मां हो बच्चों की ढाल बनो उन्हें कमजोर मत करो। – संगीता अग्रवाल 

” मम्मी देखो मेरे चोट लग गई !” पांच साल का आरव पार्क में खेलते हुए गिरने पर रोता हुआ वही बैठी अपनी मम्मी के पास आया।

” ओह माई गॉड इतनी चोट चलो जल्दी घर डेटॉल से साफ करके पट्टी कर दूंगी !” आरव की मम्मी स्वाति उसकी चोट को देख बोली उसके ऐसा बोलते ही आरव और जोर जोर से रोने लगा स्वाति उसे गोद में उठा घर चली गई।

” अरे स्वाति ये छाता, ये ग्लूकोस सब क्यों कुछ कदम का तो रास्ता है घर का!” स्कूल वैन से अपने बच्चे को उतारने कॉलोनी के बाहर की सड़क पर आई नीति ने स्वाति के हाथ में छाता और बॉटल देख पूछा।

” नीति वो क्या है ना देखो कितनी धूप है और आरव सुबह से पढ़ते हुए थक भी गया होगा पहली बार वैसे ही स्कूल गया है ( जबसे आरव स्कूल जाने लायक हुआ तबसे कोरोना के कारण ऑनलाइन पढ़ाई थी ) तो ये गुलकोज पिएगा तो एनर्जी आ जायेगी और छाता उसकी धूप से रक्षा करेगा !” स्वाति बोली।

स्वाति की बात सुनकर नीति मुस्कुरा दी इतने में स्कूल वैन आ गई और स्वाति आरव को गुलकोज पिलाने में लग गई और नीति अपनी बेटी टिया के साथ दिन भर क्या हुआ स्कूल में इस बारे में बातें करती घर को चली गई।

” आरव आ ना मेरे पीछे पीछे !” शाम को पार्क में झूले पर फिसलती टिया आरव को ऊपर बैठा देख बोली पास में दोनो बच्चों की मम्मी बातें कर रही थी।

” नहीं टिया मुझे डर लग रहा है मैं गिर गया तो …!” आरव डरते हुए बोला।




” अरे चल ना मैं हाथ पकड़ कर ले जाती हूं !” टिया उसका हाथ पकड़ उसे घसीटते हुए बोली इससे पहले आरव कुछ बोलता दोनो पलक झपकते नीचे आ चुके थे।

” देख कुछ हुआ क्या …बेमतलब डर रहा था तू डरपोक !” टिया नीचे आ बोली।

” मैं डरपोक नहीं हूं !” आरव टिया को हल्का सा धक्का देते हुए बोला जिससे टिया गिर गई।

” आई एम सॉरी टिया तुम्हे लग गई !” टिया के गिरने पर आरव को बुरा लगा और उसने टिया की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।

” नहीं तो !” टिया अपने आप उठकर कपड़े झाड़ती हुई बोली।

” टिया तो बहुत स्ट्रॉन्ग है गिर कर भी नही रोई हां ठीक भी है वैसे भी लड़कियों को सब सहने की आदत होनी भी चाहिए !” स्वाति बोली।




” स्वाति बात लड़का लड़की की नहीं है बात है हमे अपने बच्चों  को ऐसा बनाना चाहिए कि छोटी छोटी मुश्किलें वो अकेले सह सकें हर वक्त हम बच्चों के साथ तो हो नहीं सकते ऐसे में उन्हें कुछ हो जाए तो ? क्या हुआ जो बच्चा खेलते में थोड़ा गिर गया अगर हम उसे पैंपर करेंगे तो वो रोएगा आगे खेलने से गिरने से डरेगा। क्या हुआ बच्चा थोड़ी धूप सहेगा तभी तो वो हर मोहौल में रहने के काबिल बनेगा। सभी जानवर , पक्षी अपने बच्चो को हर परिस्थिति में रहने के काबिल बनाते है फिर हम तो इंसान हैं ।” नीति स्वाति से बोली।

” नीति वो जानवर हैं, उनके इतने इतने बच्चे होते जबकि हमारे एक या दो ऐसे में बच्चों का ख्याल रखना जरूरी होता है।” स्वाति उसकी बात सुनकर बोली।

” स्वाति बात जानवर या इंसान वाली बात ही नही यहां बात है अपने बच्चों को हर परिस्थिति का सामना करने योग्य बनाना उनको मजबूत बनाना । मां हो बच्चों की ढाल बनो पर उन्हे कमजोर मत बनाओ वरना कल को तुम्हारे बच्चे तुम्हारे बिन कुछ नही कर पाएंगे। तुम हर वक्त तो इनके साथ नही रह सकती ना !” नीति ने समझाया।

” शायद तुम सही कह रही हो नीति यही वजह है शायद जो मेरा आरव जरा जरा सी बात में रो देता है और तुम्हारी टिया ऐसी चुनौतियां चुटकियों में पार कर जाती है। अबसे मैं भी आरव को स्ट्रॉन्ग बनाने की कोशिश करूंगी !” स्वाति बोली और दोनो अपने बच्चों के साथ घर आ गई।

दोस्तों अपने बच्चे सबको प्यारे होते पर उनकी छोटी छोटी चोट पर परेशान होना उनके जरा सी भी तकलीफ ना होने देना इन सबसे बच्चे धीरे धीरे सहारे के आदि होने लगते उनका ध्यान रखिए पर उन्हे इतना कमजोर मत बनाइए कि वो जरा सी परेशानी से परेशान हो जाएं। क्या मैने गलत कहा ?

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

 

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