माँ सब देखती हैं – विभा गुप्ता

अंधेरा गहरा रहा था।मंत्री जी ने टेबल पर रखी गिलास में शराब की अंतिम बूँद को भी गटक लिया और आवाज़ लगाई, ” अबे हरिया, कहाँ मर गया है?”

” जी मालिक …”

” हममम… मेरा सामान कहाँ है?”

” मालिक, आपहीं के कमरे में तो रख..”

” ठीक है.. ठीक है.., और सुन.. कोई पूछे तो कह देना की मैं सो रहा हूँ।”

” जी मालिक.. ” कहकर हरिया वहाँ से चला गया और लड़खड़ाते हुए कदमों से मंत्री जी अपने कमरे में चले गये।

      हाॅलनुमा कमरा जो विदेशी सजावटी चीज़ों से सजा हुआ था।खिड़कियों पर झालर वाले परदे लटक रहें थे।विदेशी इत्र की खुशबू से पूरा कमरा सुगंधित था और कमरे के बीचोंबीच रखे कीमती पलंग पर एक किशोरी डरी-सहमी सी भयभीत नज़रों से मंत्री जी को देख रही थी।किसी अनहोनी के होने का आभास तो था उसे,फिर भी वह मन ही मन अपने इष्ट को याद करके आने वाले खतरे को टालने की प्रार्थना करने लगी।लेकिन होनी तो होकर ही रहती है।मंत्री उस अबला पर टूट पड़े और उसकी अस्मत को छिन्न-भिन्न कर दिया।

         सवेरे जब मंत्री जी की नींद खुली तो रात की घटना उनके मस्तिष्क से विस्मृत हो चुकी थी, याद इतना ही था कि आज सप्तमी है और उन्हें माता भवानी का दर्शन करने जाना है।अपने स्नानागार में तन को स्वच्छ करने के पश्चात उन्होंने ड्राइवर को गाड़ी निकालने को कहा,हरिया से फल- मेवे,वस्त्र और सोने का एक छत्र गाड़ी में रखवाकर मंदिर के लिए प्रस्थान कर गये।




             पुजारी जी ने मंत्री जी के लिए देवी माँ का मुख्य द्वार खोल दिया और चढ़ावे के बाद मंत्री जी ने जब माँ को छत्र पहनाया तो वो उन्हें लाल-लाल नेत्रों से घूरने लगी।मंत्री जी निश्चिंत थें कि देवी माँ मेरे बहुमूल्य चढ़ावे को देख रहीं है।पंडित जी से पूजा के फूल लेकर मंत्री जी वापस जाने के लिए जैसे ही मुड़े कि पुलिस ने उनके हाथों में हथकड़ी पहना दी।

    मंत्री भड़क गये,” क्या मज़ाक है?”

 ” आपके ऊपर बलात्कार का आरोप है।ये रहा आपकी गिरफ़्तारी का वारंट।” पुलिस उन्हें वारंट का पेपर दिखाते हुए बोली तो मंत्री जी ने मुड़कर माँ को देखा जैसे पूछ रहें हों, मेरे चढ़ावे को देखा नहीं क्या? और देवी माँ उन्हें घूरते हुए कहती हैं, सब देखा है, तेरे चढ़ावे को और कल रात जो तूने पाप किया, उसे भी।

            माँ दुर्गा अपने दो नेत्रों से इंसान के अच्छे-बुरे कर्मों को देखती हैं और अपनी दस भुजाओं से आशीर्वाद देती हैं तो दुष्टों का संहार भी करती हैं।

                               -विभा गुप्ता

                                स्वरचित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!