Moral stories in hindi : यह आप किस कर्ज की बात कर रहे हो जी? जो आप नहीं उतार सकते ।आप तो अपने आप में इतने समर्थ हो, फिर क्यों बार-बार ऐसा कहते हो कि मैं उसका कर्ज जीवन भर नहीं उतार सकता। ईश्वर ने आपको हीरे सा बेटा दिया है सारे सुख ऐश्वर्य आपको दिए हैं। फिर भी ना जाने क्यूंँ कभी-कभी आप इस तरह अपने में खोए खोए से रहते हैं, जैसे किसी की तलाश में है, जैसे आपकी आंँखों को किसी का इंतजार है। रोहिणी जी अपने पति देवराज से पूछतीं हैं।
तुम सही कह रही हो स्वास्तिक की मां, मैं समय आने पर तुम्हें सब कुछ जरूर बताऊंगा, कहकर देवराज तुरंत फैक्ट्री की तरफ निकल गए।
धीरे-धीरे समय बीता है और उनका बेटा स्वास्तिक बड़ा हो चुका है, घर में शादी की तैयारियां शुरू होती है।सब तरफ खुशियां ही खुशियां है,मंगल गीत गाये जा रहे हैं,वन्ने (दूल्हा )को हल्दी लगाई जा रही है, रिश्ते की चाची भाभी मौसी सभी स्वास्तिक को छेड़ रही है कहती हैं बताओ ना दूल्हे राजा वन्नो कैसी है,इस पर स्वास्तिक भी थोड़ा मुस्कुरा पड़ता है।
रोहिणी जी को तो जैसे उम्मीदों के पंख लग गए। उनका बेटे को मंगल तिलक करने का अरमान आज पूरा होने जा रहा है।इतनी प्रार्थनाओं और ईश्वर के आशीर्वाद से मिले बेटे की आज शादी का दिन जो है। ढोलक की थाप पर महिलाएं गीत गा रही है,
वन्ना खड़ा खड़ा मुसकाये,
मैं तो वन्नी प्यारी लाऊंगा।
मैं तो वन्नी प्यारी लाऊंगा,
चांद सी वन्नी लाऊंगा।
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मंगल तिलक की तैयारियां शुरू हो चुकी है, रोहिणी और वनराज जी का बेटा स्वास्तिक बिल्कुल राजकुमार की तरह तैयार है।वो अपने मां के बाबू जी के पैर छूता है। सभी बड़ों का आशीर्वाद लेकर तिलक के लिए बैठता है।बाहर शहनाई बज रही है, बच्चे नाच रहे हैं खुश हो रहें हैं।
सभी उसे आशीर्वाद देते हैं मां बलैया लेती है, उसकी नजर उतारती है। अब तिलक की बारी आती है तो कोई कहता है कि पहला तिलक मामा करेंगे, कोई कहता है पहला तिलक मां करेगी, लेकिन देवराज जी कहते हैं अभी रुको पहले तिलक का हक किसी और का है अभी वह आती ही होगी।इस बात पर सभी हतप्रभ से उन्हें देखने लगते हैं।
तभी थोड़ी देर में ही एक उम्र दराज सी औरत अपनी दो बेटियों के साथ खुशी भरे माहौल में प्रवेश करती हैं। सभी की निगाहें उन पर लग जाती है। तभी देवराज जी उनका परिचय अपनी पत्नी से कराते हैं।
बताते हैं रोहिणी तुम्हें याद होगा कि गिरिराज नाम का मेरा एक ड्राइवर हुआ करता था। जिसकी एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी।
ये उन्हीं की पत्नी संतोषी और ये दोनों इनकी बेटियां हैं।।
जिस दिन तुम्हें स्वास्तिक होने वाला था इनकी भी वही डिलीवरी होने वाली थी ईश्वर ने तो तुम्हारी गोद सूनी कर दी थी, हमें मृत बच्चा पैदा हुआ था, डॉक्टर ने भी साफ कहा था कि तुम यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकती और आगे कभी मां भी नहीं बन पाओगी।
जब यह बात संतोषी जी को पता चली तो उन्होंने मुझसे कहा कि वो अपना बेटा तुम्हारी गोद में देना चाहती हैं, ईश्वर के आशीर्वाद से उनके पास दो दो बेटियां हैं जिसके सारे उनकी उम्र कट जाएगी।
मैंने उन्हें उनके और उनकी बेटियों के लिए कुछ मदद करनी चाहिए तो उन्होंने स्वाभिमान से कहा कि वो बेटे का सौदा नहीं कर सकती, बस उनका इतना ही अरमान है कि बेटे की शादी के वक्त वो जरूर आए और उसे अपना आशीर्वाद दें। इतना कहकर और अपना बेटा तुम्हे सौंपकर वो तभी गांव निकल गई।
आज मैं उन्हें उनका हक देना चाहता हूं ,उनका ये अरमान पूरा करना चाहता हूं,जिसने अपनी जीवन भर की पूंजी यूं ही हमारी गोदी में डाल दी हमारा घर रोशन कर दिया खुद अंधेरों में जीती रही।
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तो कहो ना रोहिणी क्या तुम इनका ये अरमान पूरा करोगी, क्या बेटे के पहले तिलक पर इनको इनका हक दोगी?
कुछ पलों के लिए तो रोहिणी जी अपने आप को संभाल ही न पाई, न समझ पाई कि क्या करें क्या न करें, पर वक्त की नजाकत देखकर रोहिणी जी ने खुद आगे बढ़कर संतोषी से स्वास्तिक को पहला मंगल तिलक करने के
बोला।
इस पर संतोषी ने कहा कि हम दोनों ही इसकी मांँ हैं ,हम दोनों ही साथ साथ अपने बेटे का मंगल तिलक करते हैं। आज देवराज जी भी बहुत खुश नजर थे, उनके सीने से एक बहुत बड़ा बोझ उतर चुका था। वो अपना कर्ज कुछ हद तक चुका चुके थे।
ऋतु गुप्ता
#अरमान
हृदय स्पर्शी तथा सारगर्भित संदेश दोनों इस कहानी के अभिन्न अंग है। ❤🙏🏻