क्या आप अपनी पत्नी की मदद करते हैं ???? – सुषमा यादव

 समाचार पत्र में एक खबर पढ़ी थी, जिसमें अमीर लोग घर का काम बड़े ही शौक से करते हैं,,

कोई घर का राशन लाना पसंद करता है तो किसी को रसोई में घुस कर खाना बनाना पसंद है,तो

कोई घर का कचरा डालना चाहता है, दुनिया के तमाम अरबपतियों को अपने किचन से बेहद लगाव है, अपने खाली समय में उन्हें घरेलू काम करना बहुत ही अच्छा लगता है,

ज्यादातर अमीर लोग अपने बच्चों को सीख देने और उनके सामने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए ऐसा करते हैं, ताकि वो परिश्रम का मोल समझें और उनमें पैसों का घमंड ना आए,

बहुत से अरबपति इसे अपने परिवार और बच्चों के साथ एक आत्मीय रिश्ता बनाये रखने का जरिया मानते हैं 

, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल कुछ प्रसिद्ध लोग भी परिवार के साथ रात को डिनर के बाद बर्तन साफ करते हैं, उन्हें अपने परिवार के लिए खाना पकाना बहुत अच्छा लगता है, अधिकांश अरबपति अपने गार्डन की सफाई करना पसंद करते हैं,

ये समाचार पढ़ने के बाद मुझे अपने दामाद की याद आ गई, मैं जब जब भी पेरिस जाती हूं, अपने दामाद जी की कार्य शैली देख कर अभिभूत हो जाती हूं,

मेरे दामाद पेरिस में एक बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर हैं, ये सारी आदतें और शौक़ उनमें विद्यमान हैं,, मेरे और मेरी दोनों बेटियों के होते हुए वो जब भी समय मिलता है, रसोई में सबकी पसंद के नये नये व्यंजन बना कर हम सबको परोसते हैं, मुझसे कहते हैं, मम्मी सुबह आप हमारे पसंदीदा व्यंजन बनाया करो, और शाम को आपकी रसोई से छुट्टी,

मैं शाम को आफिस से आकर खाना बनाऊंगा,, यदि कभी शाम को कुछ बनाने लगी तो दोनों बेटियों की शामत आ जाती है,, क्या मम्मी सारा दिन किचन में ही घुसी रहें,, मैं तो सच में बहुत ही खुश हो जाती थी,, यहां अपने देश में तो नौकरी भी करो, बच्चे भी संभालों, और घर का पूरा काम भी देखो,,इस उम्र में मुझे बहुत सुख चैन मेरे दामाद से नसीब हुआ,,




यही नहीं, एक बार हम सब बाहर कई दिनों के बाद घूम कर वापस लौट कर आए तो मेरी बेटी ने कहा, मम्मी,आप आराम करो, मैं झट से खाना बनाती हूं, बड़ी बेटी खाना बनाने लगी, छोटी बेटी घर की सफाई में लग गई, और दामाद जी फटाफट बर्तन साफ करने लगे,, मैं भाग कर आई, अरे बेटा, आप ये क्या कर रहे हैं,, छोड़िए मैं धो लेती हूं, वो बोले, नहीं मम्मी,, यहां तेरा मेरा नहीं चलता है,हम दोनों ही नौकरी करते हैं, तो हम दोनों को ही मिल कर काम करना चाहिए,, यहां किसी का काम बंटा हुआ नहीं है,

कुछ काम है जो वो स्वयं करना पसंद करते हैं, जैसे, कचड़े वाले को भाग कर कचड़ा देना, सबके कपड़े वाशिंग मशीन में धोना, प्रति रविवार गार्डन की सफाई करना,घास की कटिंग करना, बेटी को स्कूल छोड़ने जाना, कपड़े प्रेस करना और हां घर की वैक्यूम क्लीनर से सफाई भी करना,,हर शनिवार रविवार को हम सबको लांग ड्राइव पर ले जाना, सबमें मेरी पसंद का विशेष ध्यान रखा जाता है,,

मैं सोचती हूं इतनी बड़ी पोस्ट पर होते हुए भी इनको जरा भी घमंड नहीं है, उनके अधीनस्थ पूरी कंपनी ही है,, यहां इंडिया में तो हम मामूली नौकरी में भी अपना रुतबा दिखाने से बाज नहीं आते,

घर का काम तो घर की पत्नी के ही जिम्मे होता है।

एक बार मैंने यूं ही इस बात का जिक्र अपने स्कूल में किया तो अन्य शिक्षिकायें तो बहुत खुश हुईं कि वाह,आपके दामाद जी तो बहुत ही समझदार हैं, परंतु एक शिक्षिका बोली, आपने अपनी बिटिया को कैसे संस्कार दिए हैं, कि वो अपने पति से घर का काम करवाती है, बर्तन तक धुलवाती है, इसके पहले मैं कुछ कहती, बाकी स्टाफ ने उनको धो दिया,, यही सब बातें हमें अपने समाज में अपने परिवार में भी सुनने को मिल जाती है, अरे,जोरू का गुलाम है,,




अभी भी कुछ लोग ये कहानी पढ़ कर मुझसे नाराज़ हो जायेंगे, तरह तरह के कमेंट्स करेंगे,पर यदि कहीं से हमें प्रेरणा दायक, शिक्षा प्रद, कुछ सीखने को मिल जाता है तो हमें अपनी सोच बदल कर सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए,।

आपकी थोड़ी सी मदद आपकी घर, बाहर पिसती हुई पत्नी को बहुत सुकून दे सकता है, कुछ नहीं तो कम से कम थकी हारी पत्नी, मां को एक कप चाय ही बना कर पिला सकते हैं, फिर देखिए उनके दिल में आपके लिए कितना प्यार अपनापन उमड़ता है,हम सब तो वैसे ही अपने पति से ज्यादा काम करवाना पसंद नहीं करते और ना ही लड़कों और घर के अन्य पुरुष सदस्यों से, क्यों कि हमें बचपन से ही ये घुट्टी पिलाई जाती है,, परंतु अब समय के साथ साथ हमें चलना ही चाहिए,, ताकि उन सबकी सेहत बिगड़ने पर बाद में पछताने और हाथ मलने के सिवाय आपके बस में कुछ नहीं बचेगा,,

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ, प्र

स्वरचित मौलिक 

#बेटियां, जन्मोत्सव,पंचम कहानी 

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