मधु की रसोई – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बस एक ही काम तो इसकी मां ने इसे सिखाया है खाना पकाना अरे उसमें कौन सी बुद्धि लगानी पड़ती है जिसमें बुद्धि लगानी पड़ती है वह तो इसे राई रत्ती नहीं आता है मेरे बेटे के तो करम फूट गए जो ये मूढ़ उसके पल्ले पड़ गई…. सासू मां मालती ने बेटे प्रखर के ऑफिस से आते ही अपना राग शुरू कर दिया था।

शादी के बाद से ही सासू मां की यही प्रशंसोक्त सुन सुन कर मधु के कान पक गए थे पर वह हमेशा “कोई बात नहीं “मां की आदत है कह कर टाल देती थी।लेकिन आज वहां मेड झाड़ू लगा रही थी और सासू मां का उसके सामने ही उनका धाराप्रवाह निंदा पुराण जाने क्यों आज मधु का खून खौला गया था।

प्रखर ने मेड की तरफ इशारा करते हुए मां को रोकना चाहा था लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ बल्कि अब तो वह मेड की तरफ मुंह करके बोलने लगी “….अरे यह भी इतने बरस से इस घर में काम कर रही है बड़ी बहू को देखती है ना कैसे घर और बाहर दोनों संभालती है और इसका तो चौके का काम ही नहीं खत्म हो पाता जाने ऐसा क्या छप्पन पकवान बनाकर खिलाती रहती है…

नहीं मां जी छोटी बहू जी बहुत बढ़िया खाना बनाती हैं आपको पता है यहां सबके घर में खाना वाली मैड लगी है लेकिन बहू जी ने नहीं लगवाया।इनके हाथ में तो जादू है…यहां तो सब लोग….मेड को भी उनकी बात बुरी लग गई थी।

अरे चुप मै सब जानती हू तू ज्यादा ना बता मेरी बड़ी बहू तो मेरे घर का उजाला है मेरे तो करम फूट गए इतनी कम पढ़ीलिखी ये पल्ले पड़ गई…मां जी प्रवाह में बह रही थीं।

बस मां जी बहुत हो गया  जो भी आपको कहना सुनना है आप मुझसे कहिए इस तरह मेड के साथ मेरे बारे में ऐसी बाते करना क्या उचित है..! मधु का खून खौल गया था।घर की मेड के सामने मेरा अपमान करने में लगी हुई थीं।आज तक तो घर के सदस्यों से मेरे पति से ही बुराई करती थीं आज मेड से करने लगी कल को पड़ोसियों से करने लगेंगी !! इतना अपमान !!

इस कहानी को भी पढ़ें: 

अब और नहीं – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

मधु की सहनशक्ति आज जवाब दे गई थी। आंखों में आंसू भर आए थे वह झपट कर अपने कमरे में चली गई थी।अपनी मां का बार बार अनुचित उल्लेख उसे मर्माहत कर जाता था।

मधु का पूरा ध्यान अपनी मां की तरफ चला गया था।

सही बात है मेरी मां ने मुझे पाक कला का गुण  बखूबी सिखाया है।मेरी मां को यह गुण विरासत में मिला था और उन्होंने अपने इसी गुण को और बढ़ाया क्योंकि उनका दृढ़ विश्वास इस उक्ति पर था कि “दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है”।पता नहीं मेरे पिता के  दिल में मां अपने लिए कोई रास्ता गढ़ पाई या नहीं लेकिन मेरे दिल और पेट दोनों ने मां के इस गुण को आत्मसात करने के लिए सारे द्वार खोल दिए थे ।मां मुझे सिखाती गई और मैं सीखती गई।मां मुझ जैसा जिज्ञासु और जुझारू शिष्य पाकर प्रफुल्लित थी और मैं मां जैसा उत्साही और निष्णात गुरु पाकर।

मधु  अपने बचपन में खो गई थी।

मेरा मन गणित के सवालों को सुलझाने के बजाय मटर की कचोरी बनाने में, विज्ञान के समीकरण संतुलन करने के बजाय केक की सामग्री के संतुलन तैयार करने में और इतिहास की तारीखों से युद्ध करने के बजाय घर में होने वाले संभावित जन्मदिन पार्टी के मेनू से उलझने में ज्यादा लगता था।अब मन तो मन है

पढ़ाई नहीं करना चाहता था तो नहीं किया ।पिता ने लाख कोशिशें की डांटा फटकारा प्रेरित किया लेकिन वहीं ढाक के तीन पात।किसी तरह घसीटे अंकों से स्कूलिंग पूरी करके प्राइवेट  ग्रेजुएशन भी रो पीट कर करवा दिया गया और फिर बिना देरी किए पिता जी ने अच्छा घर वर देख कर मेरी शादी कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।

