किसी से ना कहना – सुषमा यादव

सोनाली  बहुत दिनों से भयंकर खांसी से परेशान थी, खांसते खांसते अधमरी हुई जा रही थी,सब घरेलू, एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक दवाइयां का ली,पर कुछ असर नहीं होता,

डाक्टर को दिखाया, एक्सरे, ब्लड टेस्ट हुआ, रिपोर्ट देखते ही डाक्टर हड़बड़ा कर बोले,आप तुरंत ही अपना इलाज बाहर जा कर कराईये, सोनाली ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, क्यों, डाक्टर साहब आप मेरा इलाज करिए ना, बाहर क्यों जाऊं।

डाक्टर ने नज़रें नीची कर के कहा, मैं क्या, यहां कोई भी आपका इलाज नहीं कर सकता।

वो मन ही मन बोली,आप कह नहीं पा रहे हैं,पर मैं तो सब जानती हूं। 

वो गाड़ी में आकर बैठ गई,उसका धीरज अब ज़बाब देने लगा। वो फूट फूटकर रोने लगी। कहां जाऊं, किसके पास जाऊं, पति है नहीं, बेटियां बाहर। किसको परेशान करूं।

घर आई, बेटियों ने तुरंत वीडियो काल किया, क्या हुआ, क्या निकला रिपोर्ट में। रोते हुए उसने बताया, छोटी बेटी बोली, मम्मी,आप ध्यान से मेरी बात सुनो। आपके बीमारी और पहले के रिपोर्ट के बारे में डाक्टर को कुछ नहीं पता है, इसलिए उन्होंने ऐसा कहा,आप जानती हैं कि बिना कोई लक्षण दिखे बगैर आपका इलाज शुरू नहीं हो सकता। मैं लगातार डाक्टर के संपर्क में हूं। बड़ी बेटी बोली, मम्मी,आप परेशान ना हों,हम दोनों आपके साथ रहेंगे, आपका पूरा इलाज करायेंगे।  आज़ दो वर्ष से ऊपर होने जा रहा है,अभी तक तो कोई लक्षण दिखे नहीं हैं। ठीक है बेटा, और उसने फोन रख दिया।




सोनाली सोचते सोचते दो साल के बीते हुए अपने कल में चली गई।

इस करोना महामारी ने जाने कितनों को लील लिया था। अब भी याद आता है तो दिल दहल जाता है, रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

सोनल ने बहुत सतर्कता बरती,पर वो भी इसकी चपेट में आ गई,

अकेली थी, बेटी अपने पास ले गई, तुरंत कोविड सेंटर में भर्ती किया, तरह तरह के टेस्ट हुए,

सब डॉक्टर्स ना जाने क्या आपस में खुसर फुसर करते। सोनल को कुछ समझ नहीं आ रहा था। बस सारे शरीर में टटोल कर देख रहे थे।

एक डॉक्टर ने आगे बढ़कर कहा,आपके गले में ये गठान कब से है, उसने कहा, करीब चार पांच सालों से, आपने अपनी बेटी को क्यों नहीं बताया, दर्द नहीं होता इसलिए।

चूंकि बेटी भी डाक्टर थी और उसकी ड्यूटी भी वहीं पर थी, उसे बुलाया गया, वह आकर बोली, मां,अब तक आपने क्यों नहीं बताया, इसमें बताना क्या,जब तकलीफ़ होती है, दर्द होता है, तभी तो इलाज भी होता है ना।

सबने कुछ विचार विमर्श किया और उसे आपरेशन थियेटर लेकर गए, गले के पीछे की गांठ को निकाल दिया,पर आश्वस्त नहीं हुए।

बेटी ने बड़े अस्पताल ले जाकर मां को दिखाया, फिर से ब्लड टेस्ट करने को कहा।




टेस्ट में ब्लड ही नहीं निकल रहा था, सोनाली बोल पड़ी, अरे,इतने दिनों से एक दिन में तीन तीन बार ब्लड निकाल रहें हैं,शीशी भर भर कर, तो कहां से ख़ून निकलेगा।

सब हंसने लगे, पर बेटी खामोश नजरों से मां को देखती रही, कुछ परेशान और चिंतित लग रही थी।

जब वो रिपोर्ट लेकर अपनी मां को साथ लेकर डाक्टर के पास दिखाने ले गई, वहां भी डाक्टर ने रिपोर्ट देखते ही उसकी जांच शुरू कर दी,  कहां कहां गठानें हैं, बुखार आती है, कभी आपका ब्लड कहीं से गया है, खुजली होती है, सोनल ने इंकार में सिर हिलाया। नहीं, ऐसा कुछ नहीं होता है।

