“भाभी कैसा खाना बनाया है आपने आपको जरा भी खाना नही बनाना आता क्या हद है पता नही भैया कैसे झेल रहे आपको !” शादीशुदा ननद मायके मे भाभी से बोली।
” दीदी अभी मुझे यहां का हिसाब नही मम्मी जी भी घर पर नही थी और आपको तो पता है मेरी तबियत भी ठीक नही थी इसलिए हो सकता है भूल चूक हो गई हो !” भाभी बोली।
” बस बस रहने दो बहाने सब जानती हूँ मैं ननदों को देख भाभियों की तबियत ही खराब होती है !” ननद मुंह बना कर बोली।
” बिल्कुल सही कहा तूने बेटा ननदों को देख भाभियों की तबियत खराब होती है , पर फिर भी कुछ भाभियां ननदों का सत्कार कर ही देती है जबकि कुछ तो ननदों के आने पर मायके ही आकर बैठ जाती है कि सत्कार ना करना पड़े !” तभी वहाँ माँ आई और बोली।
” मम्मी आप मुझे ताना दे रही हो ?” ननद गुस्से मे बोली।
” नही बेटा मैं तो सच्चाई बयान कर रही हूँ । तेरी भाभी की तबियत तो सच मे खराब थी फिर भी उसने खाना बनाया लेकिन तुझे क्या हुआ जो तू ननद के आने पर यहाँ भाग आई !” माँ बोली।
” ओह तो मेरी सास ने कर दी आपसे शिकायत वो लोग ऐसे ही है इसीलिए तो मैं वहाँ रहना नही चाहती , एक मेरी ननद है उसे बैठे बैठे सब चाहिए । पता नही आपने कैसे परिवार मे मेरी शादी कर दी । इधर देखो भाभी के मजे है यहां तो सास उनकी साइड ले रही है !” ननद व्यंग्य से बोली।
” तेरी सास ने कुछ नही कहा वो तो मैं खुद जानती हूँ जब जब तेरी ननद आती है तब तब तू यहाँ भाग आती है । और जो तू यहां अपनी भाभी और अपने ससुराल वालों के खिलाफ विष उगल रही है ना मत भूल एक दिन रिश्तो से तेरा दामन खाली रह जायेगा क्योकि मायका माँ के बाद भाभी से और ससुराल ससुरालवालों से होता है और तुझे दोनो ही पसंद नही !” इस बार माँ गुस्से मे बोली।
” मम्मी आप आज कैसे बात कर रही है मुझसे ?” ननद हैरानी से बोली।
” बेटा ये मुझे पहले ही करना चाहिए था पर कोई नही अभी भी देर नही हुई । तुम अभी के अभी अपने घर जाओ और अब यहाँ तभी आना जब सास ससुर की रजामंदी हो वरना जब जब ननद से भाग के यहाँ आओगी अपनी भाभी को भी मायके जाते ही पाओगी क्योकि जब तुम अपनी ननद का नही कर सकती तो वो क्यो करे !” माँ ने फैसला सुनाया ।
बेटी को माँ की सीख शायद समझ आ गई थी इसलिए वो चुपचाप अपना बैग लेने चली गई ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
#विष उगलना