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क्या वो भूतनी थी? –   प्रीति सक्सेना

जहां तक याद है मुझे सन 1982 की बात है…. हम उन दिनों टीकमगढ़ में थे.. सिविल लाइंस में हमारा निवास था!! वैसे तो टीकमगढ़ जिला है, बाजार काफी अच्छा था फिर भी खरीददारी के लिए ज्यादातर सभी झांसी जाया करते थे!! हमारे बाजू वाले बंगले में पापा के सहयोगी एक डिप्टी कलेक्टर की फैमिली रहती थी, अच्छे पारिवारिक सम्बंध थे हमारे बीच!! उन दिनों घर के काम करने के लिए चपरासी आया करते थे, एक दिन हमारे घर के चपरासी और बाजू वाले अंकल के घर के चपरासी बड़ी गहन वार्ता में लीन दिखे, लग रहा था बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है, हमें भी उत्सुकता होने लगी कि आख़िर माजरा क्या है… फिर क्या.. मम्मी के कान में यह बात डाली, मम्मी ने सभी को बुलाया… पूछा तो पहले तो हिचकिचाए फिर जो बात उन्होने बताई वो इस प्रकार है!!

अंकल आंटी अपने परिवार के साथ शॉपिंग और पिक्चर देखने झांसी गए थे, लौटते हुए काफ़ी रात हो गई… कृष्ण पक्ष चल रहा था स्वाभाविक है अंधकार जरूरत से ज्यादा गहरा था!! उन दिनों छोटी सरकारी जीप होती थीं, पीछे से खुली रहती थीं! आगे ड्राइवर के साथ अंकल बैठे थे, पीछे आंटी अपने तीनों बेटों और अपनी भाभी के साथ थीं!! सूनी रोड भयंकर अंधेरा, झींगुरों की तेज़ आवाज़ कभी किसी पक्षी की फड़फड़ाहट वातावरण को डरावना बना रही थी!! कभी कभी कोई बड़ा सा पक्षी अपने बड़े बड़े पंख फड़फड़ाकर गाड़ी के सामने से उड़ जाते, उस समय डर की अधिकता से दिल की धड़कनें बढ़ जाती, और भगवान से प्रार्थना करते वो सभी कि जल्दी से सुरक्षित अपने घर पहुंच जाएं!! जीप तेज़ गति से भागी जा रही थी, करीब 11 बजे होंगे.. ड्राइवर ने देखा एक लंबी चौड़ी औरत काली साड़ी में सिर पर पल्ला किए हुए बीचोबीच सड़क पर, धीरे धीरे चली जा रही है, ड्राइवर के हॉर्न पर हॉर्न देने के बाद भी टस से मस नहीं हो रही, ड्राइवर ने उसे बचाते हुए टर्न लिया और साइड से गाड़ी निकालकर भगा ली, आंटी को उत्सुकता हुई कि आख़िर है

कौन ये महिला…… जैसे ही उन्होंने पलटकर उस औरत की तरफ़ देखा….. उसकी एक आंख दिखी बाकी चेहरा पल्ले से ढका हुआ था, उसने एक हाथ आगे बढाया वो हाथ… आंटी ने बिल्कुल अपने पास महसूस किया… वो बुरी तरह चीखी और बेहोश हो गईं, उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करवाया …….जो हम दोनों के घर के सामने ही था!! ड्राइवर को, अंकल ने धमकी दी……ये बात बाहर जाना नहीं चाहिए, इसलिए फैली नहीं, पर हम लोग बहुत बुरी तरह डर गए, कि उस हादसे के बाद, दहशत के कारण शाम पांच बजे तक ही झांसी से टीकमगढ़ आ जाया करते थे!! आप सभी का प्रश्न होगा कि इतनी विस्तृत जानकारी हमें कैसे पता चली ? तो, आंटी ने ही मम्मी को बताई ठीक होने के बाद !! विज्ञान के इस आधुनिक युग में इन बातों पर यकीन करना बहुत मुश्किल होता है पर जिज्ञासु मन अभी भी इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है…… आख़िर वो थी कौन??

प्रीति सक्सेना इन्दौर

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