खुशियों की जड़ें – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मां कल हम लोग होटल जाएंगे ….स्कूल से आते ही नमन ने बैग एक तरफ रखतेहुए उत्साह से कहा तो पूर्वी ने खाना गर्म करते हुए पलट कर  प्रश्नवाचक दृष्टि उसकी तरफ डाली।

क्यों मेरे हाथ का खाना तुझे अच्छा नहीं लगता क्या !!पूर्वी ने उसकी थाली लगाते हुए कहा।

नहीं मां कल न्यू ईयर पार्टी होगी ना मेरे सभी दोस्त जा रहे हैं वहां ऑर्केस्ट्रा भी होगा बहुत बढ़िया बढ़िया खाना भी मिलेगा डांस भी होगा…. अति उत्साह से कल्पना करते पुत्र को पूर्वी ने टोक दिया हां और टिकट भी खरीदना पड़ेगा…..!

टिकट…!!नमन खाना खाते खाते रुक गया।

हां होटल में बुकिंग करवानी पड़ेगी अपने कस्बे में यही एकमात्र होटल है ।न्यू ईयर के मौके के लिए उन्होंने अपने रेट चार गुने बढ़ा दिए हैं जो हम लोगों की सामर्थ्य से बाहर हैं नमन…और वैसे भी बेटा हम लोग तो हर साल घर पर ही कितना अच्छा न्यू ईयर मनाते हैं तेरी दीदी केक बनाती है रिंकी का डांस पापा की कविताएं ….

….और मम्मा के हाथ का सुपर डुपर गाजर हलवा विथ मटर कचौरी आहा आहा सच में मम्मी आपके हाथ का खाना लाजवाब होता है रिंकी ने मम्मी की बात बीच में ही काटते हुए कहा।

……और हमारे हीरो भाई का लाजवाब डांस तो न्यू ईयर की खुशी का असली कारक होता है मिनी दीदी ने भी बात जोड़ते हुए उत्साह से कहा हमे किसी होटल की दिखावटी बातों पर खुद की खुशी के लिए मोहताज होने की जरूरत ही नहीं है हम तो घर में ही ….

…..इसका मतलब हम लोग होटल नहीं जाएंगे यहीं घर में न्यू ईयर मनायेंगे… मेरे सब दोस्त होटल जा रहे हैं…. सब मजा करेंगे हम लोग इतने गरीब क्यों हैं मां..!!नमन रूआंसा हो गया था । खाना छोड़कर उठ गया था।

गरीब वाली बात नहीं है बेटा ये तो फिजूल खर्ची है पिता सुहास ने उसके पास आकर समझाते हुए कहा।

आपको तो बस हमेशा पैसे बचाने के बहाने चाहिए अरे पापा रुपए होते ही काहे के लिए हैं खर्च करने के लिए ,मजे करने के लिए आप सच में बहुत कंजूस हैं पापा अब मैं टिकट के लिए आपका मोहताज हो गया नमन नाराज हो गया था।

बेटा नया साल प्रेम ,शांति खुशी से घरवालों के साथ मनाना चाहिए । खुशियां किसी होटल की मोहताज नहीं होती।ये कस्बे का छोटा होटल है यहां ऐसा माहौल नहीं रहता वहां दिखावा होता है हुल्लड़ होता है मै बस यही कहना चाहता था पापा ने बहुत शांत स्वर में उग्र होते पुत्र को समझाना चाहा था।

मेरी खुशियां तो होटल की ही मोहताज है पापा आप लोग मनाइए घर में ….मुझे तो बस होटल ही जाना है ।हुल्लड़ नहीं कहते है उसे पापा वही असली तरीका है न्यू ईयर मनाने का आपकी उमर हो गई है आप नहीं समझ सकते।मैंने कह दिया नहीं तो मैं अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकलूंगा … पैर पटकता नमन अपने कमरे में चला गया था और भड़ाक से दरवाजा बंद कर लिया था।

नमन …ये किस तरह से बाते कर रहा है तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या पूर्वी सन्नाटे में थी दोस्तों के चक्कर में तू अंधा हो गया है।

सुहास को अपने पुत्र की इस हरकत पर क्रोध तो बहुत आया लेकिन उन्होंने जब्त कर लिया।अगले वर्ष कॉलेज जाने वाले पुत्र की बातें ,घरवालों की उपेक्षा उग्रता एक पिता के दिल को अंदर तक व्यथित कर गई।

पाश्चात्य संस्कृति  किस कदर हावी हो रही है आज की युवा नसों में वह इस बात से वाकिफ थे।इसीलिए अपनी जिद पूरी करवाने के पुत्र के कुतर्कों और आवेशित हरकतों को वह बढ़ावा नहीं देना चाहते थे।

तुरंत होटल की पार्टी का एक टिकट अपने जिद्दी बेटे के लिए मंगवा लिया उन्होंने और बेटे को दे दिया था लो बेटा तुम्हारी खुशी इसमें है तो तुम वहीं जाओ और पार्टी मनाओ पर हममें से कोई नहीं जाएगा कहते हुए टिकट थमा आ गए थे।

