ख्वाब बनकर रह गया : माताजी का घर – गुरविंदर टूटेजा

अप्रकाशित

    छोटा सा गाँव वहाँ माताजी का भरा-पूरा परिवार…लोग कहते थे स्वर्ग देखना है तो माताजी के घर चलें जाओ…सच स्वर्ग ही तो था जो इतनी आसानी से लुप्त हो गया…!!

  पिताजी-माताजी के तीन बेेटे व एक बेटी सबके अपने परिवार बड़े बेटा-बहू के चार बच्चे…दो बेटे व दो बेटियाँ ….मँझले बेटा-बहू के दो बच्चे…एक बेटा व एक बेटी…सबसे छोटे बेटा-बहू के एक बेटी…तीनों भाईयों की लाडली बहन का बहुत संपन्न परिवार में विवाह हुआ था…उनके भी एक बेटा व एक बेटी है…!!

  माताजी सबके जन्मदिन पर हलवा प्रसाद जरूर बनाती थी..दादाजी को हलवा बहुत पंसद था तो वो कहते थे बेटा ! माताजी को बोलो आज दादाजी का जन्मदिन है और फिर सबको हलवा खाने का मजा आ जाता था…कोई भी अजनबी भी आता था तो वो कभी खाना खाये बिना नहीं जाता था और साथ में कोई गाना, चुटकुला व कविता भी सुनाते थे बच्चे और जो आता उसे अपना बना लेतें थे..!!

  छुट्टियों में जब बुआ आती तो घर का माहौल ही बदल जाता…दादाजी की बनायी जीप में टाली लगानी पड़ती थी इतना सारा सामान होता था..पहुँचने वाली होती थी जब बुआ तो सारा परिवार स्वागत में लाईन से खड़ा होता था…एक बार ऐसा हुआ कि बुआ ऊपर आ गयी और बोली आज तो कमाल हो गया पहली बार मेरा कोई अपना नहीं था जब मैं अपने मायके पहुँची तो…सबकी आँखों में पानी आ गया कि जैसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी…!!


 गर्मियों की छुट्टियों में जब तक बुआ रहती सब छत पर साथ सोते थे और रात का खाना भी वही खाते थें..छ: बजे सबसे पहले पानी का मटका छत पर रखतें थे फिर खाने का सामान बच्चे लेकर जातें थे… सब खाना खाते…गेम्स खेलते…गाना गाते बहुत मस्ती करते थे..सच में अलग ही आंनद आता था सही में ज़िन्दगी जीतें थे…!!

  एक बार तो तेज आवाज में गाने लगाकर सब डांस कर रहे थे तो कोई आ गया उन्होने पूछा कोई आज कोई कार्यक्रम है क्या तो माताजी ने हँसतें हुये कहा कि…अरे नहीं ये तो सब साथ है तो खुशी मना रहे है..वो भी बहुत खुश गये खुशी मनाने का ऐसा अंदाज देखकर..!!

  फिर जाने किसकी नज़र लग गयी खुशीयों को.. पहले बड़ा बेटा दुर्घटना में चल बसा…फिर दादाजी,छोटा बेटा व बहू एक साल में तीन मौत हुई थी परिवार में सब हिल गये थे…बस सब बिखर गया…खत्म हो गया…सब अलग हो गये और माताजी का घर जहाँ कभी स्वर्ग होता था अब वीरान हो गया था…ख्वाब बनकर रह गया था माताजी का घर…आज मैं माताजी की पोती छोटे बेटे की बेटी बैठी सोच रही थी कि काश! फिर से वो वक्त वापस आ जाये व हम साथ में खिलखिलायें…!!

 गाना चल रहा था…

कोई लौटा दे मेरे बीते हुये दिन…

बीते हुये दिन वो मेरे प्यारे पलछिन..!!!!

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

 

 

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