लड़का लड़की दोस्त भी हो सकते है – संगीता अग्रवाल 

दोस्ती खून के रिश्तो से अलग ऐसा रिश्ता जिसमे कोई स्वार्थ नही होता। दोस्ती तो बूढ़े बच्चे मे , अमीर गरीब मे या लड़का लड़की मे भी हो सकती है।  एक सच्चा और प्यारा दोस्त है कई रिश्तो के बराबर है …आइये आपको एक प्यारी सी दोस्ती की कहानी सुनाते है।

” क्या रितेश मैं बिल्कुल ठीक हूँ तुम भी ना । मेरे बारे में सोचना छोड़ दो रितेश अगर इतना सोचोगे तो अपनी होने वाली पत्नी से कैसे न्याय करोगे!” अंकिता ने हंसते हुए फोन पर कहा।

” क्या यार अंकिता तुम भी ना कुछ भी बोलती हो पत्नी अपनी जगह है तुम अपनी जगह!” रितेश हंसता हुआ बोला।

” पर रितेश दुनिया ऐसी दोस्ती को नहीं मानती ये तुम भी जानते हो!” अंकिता गंभीर हो बोली।

” मुझे दुनिया की परवाह नहीं अंकिता मैने तुम्हारे बारे में संजना ( रितेश की मंगेतर) को भी बताया है और उसे हमारी दोस्ती से कोई एतराज़ नहीं, वो तो तुम यहां थी नहीं वरना तुम्हे मिलवा भी देता उससे!” रितेश बोला।

” कोई बात नहीं जल्द ही वापिस आ रही हूं मैं तब मिलेंगे तुम्हारी संजना से अभी रखती हूं बाय टेक केयर!” अंकिता बोली।

” बाय !” रितेश बोला और फोन काट दिया।

ये हैं अंकिता और रितेश बचपन की दोस्ती है दोनों की । बहुत से लोगों ने उनकी दोस्ती को गलत नज़रों से देखा पर उनकी दोस्ती पाक साफ रही हमेशा। अंकिता की दो साल पहले शशांक से शादी हुई थी शशांक भी दोनों की दोस्ती की इज्जत करता था। अंकिता अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुश थी और इधर रितेश के लिए रिश्ते देखे जा रहे थे। अचानक छह महीने पहले एक एक्सिडेंट में शशांक चल बसा और अंकिता की दुनिया उजड़ गई उस वक़्त रितेश ने एक दोस्त का फर्ज निभाते हुए अंकिता को संभाला तब अंकिता तीन महीने की गर्भवती थी । अंकिता यूं तो जॉब करती थी अभी फिलहाल बच्चे के जन्म पर अपने पीहर गई हुई थी क्योंकि वो यहां अकेले रहती थी और यहां उसकी देखभाल को कोई नहीं है। रितेश का आज ही संजना से रिश्ता हुआ था तो वो अंकिता को उसके बारे में बता रहा था।

” हेल्लो संजना मैं अंकिता !” पीहर से आ एक दिन मॉल में अंकिता संजना और रितेश से मिलने पहुंची।



” हेल्लो अंकिता कैसी हैं तो और आपका बेबी  !” संजना ने पूछा।

” मैं ठीक हूँ बेबी भी ठीक है । तुम ये बताओ तुम्हे ये मेरा पागल दोस्त कैसे पसंद आ गया!” अंकिता ने मजाक में पूछा।

” क्या यार अंकिता तुम भी ना।। कम से कम तुम तो मेरे बारेमे अच्छा बोलो आखिर बचपन की दोस्त हो तुम मेरी।  अच्छा ये बताओ लिटिल मास्टर को क्यो नही लाई तुम ?” रितेश ने पूछा।

” लिटिल मास्टर से तुम घर आकर मिलना अकेले बाज़ार लाने मे डर लगता है मुझे । मम्मा साथ आई हैं मेरे तो उनके पास है वो !” अंकिता बोली।

फिर इधर उधर की बातें और हंसी मजाक के बीच तीनों कॉफी और सैंडविच का मजा लेते रहे।

” चलो रितेश और संजना मैं चलती हूं तुम लोग एन्जॉय करो अब तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। संजना तुम दोनों परफेक्ट मैच हो और मेरा ये पागल दोस्त बहुत खुश रखेगा तुम्हे !” अंकिता संजना को गले लगाती हुई बोली।

 

” मुझे भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा अंकिता उम्मीद है हम दोनों की दोस्ती भी खूब जमेगी!” संजना रितेश को प्यार से देखते हुए बोली।

” बिल्कुल!” ये बोल अंकिता वहां से निकल ली।

कुछ समय बाद रितेश और संजना की शादी हो गई।

एक दिन संजना ने अंकिता को फोन किया और बोली… ” क्या बात है अंकिता जबसे हमारी शादी हुई है आप तो गायब ही हो गई हैं?”