डाक्टर ने बेटी से कहा, इन्हें बाहर बिठा दीजिए, उसने सोचा, मुझे बाहर क्यों बिठाया, ऐसा क्या गोपनीय बात है, ख़ैर,,

काफी देर में बेटी आकर बोली, मम्मी, आपको पानी पीना है, कुछ खाना है,पर वो नजरें चुरा रही थी, मां के सिर को प्यार से सहला रही थी।

मां ने मुस्कुराते हुए कहा, आज़ मां पर बड़ा प्यार आ रहा है, दोनों घर वापस आ गईं।

कुछ दिनों बाद एक दिन बेटी आकर मां से लिपटते हुए बोली,

मम्मी, मुझे आपसे कुछ कहना है।

सोनाली मुस्कराते हुए बोली, हां हां बेटा,कहो ना, वैसे भी घर में चारों तरफ़ सन्नाटा है, खामोशी पसरी हुई है,ना जाने क्यों, तुम कुछ बोलती नहीं हो, अस्पताल गईं और चुपचाप लैपटॉप में लग जाती हो,




वो, वो मम्मी, उसकी जबान हकला रही थी,, मम्मी, आप मेरी बात ध्यान से सुनना, आप बिल्कुल भी चिंता मत करना, मैं हूं आपके साथ, वो आपको,आपको,,,

सोनाली ने हंसते हुए कहा,बेटा, जो तुम कह नहीं पा रही हो, मैं कह देती हूं, मुझे एक गंभीर बीमारी है, मुझे सब पता है,

आपको सब पता है, आश्चर्य से बेटी ने पूछा, पर कैसे, मैंने तो अभी किसी को भी नहीं बताया।

सोनाली बोली,जब डॉक्टर ने मुझे बाहर भेजने को कहा, तो मेरा मन शंकित हो गया, मैंने सारी बातें दरवाजे की ओट से सुन ली थी।

जल्दी से अपने आंसू पोंछ कर चुपचाप आकर बैठ गई।

ना तुमने कुछ कहा,ना मैंने कुछ कहा,बस अंदर ही अंदर हम दोनों इस दर्द को सहते रहे, और घुटते रहे।

बेटी ने मां को गले से लगा लिया और कहा आप जानती है उस बीमारी का नाम,

सोनाली ने कुछ पल खामोश रहने के बाद कहा,, ब्लड कैंसर,,

ओह, मां आप कितनी साहसी और हिम्मती हैं,कितना धैर्य है आपके पास। बीस दिनों से आप सब सह रहीं हैं अकेले, मुझसे कहा तो होता, अकेले दर्द सह रहीं थीं, 

बेटा कुछ राज दिल में भी रहना चाहिए, तुम भी तो अकेले ही सब पीड़ा झेल रही हो।

दोनों मां बेटी गले लग कर रोती रहीं, बेटी दिलासा देती रही। आंसुओ के बांध आज भरभरा कर टूट गये।




कुछ देर बाद जब दोनों के दिल हल्के हो गये तो सोनाली ने कहा,

बेटा, एक बात मेरी मानोगी,बोलो मां, मुझसे वादा करो कि ये बात तुम किसी से भी नहीं कहोगी,

बस मेरे और तुम्हारे बीच ही रहना चाहिए,

पर क्यों मां,,, नहीं बेटा, मुझे किसी की हमदर्दी नहीं चाहिए,जो भी होगा, देखा जायेगा।

ठीक है मम्मी।

सोनाली ने दर्द को छुपाते हुए कहा,, हां बेटा,, किसी से ना कहना,,

,,जब तक मेरे अंदर ये बीमारी रुपी राक्षस,नाग जैसे फन उठाए बाहर निकल कर फनफनाता नहीं है,तब तक मुझे इस खुशनुमा जिंदगी को बेहतरीन तरीके से इंजॉय कर लेने दो,, क्या पता कल हो ना हो,,

बेटी ने कहा, हां मम्मी, बिल्कुल, सही कहा आपने।।

दोस्तों,आपकी क्या राय है इस बात पर। मुझे आपकी प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। 

#जन्मोत्सव पर प्रथम रचना।#

सुषमा यादव प्रतापगढ़ उ प्र

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

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