कौन सा महीना चल रहा है बेटा ,जी आंटी छठा महीना चल रहा है। मम्मी से मिलने आई थी हां, ठीक है आती रहा करो बेटा तो मम्मी जल्दी ठीक हो जाएगी दूसरी जिंदगी मिली है बिचारी तुम्हारी मम्मी को । हां आंटी आती रहूंगी।नये मेहमान को इस दुनिया में लाने में बहुत देर कर दी पूरे पांच साल हो गए
तुम्हारी शादी को पड़ोस में रहने वाली सलूजा भाभी जी ने जब मीता से कहा तो मीता बोल पड़ी अब आंटी जी मम्मी पापा हमसे नाराज़ थे तो मैं कैसे खुश रह सकती हूं ।और उनकी नाराज़गी से मेरा आने वाला बच्चा भी तो खुश नहीं रहता ।बस इसलिए देर हो गई और मैंने सोंच लिया था कि जब-तक मम्मी पापा हमको अपनाते नहीं है जबतक मैं अपने परिवार को नहीं बढाऊगी।
बिना नाना नानी के आशीर्वाद के मेरा बच्चा भी कैसे फल फूल सकता है । हां, हां बेटा तुम सही कह रही हो। बड़ों का आशीर्वाद हमको और हमारे भविष्य को महफूज रखता है ।जब मां बाप खुश नहीं तो हम बच्चे कैसे खुश रह सकते हैं ।
सुनील और मनीषा के दो बच्चे थे एक बेटा और एक बेटी। मध्यम वर्गीय परिवार था । सुनील जी रेलवे में सेकेंड क्लास अधिकारी थे । मनीषा हाउस वाइफ थी । बेटा मयंक बैंक में नौकरी करता था और बेटी मीता ग्रेजुएशन करके कान्वेंट में पढ़ा रही थी । दोनों बच्चे शादी के लायक हो गए थे वैसे तो मयंक बड़ा था
लेकिन मनीषा पहले बेटी की शादी करना चाहती थी । बेटी भी अट्ठाइस की हो रही थी । मनीषा जी का स्वास्थ ठीक नहीं रहता था ।तो बेटी मीता घर के कामों में मनीषा की बहुत मदद करती थी ।सुबह स्कूल जाने से पहले घर में झाडू पोंछा ,दोपहर के खाने की पूरी तैयारी करके और नाश्ता बनाकर रख देती थी और अपना टिफिन लेकर तब जाती थी ।
लौटकर आने के बाद रात के खाने का भी सबकुछ देखती थी ।घर के कामों में और सब चीज में मीता बहुत होशियार थी । लेकिन देखने सुनने में अच्छी नहीं थी ।रंग भी काफी लंबा था और मोटी भी थी और हाइट भी कम थी ।उसका रिश्ता कहीं हो नहीं रहा था घर में मनीषा और सुनील जी थोड़े चिंतित रहते थे ।
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मनीषा और सुनील ने बेटे के लिए रिश्ता देखना शुरू कर दिया ।उसका रिश्ता जल्दी ही हो गया । अंजलि , अंजलि से शादी हो गई मयंक की । अंजलि देखने सुनने में काफी अच्छी थी और सुंदर भी । मयंक भी बैंक में नौकरी करता था और देखने सुनने में भी काफी अच्छा था सो उसकी शादी जल्दी हो गई ।
अंजलि को अपनी सुन्दरता पर बड़ा घमंड था ।वो घर का कुछ काम नहीं करती थी । शुरू शुरू में तो ठीक था ंं नई नई शादी हुई थी और फिर दूसरे घर आने पर वहां का तौर तरीका सीखने में थोड़ा वक्त लग जाता है।तब तक मीता ही सारे घर के काम की जिम्मेदारी उठाती रही ।अब अंजलि की शादी को भी तो छै महीना बीत गया था । मीता और मनीषा को भी लगा कि अंजलि को घर के काम में थोड़ा हाथ बंटाना चाहिए। लेकिन अंजलि देखती कि मीता हर काम आसानी से कर देती है तो अंजलि ने घर के कामों में हाथ ही नहीं लगाया।
अब मीता को लगनें लगा कि भाभी दिनभर घर में आराम फरमाती है तो मैं ही क्यों सारे काम की जिम्मेदारी लूं तो घर के कामों में थोड़ा ढीला देने लगी ।अब सुबह सिर्फ अपना टिफिन बना कर मीता स्कूल चली जाती थी। लेकिन जब घर आती तो देखती कि घर के कामों में मम्मी ही लगी हुई है । उसने फिर एक दिन मम्मी से कहा मां अब भाभी को भी कहा करो काम करने को ।तुम क्यों लगी रहती है अकेले तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं रहती और मैं भी क्यों करूं सबकुछ अब वो भी करें न घर के काम। इतने में पीछे से अंजलि आ रही थी
उसने मां बेटी की बातें सुन ली तुरंत बोली अच्छा तो तुम भड़का रही हो मम्मी को और तुम घर के काम करती है तो इसमें तुम्हारी ही भलाई है अब इस शक्ल सूरत में तुमसे शादी कौन करेगा ।घर के काम धाम आते रहेंगे तो हो सकता इसी वजह से कोई तुमको मिल जाए जो तरस खाकर शादी कर ले । मीता और मनीषा को बहुत बुरा लगा ।हर वक्त मौके बेमौके अंजलि मीता का अपमान कर देती । मीता अपमान का घूंट पीकर यह जाती ।
