“लापरवाही” – मीनाक्षी राय

आज मैं एक कहानी लिख रही हूं जो कि हमारे घर की आम जिंदगी पर है,,,, और एक ऐसी लड़की की,,,,,जो अपनी जिंदगी में कितनी लापरवाह है ,,,,उसके बारे में मैं आप सब को बताना चाहती हूं |

‘अदिति और आद्या’ मीराजी और कैलाशजी की दो बेटियां हैं,,,अदिति बडी है घर मे और आद्या छोटी है,,,,, अदिति बिल्कुल अल्हड सी कोई जिम्मेदारी नही और घर के कामकाज मे भी मन नही लगता उसका ,,,,,मीराजी के समझाने पर कहती,,,,, माँ छोडो ना तुम भी पूरे दिन परेशान करते रहती हो,,,,

यह कहकर बात को टाल देती,,,,, वही उसकी छोटी बहन आद्या एक जिम्मेदार लड़की है,,,, और उसे पढ़ने में भी मन लगता है,,,,वह घर के कामकाज मे माँ  का भी हाथ बटाती,,,,,पर अदिति उसे तो बस घूमना फिरना पसंद था और बाकी समय में उसको सोना पसंद था |

दोनो बडी हो जाती है दोनो की शादी होजाती है,,,,दोनों ससुराल जाती हैं,,,,, अपने व्यवहार से आद्या  अपने ससुराल में सबका दिल जीत लेती है ,,,,,पर आदिति वैसे के वैसे ही रहती है,,,,,,वह शादी के रात सोते समय अपने गहने उतारकर अलमारी में रखने के बजाय तकिए के नीचे रख कर सो जाती है,,,,,,


और सुबह जब तैयार होती है तो उसमें से उसके बहुत सारे गहने टूटे हुए रहते हैं.,,,,,,,,अब तो उसको वह काटो तो खून नहीं,,,,,,पर सासु के पूछने पर कहती है वो गहने भारी लग रहे थे इसलिए हल्के पहने है,,,,,,  उसके सास ससुर बहुत अच्छे हैं, पर अदिति अपनी लापरवाही की वजह से अपनी गृहस्थी अच्छे से नही संभाल पाती |

अदिति घर के समान को भी सहेज कर नही रख पाती,,,जिसकी वजह से सब्जी हो या रसोई मे उपयोग होने वाले समान सब जल्दी ही बर्बाद हो जाते,,,,,जो जरूरी होता वह करके फिर सो जाती,,,,,, पूरा घर फैला रहता,,,,,, घर के सामान भी बर्बाद हो रहे थे,,,, और जो रोज के समान जो आते वो  ऐसे ही पड़े रहते,,,,, और खराब भी हो जाते,,,,, अब उनके घर में बचत कम होने लगा

और खर्च बढ़ गए ,,,,,,,अदिति की माँ  जब भी उससे मिलने आती इधर-उधर फैले समान को देखकर अदिति को समझाती,,,,, बेटा देखो अपनी छोटी बहन को वह कितना घर सजा संवार कर रखती है और तुम पूरे घर में सामान फैला कर रखती हो और तुम्हारी वजह से यह सामान भी सारे जल्दी खराब हो जाते हैं पर वह अपनी मां की बातों को अनसुना कर देते ऐसा ही चलता रहा अब घर का खर्च भी बढ़ गया और अदिति केपति का बचत  भी कम होने लगा क्योंकि पैसे घर में ज्यादा खर्च हो जाते |

आदिति के पति जो घर बैंक से ब्याज पर पैसे लेकर लिया था उसका मासिक शुल्क भी अब नही दे पा रहा था,,…और इधर अदिति भी  मां बन जाती है ,,,,,,,खर्च और भी बढ जाता है,,,, और उपर से कोरोना जैसी महमारी मे   अदिति के पति की नौकरी भी चली जाती है,,, वही पर आद्या की जिन्दगी बहुत खुशहाल चल लही थी,,,,,अब तो अदिति को घर चलाना बहुत मुश्किल हो गय,,., उसने अपनी माँ  को अपनी सारी परेशानी बताती है,,,,,,तो उसकी माँ  उसको घर बुलाती है,,,.पर अदिति का फति साथ नही आता है |


अब अदिति के सास सससुर अपने बेटे के लिए एक रेस्तरा खोल देते है,,,,धीरे धीरे उसका काम अच्छा चल जाता है,,,,, तो वह अदिति और अपनी बेटी को वापस बुला लेता है,,,,, अदिति फिर वैसी की वैसी ही रहती है,,,जब  बेटी का स्कूल में दाखिला का समय आता है,.. तो एक साधारण विद्यालय में नामांकन कराने की बात होती है,,,,जो अदिति को बहुत बुरी लगती है,,,,क्योंकि उसकी बड़ी बहन की बेटी शहर के एक बड़े विद्यालय में पढ़ती है

 वह अपने पति से नाराज हो जाती है उसका पति उसकी माँ उसकी मां को बुलाता है ,,,,,और वह अदितिके हरकतों के बारे में बताता है ,…….कहता है कि कुछ भी ढंग से नहीं कर पाती है ,…..ना घर संभाल पाती है ,,,,और अपने समान और गहने भी इधर उधर रख देती है,,,, जिसके कारन समय  आने पर दुबारा मुझे खरीदना पडता है,… जिससे घर का खर्च इतना बढ़ गया कि कुछ हो ही नहीं पाता,,,,,माँ अदिति को समझाती है कि अदिति तुम बात को समझने की कोशिश करो,,,,पति सिर्फ  पैसे कमा कर घर ला सकता है

घर औरत की समझदारी से चलता है ,……चीजों को संभालकर रखना सीखो,,,, एक घर स्वर्ग जैसा सुंदर तभी बनता है ,…जब एक औरत चाहती है,,,.. देखो तुम्हारी बहन को |

अदिति को अब बाते समझ मे आ जाती है कि घर औरत संभाल कर और सहेज कर चलना औरत की जिम्मेदारी होती है.,..तभी घर घर जैसा लगता है ,….लोग अपनी बेटी के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं ,,..वह आज से अब वह बचत करना सीखेगी और घर को संभाल कर रखेगी|

मीनाक्षी राय की कलम से एक छोटी सी कोशिश है आम जिन्दगी को दर्शाने की,,,,,,…..”लाफरवाही” की वजह से अदिति की जिन्दगी कितनी मुश्किल हो जाती है|

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!