घर में सब बेहद दुखी हो गए थे नए साल की होने वाली तैयारिया रुक सी गईं थीं।

लेकिन इन सबसे बेखबर ..नमन बेहद खुश था उत्साहित था ।उसे तो अपने दोस्तों के साथ मजे करने थे शान मारनी थी।

“देख देख रिंकी ये जैकेट मुझ पर बढ़िया लग रही है ना!!आज तो मेरा जैकेट डांस सबके होश उड़ा देगा..नमन प्रफुल्लित सा जैकेट पहनकर छोटी बहन को दिखा रहा था।

भैया मुझे नहीं पता अपने दोस्त से ही पूछ लो चिढ़ते हुए रिंकी का जवाब सुन वह जोर से हंस पड़ा ।

तू चिढ़ रही है मुझे पता है तू यहीं मनाना घर में सड़ा हुआ न्यू ईयर वही मां के हाथ का बेस्वाद खाना खाते रहना और दीदी के हाथ का बना वही बेकार सा केक काट लेना मैं तो चला हंसता हुआ नमन शाम होते ही घर से निकल गया था अपने दोस्तों के पास होटल में।

ऑर्केस्ट्रा शुरू होने वाला था ….बहुत रौनक थी तरह तरह के बिजली के लट्टू जगमग हो रहे थे श्वेत वसन में सजी धजी भव्य मेजें भांति भांति के सुस्वादु पकवानों से भरी हुई थी।नमन तो वहां की चकाचौंध में खो ही गया ।उसके पहुंचते ही उसके दोस्तों ने उसका जोरदार स्वागत किया और एक बड़ी सी टेबल पर ले आए।

नहीं नहीं मैं शराब नहीं पीता नमन अचकचा गया जब उसने उस मेज पर ढेर सारी वाइन की बॉटल्स देखीं।

अरे तो क्या पियेगा आज न्यू ईयर की पार्टी है सत्यनारायण की कथा नहीं हो रही है इन्हीं सबके लिए तो हमने इतना महंगा टिकट लिया है आज का। अच्छा हुआ परिवार का कोई साथ नहीं है क्यों साहिल …जोर से कहते हुए राकेश ने गिलास भरने शुरू कर दिए…।

हां सही कहा भाई तूने आ जाओ आ जाओ आज अपना ही दिन है इससे बढ़िया न्यू ईयर कभी नहीं मनाया होगा किसी ने आगे बढ़कर एक गिलास उठाते हुए साहिल ने चीयर्स बोला तो नमन के मुंह से आवाज नहीं निकल पाई।

वह जल्दी से डांस फ्लोर की तरफ बढ़ गया।उसने देखा सैकड़ों लोग उससे भी बेहतर जैकेट पहन के डांस कर रहे हैं कोई किसी को नहीं देख रहा था सब अपने आप में मस्त थे।किसी ने उसकी जैकेट ना ही डांस पर तिल मात्र भी ध्यान दिया.. नई जैकेट पहनकर  डांस करने का उसका सारा उत्साह बाढ़ के पानी सा उतर गया था ।

खाने की टेबल पर ढेरों डिशेज भरी पड़ीं थीं पर उसे मां के हाथ के खाने का स्वाद याद आने लगा था..।

वह तो दोस्तों के साथ होटल का बढ़िया खाना खाने और ऑर्केस्ट्रा पर डांस करके अपना रंग जमाने आया था ।

सहसा ही उसे दीदी की बात याद आने लगी मेरे हीरो भाई का डांस….!!पापा के शब्द सुनाई देने लगे घरवालों के साथ ही न्यू ईयर प्रेम शांति और खुशी से मनाना चाहिए अपने घर में जो है बढ़िया है ।

अभी वह सोच ही रहा था कि राकेश ने उसके मुंह से गिलास लगा दिया पी ले यार वैसे तेरे मक्खी चूस पिता जी ने तेरे लिए इतनी महंगी टिकट कैसे मंगा दी…. ही ही करके हंसता राकेश आज नमन को दुनिया का सबसे निकृष्ट व्यक्ति लग रहा था।

झपट कर राकेश का हाथ उसने जोर से खींचा तो गिलास नीचे गिरकर टूट गया।

“..राकेश खबरदार जो मेरे पिता के बारे में कुछ ऊंट पटांग कहा वह मेरे पिता हैं मेरा ख्याल रखते हैं समझे।मैने कहा है ना मैं ये सब   नहीं पीता उसने सख्त लहजे में कहा तो राकेश ने उसे धक्का देते हुए चीख कर कहा जब ये सब नहीं पीता तो यहां आया ही क्यों जा यहां से तू यहां के लायक ही नहीं है।

राकेश के धक्के से नमन मुंह के बल टेबल से टकरा कर नीचे गिर पड़ा तब तक बाकी लड़के आकर हो हल्ला करने लगे अपशब्दों का धुआंधार प्रयोग होने लगा।

