Moral Stories in Hindi : मायका, एक ऐसी जगह है ,जिसे याद कर लेने भर से मन प्रफुल्लित तथा आनंदित हो जाता है। मायका वह है ,जिसके सहारे आप अपने सपने ,अपने गम ,अपने लम्हे ,अपनी पसंद सब कुछ महसूस करते हैं तथा एक नई उमंग आपको अंदर तक भिगो देती है। जब आप अपनी विदाई ,कभी अपने विवाह की सीडी में देखते हैं तो रो पड़ते हैं। वह विदाई आपकी नहीं ,आपके घर की आपसे होती है। इसलिए मायका हमेशा प्यारा और खास होता है।
सुमन की शादी को 15 साल हो गए थे बच्चों का स्कूल ,पति का ऑफिस इसमें जिंदगी कट रही थी ।वह खुद भी स्कूल में प्राध्यापिका थी ,इसलिए व्यस्त रहती थी तथा अपने मायके सिर्फ छुट्टियों में ही जा पाती थी चाहे वह गर्मियों की हो यह सर्दियों की।
लेकिन करोना महामारी की वजह से वह पिछले 2 साल से मायके नहीं जा पाई थी ।
कोरोना टेस्ट, अलग रहने के नियम ,एक राज्य से दूसरे राज्य जाने पर दुनिया भर के कानून, कर्फ्यू पास और भी ना जाने क्या-क्या (सुमन का मायका अलग राज्य में था)।
उसके पति जिस कंपनी में कार्यरत
थे ,वह वही फ्लैट में रहती थी और कंपनी की तरफ से भी दूसरे राज्य में आने जाने पर कड़े प्रतिबंध और बहुत से नियम कानून थे इन्हीं सब बातों से परेशान होकर सुमन के पति ने उसे कहा कि जब स्थिति सामान्य होगी तो चली जाना अब तक हमेशा ही जाते रहे हो ,फोन पर तो तुम रोज बात करती हो अपनी मां ,बहन और पिता से। इस दर्द को शायद उसके अलावा कोई और महसूस नहीं कर सकता था या कहिए महसूस करना ही नहीं चाहता था। धीरे धीरे 2 साल बीत चुके थे तथा प्रतिबंध कम हो गए थे लेकिन पूरी तरह से समाप्त नहीं थे।
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सुमन की मां जो कि बीमार रहती थी ,उसे अक्सर आने के लिए कहती थी लेकिन साथ ही साथ उसकी विवशता भी समझती थी।
1 दिन सुमन की माॅ उसे फोन पर बताया कि वह उससे मिलने आ रही है | सुमन के लिए यह एक बहुत अच्छी न्यूज़ थी | लेकिन मन परेशान भी था , उसकी मां ह्रदय की मरीज थी , जिनके लिए 7 घंटे का सफर कर पाना मुश्किल था | ऊपर से पिता ने कहा कि वह व्यापार में व्यस्त हैं इसलिए नहीं आ सकते , पिछले 2 साल से व्यापार में कोई मुनाफा नहीं हुआ : अब टाइम है व्यवसाय करने का।
8सुमन की बहन जो कि विवाहित थी और उसी शहर में रहती थी उसने कहा,”
दीदी आप चिंता मत कीजिए मैं मम्मी के साथ आ रही हूं”
“मेरा भी आपसे मिलने का बहुत मन है”!
अब सुमन की खुशी की कोई सीमा नहीं थी लेकिन उसकी खुशियों को नजर लग गई ,तथा उसी दिन किसान आंदोलन शुरू हो गया और वह लोग वहां से चल दिए।
अब समस्या यह थी कि उनको उसी रास्ते से निकलना था जहां किसान आंदोलन बहुत उग्र और आक्रामक था, दूसरा रास्ता अकेली औरतों के लिए सुरक्षित नहीं था। दो महिलाएं एक बच्चा ऊपर से उग्र आंदोलन सबकी जान हलक में थी। जब सुमन ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा तो उसे खुद भी बहुत बुरा लगा लेकिन वह क्या कर सकती थी। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी
“हे प्रभु और कितनी परीक्षा लोगे”
थोड़ी देर के बाद सुमन की बहन का फोन आया तथा उसने बोला
“दीदी, हम आंदोलन वाली जगह को पार कर चुके हैं”
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सुमन के पूछने पर उसने बताया की एक भले व्यक्ति ने पूरी बात सुनकर उनकी मदद की, अपना नंबर दिया और कहां,”हम भी बहू बेटी वाले हैं और आप की स्थिति समझते हैं”
उस दिन उन सब के दिल में किसानों के लिए सम्मान और ज्यादा बढ़ गया। 2 घंटे बाद वह लोग सुमन के घर पर थे और थी ढेर सारी खुशियां।
इसे कहते हैं ,***मायके का प्यार ***अगर आप ना जा सके, तो मायका आ जाता है आप को प्रफुल्लित करने।
( सत्य घटना पर आधारित)
By
AMBIKA GARG