मायके की चाहतें मायके में ही छोड़कर आओ, इसी में तुम्हारी भलाई है…. – सीमा रस्तोगी
- Betiyan Team
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- on Dec 30, 2022
“मेघना! आओ थोड़ी देर मेरे पास आकर बैठो! सुमित्रा ने बड़े प्यार से अपनी नई-नवेली बहु को हाथ पकड़कर अपने पास बिठा लिया…
“जी मम्मी जी! और मेघना भी बड़े प्यार से सुमित्रा के पास आकर बैठ गई…
“देखो! अब तो थोड़े दिन हंसी-मस्ती और ठिठौली में गुजर गए, लेकिन अब जब तुमको गृहस्थी संभालनीं है तो असली परीक्षा शुरू होती है अब, बड़े लोगों का दायित्व होता है कि घर आई बहु सबकी उम्मीदों पर खरी उतरे, उसके लिए परिवार के हर व्यक्ति की पसंद और नापसंद के बारे में अवगत करवाना! आज मैं तुमको पापा, केतन और मनु की पसंद-नापसंद के बारे में बताऊंगीं! सुमित्रा एक-एक करके सबकी पसंद-नापसंद के बारे में बताने लगी और मेघना हर बात को बहुत बारीकी से सुनने लगी और जैसे ही सुमित्रा ने अपनी बात समाप्त की… तुरंत ही मेघना बोल उठी..।
“मम्मी जी! और आपकी पसंद और नापसंद?आपने उसके बारे में नहीं बताया?
“बेटा! मेरी पसंद और नापसंद क्या? जिस दिन से इस घर की दहलीज पर कदम रखा, सबकी पसंद के बीच हमारी पसंद कहां खो गई, अहसास भी नहीं रहा! सुमित्रा की आंखों में आंसू झिलमिलाने लगे
“ऐसा क्यों मम्मी जी? मेघना ने चौंककर पूछा
“बेटा! एक बहु की पसंद-नापसंद को कोई नहीं पूछता, बस उसको अपने आपको परिवार के अनुरूप ढालना होता है, ना उसकी पसंद-नापसंद मायने रखतीं हैं और ना ही उसकी चाहतें! सुमित्रा के शब्दों में मेघना ने बहुत ज्यादा दर्द महसूस किया….
“तो क्या मम्मी जी! मुझको भी अपनी चाहतों से मुंह मोड़ना पड़ेगा? मुझको तो कुकिंग सिखाने का बहुत शौक है!
“नहीं! तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होगा, मैं तुम्हारी किसी चाहतों से मुंह नहीं मोड़ने दूंगीं, ये मेरा तुमसे वादा है! तुम बेफिक्र होकर अपनी कुकिंग क्लास शुरू कर सकती हो!
सबने विरोध किया मेघना का कि “घर में आखिर किस चीज की कमी है! लेकिन सुमित्रा उसकी ढाल बनकर खड़ी हो गई…
“मैंने अपनी ख्वाहिशों को दफन कर दिया, लेकिन बहु नहीं दफन करेगी! सुमित्रा मन ही मन सोचती और मेघना का सपोर्ट करती रहती, आखिर मेघना की कुकिंग क्लास चल निकली…. मेघना सचमुच बहुत खुश होती कि इतनी सपोर्ट करने वाली सासु मां मिलीं हैं…. लेकिन अक्सर सुमित्रा का मन टटोलना चाहती, लेकिन सुमित्रा के मुंह से कुछ भी ना निकलता….
एक दिन मेघना सुमित्रा की अलमारी से कुछ सामान निकालने के लिए गई… अचानक एक फाइल जमीन पर गिर पड़ी…. उत्सुकता वश मेघना ने खोल लिया….
“ये क्या? मम्मी जी तो भातखंडे यूनिवर्सिटी से संगीत में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं और ये क्या कितने ढेर सारे विनिंग सार्टिफिकेट…! अरे वाह! मम्मी जी तो सचमुच कमाल हैं, मुझको तो पता ही नहीं और केतन ने भी इस बारे में मुझको कुछ नहीं बताया? मेघना वो फाइल लेकर सुमित्रा के पास पहुंच गई…
“ओह माई गाड मम्मी जी! आप इतनी टैलेंटेड हैं, आपने तो कुछ बताया ही नहीं? मेघना ने सुमित्रा के आगे फाइल कर दी…
“अरे! ये तुम्हें कहां मिल गई! लाओ इसको मुझको दे दो! सुमित्रा लगभग मेघना के हाथ से फाइल झपटते हुए बोली.
“मम्मी! आखिर आप इतना परेशान क्यों हो गईं? प्लीज मम्मी मुझको कुछ बताइए?
“कुछ भी नहीं बेटा!
“आपको मेरी कसम! अगर आपने मुझको अपनी बेटी माना है तो? प्लीज मम्मी? मेघना ने बहुत बड़ी बात कह दी…
सुमित्रा की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली और वो अतीत में पहुंच गई…
“मम्मी जी! आपको तो पता ही है कि मैंने संगीत की उच्च-शिक्षा प्राप्त की है, तो मैं सोच रहीं हूं कि किसी स्कूल में नौकरी कर लूं! सुमित्रा ने डरते-डरते केसरी से पूछा
“बहु! अब घर-गृहस्थी संभालो, बस वही तुम्हारी नौकरी हो गई समझो!