ससुराल में मेरी एक सर्वगुण संपन्न जेठानी थी जिनकी प्रतिभा के आगे पूरा घर नतमस्तक था।वह बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी नौकरी करने वाली बड़ी बड़ी मीटिंग्स में प्रखर वक्ता, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली और मैं तो निपट अनाड़ी अल्हड़ कम पढ़ीलिखी मूर्खा!! उनका और मेरा कोई मुकाबला ही नहीं था ।वैसे भी मैने उनसे मुकाबला करने की कभी कल्पना भी नहीं की लेकिन मेरी सासू मां नित्य सुबह से भगवान भजन से ज्यादा अपने ही घर की दोनों बहुओं का तुलनात्मक चार्ट तैयार करती और रात होते होते मुझे हर विधा में जीरो अंक देकर अपनी और अपने बेटे की किस्मत को कोसती कि कहां से ये अयोग्य बहू उन लोगों के गले मढ़ गई है।

मेरे पति जो एक प्रतिष्ठित कंपनी में उच्च पद पर आसीन थे उन्हें इस घरेलू पंचायत में उलझने का समय ही नहीं मिलता था ।एक बात जरूर थी कि सासू मां उनके आते ही जैसे ही मेरी बुराई करने बैठती मेरे पति कभी भी उनसे सहमत नहीं होते थे और चिढ़कर उठकर दूसरे कमरे में चले जाते थे यह बात सासू मां के लिए असहनीय हो जाती थी।

बस रोटी बनानी सिखाई  है सुन सुन कर मेरे दिल में आज आग सुलग रही थी।अपनी मां का अपमान भी मुझसे सहन नहीं हो पा रहा था  मैं बिस्तर पर औंधी पड़ी रो रही थी।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

अंधश्रद्धा – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

प्रखर धीरे से कमरे में आए मैने कोई ध्यान नहीं दिया।

मधु मां की आदत तो तुम जानती हो इतने दिनों में तो तुम्हारी आदत हो गया होगी आज तुम उनकी बातें इतना ज्यादा क्यों दिल पर ले रही हो।

हां मैने भी सोचा था कि आदत हो गई है मेरी लेकिन आज मेड के सामने जलील कर रहीं थीं फिर मेरी मां के बारे में भी…मधु की बेबसी और गुस्सा चरम पर था।मैं क्या करूं प्रखर मै क्या करूं….

अच्छा चुप हो जाओ । सुनो मैं तुम्हें एक सुझाव देना चाहता हूं प्रखर ने मुझे बीच में ही टोक दिया।

देखो मधु तुम्हें पाक कला इतनी बढ़िया आती है तो तुम उसका प्रचार करो।

प्रचार..?? वो कैसे

अरे ऑनलाइन चैनल  बनाकर अपने विडियोज डालो .. सहज भाव से प्रखर ने कहा।

आप भी कैसी बात करते है मुझे अच्छे से मोबाइल चलाना तो आता नहीं है ये यू ट्यूब और वीडियो बनाना..!! ये सब मुझसे नहीं हो पाएगा असंभव है।

कोई असंभव नहीं है तुम भाभी से पूछ लेना वह समझा देंगी प्रखर ने जोर देकर कहा और सो गए।

मुझे तो नींद नहीं आई। यू ट्यूब में वीडियो कैसे मेरा प्रचार करेगा मुझे क्या फायदा होगा मेरी समझ से परे था ।भाभी से कैसे पूछूंगी वैसे वह मेरे प्रति स्नेहिल है लेकिन इस बात को सुनकर हंसी ना उड़ाएं इसका मुझे डर था।

दूसरे दिन दोपहर में भाभी के ऑफिस से आने के बाद मैने उनसे अपनी बात कही।

दीदी मुझे आपसे कुछ पूछना था।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

कृष्णा दीदी, एक मुसीबत – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हां हां मधु बताओ क्या पूछ रही हो

वो …दीदी …ये ऑनलाइन अपना चैनल कैसे बनाते हैं वीडियो कैसे बनाते हैं झिझकते हुए मैने पूछ ही लिया।

बहुत आसान है मधु मै अभी तुम्हे सिखा देती हूं उन्होंने बहुत उत्साह से मोबाइल उठाते हुए कहा तो मुझे हिम्मत आ गई।

दीदी असल में बात यह है कि मां जी की बातें अब मुझे सहन नहीं हो रही है ।वह हमेशा आपसे मेरी तुलना करती हैं और मेरी मां के बारे में भी बुरा कहती रहती है।

हां मधु मुझे भी बिल्कुल अच्छा नहीं लगता पर मां को कैसे समझाएं ।तुम बहुत अच्छी हो मधु मेरी छोटी बहन की तरह हो मुझसे तुलना कैसी तुम बुरा मत माना करो अगर तुम्हे आगे पढ़ाई करनी हो तो बताओ मै सहायता करूंगी ।