” अरे संजना बस इस लिटिल मास्टर के इतने काम ऊपर से ऑफिस !” अंकिता ने बात संभाली।

” मुझे कुछ नहीं सुनना इस रविवार उसी मॉल में मिल रहे हैं हम जहां पहली मुलाकात हुई थी आपसे!” संजना ज़िद करते हुए बोली।

” ओके बाबा मैं आ जाउंगी !” अंकिता प्यारी सी संजना का प्यार देख बोली।

मॉल में अंकिता रितेश से थोड़ी कटी कटी रही ये बात रितेश् से ज्यादा संजना ने महसूस की।

” रितेश मुझे आइसक्रीम खानी है ला दो ना!” संजना रितेश को वहाँ से हटाने के उद्देश्य से बोली।

” ओके बॉस और अंकिता तुम भी अपनी फेवरेट चॉक्लेट आइसक्रीम खाओगी ना !” रितेश  बोला।

” नही नही अभी बेबी छोटा है इसलिए मैं आइसक्रीम नही खा रही अभी !” अंकिता एक दम से बोली। तो रितेश चला गया।


” क्या बात है अंकिता कुछ हुआ क्या?” संजना रितेश के जाते ही बोली।

” नहीं तो क्यों?” अंकिता हैरानी से बोली।

” तो आपने रितेश से दूरी क्यों बना ली ?” संजना अंकिता की आंखों में झांकते हुए बोली।

” नहीं… वो वो !” अंकिता इस सवाल के लिए तैयार नहीं थी।

” देखो अंकिता सच्चे दोस्त मुश्किल से मिलते है। अगर मेरे कारण तुम अपने दोस्त को यूं दूर करोगी तो मैं खुद को अपराधी समझूंगी मेरी कोई बात बुरी लगी तो मुझसे कहो!” संजना बोली।

” नहीं संजना तुम तो इतनी प्यारी हो पर अब रितेश की शादी हो गई लोग हमारे रिश्ते को गलत ना समझे अच्छा यही है हम एक दीवार बना ले इस दोस्ती में क्योंकि हमारा समाज लड़का लड़की की दोस्ती नहीं समझता अब तक ठीक था सब पर अब मैं एक विधवा हूं और रितेश की भी तुमसे शादी हो गई कोई हमारे रिश्ते पर उंगली उठाए मुझे नहीं मंजूर!” अंकिता एक सांस में बोल गई।

” लोगों की मुझे परवाह नहीं उनको जवाब देने को मैं हूँ वैसे भी फिर जब मुझे इस दोस्ती से एतराज नही तो लोगों का क्या। बस आपसे मेरी हाथ जोड़ विनती है ये दूरी बना आप इतने प्यारे रिश्ते को मत तोड़िए प्लीज़!” संजना ने सच में हाथ जोड़ दिए।

” खुशकिस्मत है रितेश जिसे तुम जैसी लड़की मिली वर्ना कोई और होती तो कोशिश करती कि उसका पति अपनी महिला मित्र से दूर रहे !” अंकिता उसका हाथ पकड़ते बोली।

” क्या बातें हो रही हैं मेरी बुराई तो नहीं!” तभी रितेश वहां आ बोला।

” हां संजना बता रही तुम बहुत खराब हसबैंड हो !” अंकिता  हंसते हुए बोली।

” अरे अरे हम तो अपनी बीवी से इतना प्यार करते फिर खराब क्यों!” रितेश संजना का हाथ पकड़ कर  बोला।

” ऐसे ही प्यार करते रहना मेरी दोस्त को वरना तुम्हारे कान पकड़ कर उठक बैठक लगवाऊंगी!” अंकिता रितेश के कान पकड़ती बोली और तीनों हंस दिए ।

संजना के चेहरे पर संतोष था कि इस प्यारी दोस्ती को तोड़ने की वो वजह नहीं बनेगी । अंकिता को ये संतोष था कि संजना की समझदारी ने उसका दोस्त तो वापिस लौटाया ही बल्कि संजना के रूप में एक नया दोस्त भी मिल गया।

दोस्तों यही होता हमारे समाज में लड़का लड़की की दोस्ती गलत नजर से देखी जाती जबकि ऐसा नहीं है लड़का लड़की दोस्त भी हो सकते।

उम्मीद है आप मेरी बात से इत्तेफ़ाक रखते होंगे।

 

आपकी दोस्त

संगीता

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