“लेकिन मम्मी जी! मेरी तो संगीत में बहुत ज्यादा रूचि है, अगर आपको नौकरी नहीं करवानी, तो मत करवाइए, यहीं घर पर ही मैं कोचिंग क्लास खोल लूंगीं? आखिर वहां मायके में भी मैं घर पर ही क्लास लेती थी! सुमित्रा अनुनय-विनय करते हुए बोली
“क्या समाज और मोहल्ले में हम लोगों का तमाशा बनवाना चाहती हो! मायके की ख्वाहिशें मायके में छोड़कर आओ! उसी में भलाई है, आइंदा मां से जुबान लड़ाने की कोशिश भी मत करना! वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा! पीछे से पता नहीं कहां से आकर महेंद्र बोल पड़े
“बस सुन लिया ना और आज के बाद इस विषय में कोई भी बात सुनाई नहीं पड़नी चाहिएं! केसरी एक तरह से धमकाते हुए बोली और उसी दिन सुमित्रा ने अपनी फाइल अलमारी में बिल्कुल पीछे डाल दी थी और संगीत कला को वहीं पर विराम दे दिया और आज पता नहीं कैसे वो मेघना के हाथों में लग गई…
सुमित्रा की आंखों से आंसू बह रहे थे….
“मम्मी जी प्लीज! रोइए मत! मेघना सुमित्रा के आंसू पोंछते हुए बोली, सुमित्रा ने चुपचाप जाकर फाइल फिर से अलमारी में एकदम से पीछे रख दी, कि फिर से किसी के हाथ ना लगे…
और उसी दिन रात में..
“केतन! तुमने बताया नहीं कि मम्मी संगीत-कला में इतनी निपुण हैं? उनके पास तो एक से एक सार्टिफिकेट हैं!
“क्या! मुझको खुद भी नहीं पता, मैंने तो आज तक उनको कभी गाते हुए भी नहीं सुना? केतन चौंकते हुए बोला
“कैसे बेटे हो तुम? तुमको नहीं पता मम्मी जी की क्वालिफिकेशन के बारे में! और मेघना ने सिलसिलेवार सारी बातें केतन की बता दीं.. और मन ही मन कुछ संकल्प ले लिया
और दूसरे दिन…
“ये बाहर का कमरा तुम लोग क्यों साफ कर रहे हो?
“मम्मी ! कितने दिनों से ये कमरा बंद है, साफ-सुथरा हो जाएगा, तो बैठने-उठने के काम आएगा! केतन सफाई करता हुआ बोला
“मम्मी जी! बाहर चलकर देखिए, कमरा कितना सुंदर लगने लगा! मेघना ने सुमित्रा की आंखें बंद करते हुए कहा
“अरे! मैं बाद में देख लूंगीं!
“नहीं आपको अभी चलना होगा! और मेघना जबरदस्ती सुमित्रा को बाहर घसीट ले गई….
लेकिन ये क्या? कमरा बहुत खूबसूरती से सजा हुआ था, एक किनारे हारमोनियम, तबला और ढोलक रखी थी।
सुमित्रा तो चौंक ही गई…
“ये सब क्या है?
“मम्मी जी! ये है आपकी कर्म-शाला और आप आज से यहां संगीत की कक्षा लगाएंगीं और आपकी पहली स्टूडेंट मैं हूं! मेघना ने सुमित्रा के पैरों में झुकते हुए कहा
“हे भगवान! मैं कोई सपना तो नहीं देख रही! सुमित्रा की आंखें छलछला रहीं थीं, लेकिन अगले ही पल वो सहमकर बोली ‘”बेटा! तुम लोगों के पापा?
“नहीं सुमित्रा! ये कोई सपना नहीं हकीकत है, मैंनै मां की बातों में फंसकर सचमुच तुम्हारे साथ बड़ा अन्याय किया है, लेकिन आज बच्चों ने और खासकर बहु ने मेरी आंखें खोलकर मुझको कम से कम थोड़ा-बहुत तो अन्याय करने से बचा लिया, हो सके तो हमको माफ कर दो, लेकिन अब तुम अपनी चाहत पूरी करने के लिए स्वतंत्र हो! महेंद्र के शब्दों में बेहद ज्यादा ग्लानि थी..
सुमित्रा तो अपनी बहु के इस प्रयास से सचमुच भाव-विह्वल हो उठी और उसने मारे खुशी में भरकर आगे बढ़कर हारमोनियम के स्वर छेड़ दिए…. आज उसको दुनिया की सबसे बड़ी नियामत जो मिल गई थी….
ये कहानी स्वरचित है
मौलिक है
आपको मेघना का प्रयास कैसा लगा, लाइक और कमेंट्स के द्वारा अवगत करवाइएगा और प्लीज मुझको फॉलो भी जरूर कीजिएगा, क्योंकि आपका एक-एक फॉलो मेरे लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है।
धन्यवाद आपका🙏😀
आपकी सखी
सीमा रस्तोगी