आज स्कूल में खराब मूड से बैठी थी मीता । किसी काम से क्लर्क मनोज आया कुछ पेपर देने तो मीता का खराब मूड देखकर पूछने लगा क्या बात है मीता जी आज आपका मूड बहुत खराब है , नहीं कुछ नहीं , नहीं मुझसे कह सकती है । मीता भरी बैठी थी सो सबकुछ मनोज से कह दिया ।अब यह रोज का ही सिलसिला हो गया धीरे-धीरे मीता हर बात शेयर करने लगीं मनोज से और फिर धीरे धीरे दोनो में नजदीकियां बढ़ने लगी
। फिर एक दिन मनोज ने मीता के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया । मीता सोचने लगी क्या मुझसे भी कोई शादी कर सकता है । फिर मीता ने कहा ठीक है मैं अपने घर में बात करती हूं । लेकिन घर में मीता के मम्मी पापा ने साफ इंकार कर दिया कि वो हमारे बराबर का नहीं है । मीता ने की बार कोशिश की मम्मी पापा को समझाने की पर वो नहीं माने। मीता ने सोचा कोई तो रिश्ता मिल नहीं रहा है मेरे लिए फिर मीता ने बिना बताए
घर में मनोज के साथ कोर्ट मैरिज कर ली ।जब कोर्ट से शादी का र्साटिफिकेट घर आया तो मनीषा और सुनील को पता लगा कि मीता ने शादी कर ली।तो खूब हंगामा हुआ। मनीषा और सुनील ने मीता को मनोज के पास जाने से मना कर दिया।
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फिर एक दिन स्कूल गई मीता तो शाम तक लौटकर ही नहीं आई मनीषा ने फोन किया तो मीता बोली मैं अपने ससुराल में हूं ।शाम को मीता के पापा और भाई मीता के घर गए और मीता से बोले कि घर चलों इस शादी को खत्म करो तुम्हारी दूसरी जगह शादी कराएंगे। लेकिन मीता ने मना कर दिया। सुनील और मयंक मीता से गुस्से में बोली
आज कि हमारा तुम्हारा रिश्ता खत्म तुम अब घर मत आना।तब से आज पांच साल हो गए मीता मम्मी पापा के घर नहीं आती ।आप गुस्से में कितने ही दूर चले जाएं बच्चों से लेकिन मन से दूर नहीं हो पाते। इसी ग़म में मनीषा को एक दिन ब्रेन स्ट्रोक हो गया आधे शरीर में लकवा मार गया।वो वो मरते मरते बची । मीता को कहीं से पता चला तो मम्मी से मिलने को तड़प उठी । उसने मयंक को फोन किया तो उसने साफ मना कर दिया कि ं नहीं तुम नहीं आओगी ।
बड़ी मुश्किल से मनीषा को बचाया जा सका। फिर एक दिन किसी को बिना बताए और बिना फोन किए दनदनाती घर में आ गई मां से मिलने।सब भौचक्के रह गए । आते ही बोली ये मेरी भी मां है आप लोग मां से मिलने से नहीं रोक सकते ।और हां यदि मम्मी कह देगी कि तुमसे नहीं मिलना तो फिर मैं चली जाऊंगी और नहीं आऊंगी फिर।
बेटी को देखकर मनीषा अपने आपको रोक नहीं पाई और बेटी को गले से लगा लिया।मौन स्वीकृति मिल गई थी मीता को। बेटी से मिलने के बाद मनीषा के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा । डाक्टर ने भी जब इस बात की जानकारी ली तो उन्होंने कहा इनको पाज़ीटिव एनर्जी की जरूरत है इन्हें जो कुछ अच्छा लगता है वो करिए बेटी से मिलने दीजिए जल्दी ठीक होगी।अब भाई और पाप कुछ न बोल सके । अब मीता का दस पंद्रह दिन में चक्कर लगा जाता।
आज घर आते मीता को करीब आठ महीने हो गए थे ।और अब मीता प्रेगनेंट थी ।जब मां ने पूछा और पड़ोस में सलूजा आंटी ने पूछा तो मीता बोली अब जब सबकुछ नार्मल हो गया तो मैंने भी बच्चे को दुनिया में लाने का सोचा है । बिना मां बाप के आशीर्वाद के कैसे बच्चा फल फूल सकता है । मीता ने एक ग़लती तो की थी
लेकिन मां बाप के लिए प्यार और सम्मान भी था उसके मन में । अपने रंग-रूप को लेकर जो ग्लानि थी उसके मन में और अंजलि के तिरस्कार की वजह से मीता ने ऐसा कदम उठाया था। लेकिन यदि मीता अपने इस जीवन से खुश हैं तो फिर किस बात की चिंता। मीता के प्यार भरे स्पर्श से मनीषा के हालत में सुधार भी हो रहा था।और मीता के सिर पर मम्मी पापा का आशीर्वाद भरा हाथ भी आ गया है तो सबकुछ ठीक हो गया ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
28 नवंबर