मनमीत   –  मधु शुक्ला

सुधा और सुबोध  का साथ पड़ोसी होने के कारण बचपन से था। साथ स्कूल जाने और खेलने में  प्राइमरी स्कूल तक बचपन बीता। फिर उनके विद्यालय अलग हो गए। और फिर सुधा पर लड़ की होने के कारण प्रतिबंध लागू हो गए। लेकिन प्रतिबंधों के कारण ही सुधा और सुबोध को इस बात का अहसास हुआ कि वे एक दूसरे को न देखें तो उन्हें बैचैनी होती है। बातें करने से हर्ष का अनुभव होता है। जब कि किसी अन्य को लेकर ऐसी अनुभूति नहीं होती है। अनुराग का अनुमान होते ही दोनों एक दूसरे की पसंद नापसंद का ध्यान रखने लगे। और घर बसाने के स्वप्न सजाने लगे। लेकिन विधि के विधान ने उनकी परीक्षा लेने की ठान ली थी। इसीलिए सुधा के माता-पिता कुंभ मेले से जीवित वापस नहीं आये। जिसकी वजह से सुधा के ऊपर छोटे भाई बहनों की जिम्मेदारी आ गई।सुधा की अनुकम्पा नियुक्ति से घर तो चलने लगा। लेकिन सुधा और सुबोध का घरोंदा बिखर गया। कारण सुधा भाई बहनों को मझधार में नहीं छोड़ सकती थी। और सुबोध के माता-पिता को मैके से प्रेम प्रेम करने वाली बहू स्वीकार नहीं थी। सुबोध के ऊपर जब अन्यत्र शादी का दबाव पड़ने लगा। तो वह लापता हो गया। वक्त अपनी रफ्तार से बढ़ता रहा। सुधा अपने भाई बहनों की देखभाल के अलावा सुबोध के माता-पिता का भी ख्याल रखती थी सुबोध उनका इकलौता बेटा था। उसकी अनुपस्थिति में सुधा सुबोध की जिम्मेदारी निभा रही थी। भाई बहनों की शादी करने के बाद सुधा को उनकी छत्रछाया उपलब्ध हो रही थी। उनका साथ पाकर सुधा सुबोध के सपनों को ताजा कर लेती थी। एक दिन सुबोध घर लौट आया तो उसके माता-पिता ने अपनी गलती स्वीकारते हुए सुधा और सुबोध का विवाह करवा दिया। इस तरह सुधा और सुबोध को मनमीत मिल गया।

#प्रेम

स्वरचित – मधु शुक्ला .

सतना, मध्यप्रदेश .

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!