कौन अपना कौन पराया – डा.मधु आंधीवाल

अमित अस्पताल के बिस्तर पर बेहोश पड़े थे । इतना भंयकर एक्सीडैन्ट हुआ कि उनकी बाइक को देखकर कोई यह नहीं सोच सकता कि इसका सवार जिन्दा बच गया होगा । उनके जेब की डायरी से एक नं मिला उस पर घर लिखा हुआ था । वह नं .डा. ने मिलाया उधर से आवाज आई हलो आप कहां हो इतनी देर हो गयी । घर कितनी देर में आ रहे हो । डा. ने पूछा मैडम आप कौन उसने कहा मै अलका अमित जी की पत्नी हूँ । डा.ने कहा अलका जी आपके पति का ऐक्सीडैन्ट होगया हालत सीरियस है आप तुरन्त सिटी हास्पिटल पहुँचिये । अलका और अमित दोनों अकेले रहते थे । दोनों बेटियों की शादी हो गयी 

थी । एक ही बेटा था वह विदेश में ही शादी करके वहीं बस गया। रह गये दोनों अकेले इस शहर में । अलका रोते हुये बाहर निकली उसकी कुछ समझ नहीं आरहा था । दोपहर का समय कोई वाहन भी नहीं दिखाई दे रहा था । 

        अमित और अलका ने जिस जगह मकान बनवाया वह लोअर क्लास बस्ती थी । यहां जगह सस्ती थी तब यहीं खरीद कर मकान बनवा लिया । अमित एक अच्छी सरकारी नौकरी में थे इसलिए किसी से सम्बन्ध रखना पसंद नहीं करते थे । बच्चे तो और अधिक नकचढ़े थे । अलका आँसू पौंछते हुये चल रही थी । 

उसी समय एक बाइक आकर रुकी देखा बस्ती में ही रहने वाला छुटकन था जिसे अमित बिलकुल पसंद नहीं करते थे । 

कहते थे पूरी बस्ती के लड़को का दादा है । सारे दिन निठल्ला सा गुन्डागर्दी करता रहता है । वह बोला आन्टी क्या बात है आप इस दोपहरी में कहां जा रही हो रोते हुये । अलका ने झिझकते हुये बता दिया ।




 वह बोला मेरे साथ बैठो अलका  ने कुछ सोचा और उसके साथ बैठ कर हास्पिटल आगयी । अमित जी को तुरन्त आईसीयू में भेजा गया । अलका रोये जा रही थी । इतनी देर में छुटकन ने बस्ती में अपने दोस्तों को फोन कर दिया । 15-20 मिनट में ही कुछ दोस्त और बस्ती की महिलायें आगयी । महिलाओं ने अलका को संभाला और कहा आप परेशान ना हो हम सब लोग हैं सब सही होगा । छुटकन के दोस्त भाग दौड़ कर दवा आदि की व्यवस्था कर रहे थे । चार दिन बाद अमित जी को थोड़ा होश आया ।

 बस्ती के  लोगों ने अलका जी को अकेला महसूस नहीं होने दिया ‌। आज अमित जी को आईसीयू से निकाल कर रूम में भेज दिया । अलका जी उनके पास बैठी थी । जब उन्होंने ने बस्ती के लोगों के सहयोग के बारे में बताया तो अमित जी को समझ आया कि स्तर पैसे से नहीं दिल से आंकना चाहिये । 

आज अमित जी को छुट्टी मिली थी उन्होंने देखा छुटकन की मित्र मन्डली बाहर गाड़ी लेकर खड़े हैं। सबने उनके पैर छुये उनकी आंखों में नमी थी जैसे ही गाड़ी बस्ती में आई सब महिलायें उनका हाल चाल पूछने आगयी ।

 घर पहले से ही उनकी कमला बाई ने सजा दिया था । जब वह घर में घुसे तो देखा पड़ोस की रमा ताई खाना मेज पर लगा रही थी । इन रमा ताई से अमित जी की दो तीन बार उनकी गाय को लेकर कहा सुनी हो गयी थी । आज सबका स्नेह देख कर अमित और अलका रो पड़े । छुटकन ने अमित जी के पैरो में बैठ कर कहा काहे अंकल इतने बड़े परिवार के होते आप रो रहे हैं हम सब आपका ही परिवार हैं । 

#एक_रिश्ता

स्व रचित

डा.मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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