“मैं तुम्हारी सासू मां हूं, मां नहीं” – अनिता गुप्ता

वह अपनी तकलीफ किसी को ना बताती । बचपन से ही मेघना की ऐसी ही आदत थी। मम्मी – पापा उसकी उतरी हुई शक्ल देखकर ही समझ जाते कि आज हमारी लाड़ली की तबियत ठीक नहीं है।

या ऐसा भी कहा जा सकता है कि मेघना के बोलने के पहले ही पैरेंट्स उसकी तकलीफ समझ जाते थे और उसको बताने की जरूरत नहीं पड़ती थी।

इसलिए शादी के बाद कोई तकलीफ होने पर दवाई लेकर  मुस्कराकर काम करती रहती। क्योंकि उसने अपनी मां को भी तकलीफ में काम करते देखा था।

शादी के सात महीने बाद की बात है। मेघना को बुखार हो गया था और मेघना ने बिना डॉक्टर को दिखाएं , बुखार की दवा ले ली। दवा लेने से बुखार तो उतर गया,लेकिन दवा से साइड इफेक्ट्स हो गए।

उसको घबराहट,चक्कर और उल्टी होने लगी। उसकी ऐसी हालत देखकर सासू मां और ससुर जी जल्दी से हॉस्पिटल ले गए और रास्ते से ही मेघना के पति प्रभात को भी फोन कर दिया। जिससे वो भी तुरंत ऑफिस से हॉस्पिटल पंहुच गया।

” क्या हुआ इन्हें ? ” डॉक्टर ने सासू मां से पूछा। क्योंकि उस समय मेघना जवाब देने की हालत में नहीं थी।

” मेघना रसोई में काम करते – करते उल्टी करने के लिए गई और फिर वहीं पर चक्कर खा कर गिर गई। हमने सहारा देकर कमरे में लिटा दिया। लेकिन जब तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ,तो हम आपके पास ले आए।” सासू मां ने कहा।



” अभी तो मैं इनको ड्रिप लगा देती हूं। जब ये थोड़ा ठीक महसूस करेंगी, तब ही इन से बात हो पाएगी।” डॉक्टर ने कहा और सिस्टर को आईवी लगाने को कहा।

तब तक प्रभात भी हॉस्पिटल पहुंच गया और बेसुध मेघना को देख उसके सिर पर हाथ फेरने लगा। सासू मां और ससुर जी भी चिंतित मुद्रा में बैठे हुए थे। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि,

 

मेघना ने तबियत ठीक नहीं होने का क्यों नहीं बताया ? यहां तक कि प्रभात को भी नहीं बताया। थोड़ी देर में मेघना को ठीक लगने लगा,तो उसने बताया,

” आज सुबह मुझको बुखार हो रहा था,इसलिए मैंने टैबलेट ले ली। लेकिन टैबलेट लेने के थोड़ी देर बाद से ही मुझे घबराहट और चक्कर आने लगे। मैं उल्टी करने बाथरूम में गई  और उसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं ।” मेघना ने कहा।

” ठीक है। आपकी पीरियड की डेट कौनसी है ? डॉक्टर ने पूछा।

” डॉक्टर ! डेट से पंद्रह दिन ऊपर हो गए हैं ,लेकिन अभी पीरियड नहीं आया। मेघना ने बताया।



” ओह! ये लीजिए प्रेगेंसी किट और टेस्ट कर के आएं। ” डॉक्टर ने कहा।

मेघना ने चैक किया , किट में दो पिंक लाइन आ रहीं थीं।

“आप प्रेगनेंट हैं और हो सकता है , इसलिए आपको थोड़ा बुखार हो। लेकिन प्रेग्नेंसी में बिना डॉक्टर को कंसल्ट किए कोई दवाई नहीं खानी चाहिए। कई बार दवा साइड इफेक्ट् कर देती है और इस से बच्चे और मां दोनों को प्रॉब्लम हो सकती है और हां आपको ठीक समय पर हॉस्पिटल नहीं लाया जाता तो हो सकता है, प्रॉब्लम बढ़ जाती। आगे से ध्यान रखिएगा।” डॉक्टर ने कहा।

कार में प्रभात ने मेघना से पूछा,

” तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी, ये तुमने किसी को बताया क्यों नहीं ?”

” मेरी शुरू से अपनी तबियत के बारे में बताने की आदत नहीं है। मम्मी पापा मेरी सूरत देख कर मेरी तबियत का अंदाजा लगा लेते थे।।” मेघना धीरे से बोली।

“लेकिन मेघना ! जब तक तुम नहीं बताओगी,तब तक हम तुमको कैसे सहारा दे पाएंगे ? जबकि अब तुम्हें हम सबके सहारे की जरूरत है।” प्रभात ने कहा।

” ये सब तो ठीक है, बेटा। लेकिन तुम एक बात भूल रही हूं कि मैं तुम्हारी मां नहीं सासू मां हूं। मैं मां जैसी तो हूं लेकिन मां बनने में अभी मुझे टाइम लगेगा। क्योंकि मैंने तुम्हें जन्म नहीं दिया है ,ना। धीरे – धीरे जब में तुम्हें समझ जाऊंगी तो मैं भी तुम्हारी सूरत देखकर तुम्हारे मन का हाल जान लूंगी और ऐसा होने तक तुमको अपनी तबियत की बात तो बतानी ही होगी। खासकर अब जब तुम मुझे दादी बनने की खुशी दे रही हो।” सासू मां बोलीं और उनकी बात पर मेघना मुस्कराए बिना ना रही सकी।

 

#सहारा

अनिता गुप्ता

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