नहीं दीदी मैने सोचा है कि जो गुण मुझे मेरी मां ने सिखाया है मैं उसको और आगे बढ़ाऊंगी।दीदी अगर  यू ट्यूब में मै अपने खाना पकाने के वीडियो बनाकर डालूं तो क्या होगा।

बहुत बढ़िया आइडिया है मधु ….दीदी खुशी के मारे खड़ी हो गईं।

चलो अभी मैं तुम्हे वीडियो बनाना और यू ट्यूब में भेजना सिखा देती हूं

और सुन मधु अभी मां जी को इस बाते में कुछ नहीं बताएंगे।

क्या बनेगी पहली डिश बताओ किचेन में आकर उन्होंने पूछा।

दीदी पहली डिश तो मीठी होनी चाहिए मधु ने कहा।

मधु तुम अपनी पारंपरिक भारतीय डिशेज ही बनाना आजकल जो लुप्त होती जा रही है दीदी ने सुझाव दिया।

फिर तो आज सबसे पहले  देवी मां का प्रसाद आटे का हलवा बनाती हूं मधु ने उत्साह से कहा और हलवा बना लिया।

दीदी ने बहुत बढ़िया पूरा वीडियो बनाया और अपने सारे व्हाट्सएप ग्रुप में भी भेज दिया ।ऑनलाइन ग्रुप ” मधु की रसोई” ग्रुप बनाकर उसमें भी भेज दिया और सभी में नीचे लिख दिया अगर वीडियो पसंद आए तो बताइए ये भी बताइए आप और क्या सीखना चाहेंगे।

मधु बहुत उत्साहित हुई जब दूसरे दिन दीदी ने बताया भी और दिखाया भी इतने लाइक्स और डिमांड मिली है वीडियो को।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

किसके भाग्य खुले..? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

धीरे धीरे मधु का चैनल लोकप्रिय होने लगा ।उसे तो भारतीय व्यंजनों में महारत हासिल थी।बीच में वह अपनी मां के पास जाकर  उनके साथ भी वीडियो बना लेती थी।

आज मधु को अपने चैनल की लोकप्रियता के कारण सम्मान भी मिला और एक लाख रुपए का चेक भी।

मधु वो दिन आ गया है जब मां जी को सारी बातें बता दी जाएं दीदी ने कहा ।

वह दीदी के साथ मां जी के पास गई और चरण स्पर्श करके चेक उनके हाथ में रख दिया।

मां जी आपके आशीर्वाद का फल मिला है मधु ने कहा।

प्रखर को मिला है क्या कंपनी से मां जी तुरंत चहक उठीं।

नहीं मां जी ये चेक मधु को उसकी मेहनत का मिला है बड़ी बहू की बात सुन वह चिहुंक उठीं!!

इसे मिला है इस मधु को!! बहुत आश्चर्य से पूछा उन्होंने।इसने कौन सा तीर मार लिया..!

खाना पकाने का ही तीर मारा है आपकी छोटी बहू ने मां ..उसी समय प्रखर ने मुस्कुरा कर कहा।

खाना पकाने का!!मां की आवाज में आश्चर्य था।

हां पर आपके बिना ये सब संभव नहीं था मां जी मधु बोल उठी।

मैने क्या किया मां का कौतूहल बढ़ गया था।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

उड़ान मेरी जारी है – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अगर आप मेरा अपमान ना करती बार बार मुझे और मेरी मां को ना कोसती रहती तो मुझमें कुछ जूझकर करने का जज्बा नहीं आ पाता और यह सम्मान भी नहीं मिल पाता…मधु ने कहा तो सब हंस पड़े और जब दीदी ने मां जी को” मधु की रसोई” चैनल के सैकड़ों वीडियो दिखाकर सारी बात समझाई तो मां जी भावुक हो गईं।

मधु की रसोई …. इतनी बड़ी बात हो गई मुझे पता तक नहीं चला।मै बड़ी सुभागी हूं मेरी दोनों बहुएं इतनी गुणी हैं आ जा मधु मेरी बात का बुरा मत मान बेटा तूने अपनी मां का और अपनी सासू मां  दोनों का नाम रोशन कर दिया मुझे गर्व है तुझ पर सासू मां के दिल से की गई तारीफ ने आज मधु के दिल  के सभी शिकवे गिले दूर कर दिए वह मां के गले से गई।

दूर खड़ी मेड जोर से ताली बजाने लगी तो पूरा घर तालियों से गूंज गया था।

 

लतिका श्रीवास्तव 

अपमान बना सम्मान#साप्ताहिक शब्द प्रतियोगिता

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!