हरकत से हतप्रभ सी रह गई…पर तब तक तो अनिता  गुस्से से पैर पटकते हुए ये जा और वो जा हो गई थी।

तभी सृष्टि ने जो ये सब देख रही थी शुभा की परेशानी दूर करते हुए स्पष्ट किया कि “तू आज मेरे साथ प्रैक्टिकल कर रही है ना इसीलिए अनिता नाराज़ हो गई……


“अरे पर इससे क्या हुआ मैं तो तुम दोनों के ही साथ प्रैक्टिकल करती हूं तो फिर आज अचानक ये कुट्टी!!!शुभा वाकई हैरान थी अनिता के बर्ताव से……

असल में वो कल से मुझसे नाराज़ है सृष्टि ने उदास होकर बताया कल मैं टिफिन में पूरन पोली लाई थी जो अनिता की फेवरेट है पर टिफिन बॉक्स खुलते ही सारी लड़कियां उस पर टूट पड़ी और खत्म कर दिया ….अनिता को एक भी नहीं मिल पाई बस इसी बात पर उसका पारा हाई हो गया है,।अब देखना कम से कम तीन दिनों तक वो ना हम दोनो से बात करेगी ना ही शक्ल दिखाएगी साथ में बैठना या टिफिन करना तो भूल ही जाओ….सृष्टि की दिली उदासी शुभा से छिपी ना रह सकी….

सच में बचपन छोटी छोटी खट्टी मीठी बातों से सराबोर होता है छोटी सी बात बहुत खुश और छोटी सी ही बात  बहुत दुखी कर देती है।

अच्छा ये बात है कहीं का गुस्सा कहीं पर….शुभा ने मुस्कुरा के कहा …..शुभा सृष्टि अनिता की तिकड़ी पूरे स्कूल में मशहूर थी  साथ में आना जाना,पढ़ना,मस्ती करना क्या मजाल जो कोई चौथा बीच में आने पाए या ….कोई बात नहीं चल मेरे साथ उसने सृष्टि का हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा….

ए मेरी अच्छी अनिता ये ले मिठ्ठी मिट्ठी मिट्ठी..शुभा ने क्लास रूम में पहुंचकर जबरदस्ती अनिता का हाथ पकड़ कर स्नेह से मुस्कुराते हुए कहा एक क्षण को तो अनिता भी शुभा के हाथ के स्नेहिल स्पर्श और मधुर मुस्कान से पिघल ही गई थी पर बगल में सृष्टि को देख कर उसका गुस्सा फिर से लौट आया और उसने अपना हाथ तेजी से झटक लिया और वहां से चली गई।

सृष्टि को तो रोना ही आ गया सब मेरे कारण हुआ मुझे पूरन पोली अनिता के लिए बचाना चाहिए था ….अरे मैं पूरन पोली लेकर ही क्यों आई अब से कभी भी टिफिन में पूरन पोली नहीं लाऊंगी देख लेना ..रोते रोते सृष्टि का विलाप जारी था।शुभा भी दुखी तो थी पर उसका ध्यान दुख मनाने से ज्यादा दुख की वजह दूर करने में जुटा था।

पर अब बात उन तीनो के बीच की नही रह गई थी,उनकी तिकड़ी से नाजायज ईर्ष्या रखने वालों के लिए ये मनमुटाव उनकी दोस्ती तोड़ने और अपनी जलन बुझाने का सुनहरा अवसर ले कर आया था,जिसका भरपूर दोहन करने में सभी जुटे थे……

सही कहा जाता है कि परेशानियों में उलझे रहने और बैठ कर रोते रहने  की अपेक्षा जल्द से जल्द उचित समाधान ढूंढ कर उसे सुलझाने की कोशिश करना चाहिए अन्यथा वो नासूर बन जाती है..शुभा ने सोचा और अचानक उसके दिमाग में कुछ कौंध गया…..

उसने सृष्टि को चुप कराया और उसके कान में कुछ कहा सुनकर सृष्टि की आंखों में चमक आ गई……


दूसरे दिन सुबह सुबह अनीता के घर की डोर बेल बज उठी इतनी सुबह कौन आ गया.एक तो रात भर शुभा और सृष्टि को याद कर कर के वो सो भी नहीं पाई थी,बेकार की लड़ाई करके उसका दिल भी बहुत दुखी था पर बात फिर से शुरू करने का कोई मौका हिवनही मिल पा रहा था….कौन आ गया अब……मन ही मन बुदबुदाते हुए उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला कोई भी नहीं दिखा आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए उसकी नजर एक पैकेट पर पड़ी….चारो तरफ देखते हुए उसने धीरे से उस पैकेट को अपने हाथों में उठा लिया….घर के अंदर आकर बहुत उत्सुकता से उसने पैकेट खोला ……. उसमें एक बहुत सुंदर टिफिन बॉक्स मिला उसे खोलने पर पूरन पोलियां मिलीं और साथ में एक तह किया हुआ कागज़ …….कागज़ खोल कर उसने पढ़ा

  हमारी मीठी पूरन पोली अनीता के लिए दोस्ती की मिठास से भरी ये पूरन पोलियाँ इस विश्वास के साथ कि हमारी दोस्ती की मिठास इनसे कहीं ज्यादा है”____तुम्हारी पूरन पोलियां ..शुभा और सृष्टि

  अनिता का दिल भर आया उसकी आंखों से आंसू बह निकले तब तक शुभा और सृष्टि भी” ए अकेले खायेगी क्या” चिल्लाते हुए उसके पास आ गए और फिर….तीनों ने मिलकर पूरन पोली खाई और कुट्टी की छुट्टी करते हुए  मिट्ठी मिट्ठी मिट्ठी कहते हुए जोर से हंस पड़े…..

 

“मम्मा मम्मा क्या मिट्ठी मिट्ठी बोल रही हो आप मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है”….. कुहू के जोर से झिंझोड़ने पर शुभा चौंक कर वर्तमान में वापिस आई ,कुछ नही बेटा हमारे समय में ब्लॉक करने का मतलब कुट्टी करना होता था,और फिर से बात करने का मतलब मिट्ठी करना ….हंसकर शुभा ने कुहू का विस्मय दूर करते हुए उसे पूरी घटना सुना दी….अरे वाह मम्मा आप उतनी भी बुद्धू नहीं हो जितना मैं आपको समझ लेती हूं…”खुश होकर कुहू ने शुभा के गले में बांहे डालते हुए कहा मैं भी समझ गई मम्मा कि सान्या अभी भी मेरी ही बेस्ट फ्रेंड है और ये भी समझ गई कि अब मुझे क्या करना चाहिए उसके ब्लॉक्ड मतलब कुट्टी से मिट्ठी होने के लिए….!”

दोनों की समवेत हंसी ने शुभा के  ब्लॉक्ड बचपने को वापिस लाते हुए एक पीढ़ी के अंतर की कुट्टी को मिट्ठी में बदल दिया था।

सादर

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