नमन का सिर घूम गया था। उसने भी पलट कर राकेश को जोर से धक्का दे दिया ….राकेश नीचे गिर पड़ा उसे चोट आ गई वह आपे से बाहर हो गया था… झगड़ा बढ़ता देख होटल वालों ने पुलिस बुलवा ली।पुलिस को देख लड़कों में अफरातफरी मच गई जिसको जहां जगह मिली वहां से भाग निकला।

नमन भी गिरते पड़ते अपने घर भाग गया था।जैसे ही वह घर पहुंचा उसे मां की प्रार्थना करने और पूजा की घंटी की आवाज सुनाई पड़ने लगी इन आवाजों ने उसे नए साल के आगमन की सूचना दी लेकिन उसकी हिम्मत खत्म हो चुकी थी वह पापा के पास पहुंचते ही चक्कर खा कर नीचे गिर पड़ा।

जब उसकी आंख खुली तो अपना सिर पापा की गोद में पाया।मां चिंतित और दुखी सी उसका हाथ पकड़ कर बैठी मिली।भैया उठो ना केक काटो कहती रिंकी रोती मिली और दीदी पानी का गिलास लाती दिखी।

ये होता है घर और घरवालों का साथ।इन सबके साथ मुझे जो खुशी मिलती है उसकी एक प्रतिशत भी वहां होटल में महसूस नहीं हुई नमन ने पापा का दुलार भरा स्पर्श अपने सिर के बालों पर महसूस करते हुए सोचा।

हैप्पी न्यू ईयर पापा हैप्पी न्यू ईयर मां जोर से कहता हंसता नमन उठ बैठा तो घर में खुशी की लहर दौड़ गई।

भैया तुमको क्या हो गया था जोर से कह रिंकी उससे आकर लिपट गई और रोने लगी।

जा मेरा केक लेकर आ उसने उसे हल्की चपत लगाते हुए कहा तो वह कूद कर पूरा केक उठा लाई भैया आप नहीं थे तो केक काटने का मन ही नहीं हुआ अब आप आ गए हो तो आप ही काटो रिंकी की बात सुन उसकी आँखें भर आईं।

बड़ी आई भैया से केक कटवाने वाली चल हम दोनों मिलकर काटेंगे केक..  केक कटा… हैप्पी न्यू ईयर की समवेत खिलखिलाहट से घर गूंज उठा।

मां आज आपने क्या क्या बनाया है खाने में गाजर का हलवा तो बना ही होगा हमेशा की तरह नमन ने आंसू बहाती मां का हाथ पकड़ कर कहा तो मां ने उसे लिपटा लिया हां बेटा बनाया है सब कुछ तुम लोगों की ही पसंद का बनाया है लेकिन …

लेकिन क्या मां नमन ने उन्हें रुकते देख कर पूछा।

वो तेरे होटल के खाने जितना स्वादिष्ट तो नहीं होगा ना.. मां ने धीरे से कहा तो नमन शर्मिंदा हो गया।

मां तुम्हारे हाथ के खाने में जो स्वाद है वह कहीं नहीं है मुझे होटल में बिल्कुल मजा नहीं आया मै कभी नहीं जाऊंगा पापा ठीक कहते हैं नया साल घरवालों के साथ  प्रेम से मनाने में ही असली खुशी मिलती है।वास्तव में मां खुशियां किसी होटल या बाहरी दिखावे की मोहताज नहीं होतीं ये तो मां के हाथ के बने खाने में होती हैं रिंकी के हाथ से केक खाने में मिलती हैं और पापा की गोद में सिर रखने से मिलती हैं

और दोस्तों के साथ …. नहीं मिलती.. पापा ने चुहल की तो नमन शर्मिंदा हो गया।

मुझे माफ कीजियेगा पापा मैंने बेकार की जिद की इतने रूपये उड़ा दिए वास्तव में वहां का माहौल घर जैसा बिल्कुल नहीं था.. नमन शर्मिंदगी से कहता जा रहा था…

चलो आ जाओ सब लोग भगवान को हाथ जोड़ो दिया जलाओ नए साल का स्वागत करो नए वर्ष में सभी को नई खुशियां मिलें …. मां ने पूजा घर से जोर से आवाज दी तो सब पूजा घर में हाथ जोड़ कर  प्रार्थना के लिए खड़े हो गए।

और फिर होगा मेरे हीरो भाई का जैकेट डांस न्यू ईयर में मिनी दीदी के कहते ही सबकी जोरदार तालियां बजने लगीं थीं और नमन सारा अवसाद और चोट भूल कर नए उत्साह से अपनी जैकेट पहनकर तैयार होने लगा था..।

पापा और मां अपने पुत्र में एक नए सुखद परिवर्तन को महसूस कर खुशी से गदगद हो रहे थे।

लेखिका : लतिका श्रीवास्तव

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