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काश बड़ी बहू से भी इतना प्यार किया होता – वर्षा गुप्ता

रागिनी•••रिया जल्दी आओ ,,ये देखो पापाजी तुम दोनों के लिए कितनी सुंदर अंगूठियां लेकर आए हैं••

रसोई में काम कर रही दोनों ही बहुएं बाहर अपने सास ससुर के कमरे में आ गईं•••

रिया का पहला करवाचौथ है न ,,,इसलिए हमने  सोचा कि उसके लिए कोई अच्छा सा उपहार लिया जाए,,बाकी जेवर तो अभी शादी में बहुत सारे ही बनवाए थे,,एक जड़ाऊ अंगूठी तब रिया के लिए नहीं बन पाई थी,,इसलिए मैने ही पापा से बोल कर मंगाई है•••

अब काम बाद में होता रहेगा,,चांद निकलने ही वाला होंगा, जाओ तुम दोनों पहले तैयार हो कर पूजा कर लो,,फिर सब एक साथ ही खाना खाएंगे••

दोनों ही बहुओं को अंगूठी सौंपते हुए सत्यवती (सास)जी ने कहा••

रिया इस घर की छोटी बहू है,,जिसकी शादी को अभी बस दो महीने ही हुए हैं•••अपने पहले करवाचौथ पर सास ससुर से इतना महंगा तोहफा प्यार स्वरूप पाकर उसकी तो  खुशी का ठिकाना ही नहीं था, उसने तुरंत ही अपने मायके फोन घुमा कर अपनी मां से अपने नए घर और ससुरलवालों की खूब तारीफ करी.

वहीं दूसरी तरफ रागिनी की शादी को पांच साल हो चुके हैं,, जबसे उसे सत्यवती जी ने अंगूठी थमाई है,उसे उसकी जरा सी भी खुशी नहीं थी,,, रह रह कर उसके दिमाग में बस अपनी देवरानी रिया को लेकर जलन होने लगती है.

पांच साल हो गए हैं मेरी शादी को. ऐसे पांच करवाचौथ निकल गए पर मुझे तो आजतक कभी किसी तीज त्यौहार पर कभी कोई उपहार नहीं दिया और अब जब लाडले बेटे की लाडली बहू आ गई है,,तो उपहार आने शुरू हो गए,रागिनी ने भी तुरंत ही फोन घुमा कर अपनी मां को सारी बात बता दी•••

दो बहुओं के हो जाने से ऐसी छोटी मोटी बातें तो घर में होती ही रहती हैं.

अभी तो शुरुवात है,आगे चल कर ऐसे बहुत से मोड़ आएंगे,

तुम घर की बड़ी बहू हो,थोड़ा बड़प्पन दिखाओ और वैसे भी समधन जी ने अकेले रिया के लिए तो उपहार नहीं मंगाया ,साथ में तुम्हारे लिए भी ठीक वैसे ही अंगूठी मंगाई गई है तो मुझे नहीं लगता तुम्हे कोई परेशानी होनी चाहिए,

चांद निकल आया है जाओ पूजा करो और इन सब बातों को अपने दिमाग में मत लाया करों,,वरना नुकसान सिर्फ तुम्हारा होंगा,,रागिनी की मां ने बोल कर फोन काट दिया••

हां,सब मुझे ही गलत समझते हैं,,मां कम से कम तुम तो अपनी बेटी की भावनाओं को समझती,मुझे उपहार से परेशानी नहीं है, मुझे दुख इस बात का है कि अभी तक अपनी बड़ी बहू के लिए कोई उपहार आज तक क्यों नहीं आया••रागिनी ने रोते रोते अपने आप से कहा•••

तभी••

भाभी आप अभी तक तैयार नहीं हुईं, चांद निकल आया है…जल्दी कीजिए,सब लोग आपका बाहर इंतजार कर रहे हैं•••

सब लोग घर के पूजा कर के खाना खा चुके थे.

मां ,,सारे दोस्त काफी के लिए कैफे जा रहे,मैं और रिया भी साथ होकर आते हैं,थोड़ी देर में आ जाएंगे••छोटे बेटे आकाश ने सत्यवती जी से कहा••

सब समझती हूं मैं,  सारे दोस्त जा रहे हैं या तू अपनी पत्नी को कहीं ले जाना चाहता है, सत्यवती जी ने हंसते हुए कहा,,जल्दी घर आना और बहू से बोलना सारे जेवर उतार कर जाए••••

उन दोनों के घर से जाने के बाद सत्यवती जी ने रागिनी को अपने कमरे में बुलाया•••

कोई परेशानी है क्या??बड़ी बहू••

शाम से ही तुम्हारे चेहरे पर शिकन देख रही हूं,,

पहले से ही भरी रागिनी अपने गुस्से पर काबू न कर पाई और वो रोने लगी••

मां, इन पांच सालों में आपने एक पल भी मुझे कभी ये महसूस नहीं होने दिया कि मैं अपने माता पिता से दूर किसी एक नए घर में आई हूं,,हमेशा मुझे एक बेटी से ज्यादा ही प्यार किया,फिर ये देवरजी की शादी हो जाने के बाद इस तरह का भेदभाव क्यों ???आपने पहले तो कभी मुझे किसी त्यौहार पर कोई उपहार आदि नहीं दिया,,फिर अब क्यों???

सत्यवती की पारखी नजर जो शाम से महसूस कर रही थी,,वही बात सच निकली.

उन्होंने रागिनी को अपने पास बिठाया और कहा•••

मैंने कभी भी अपने दोनो बच्चों में अंतर नहीं किया तो फिर उनकी बहुओं में क्यों करूंगी, ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं किया गया,,

जिससे इन पांच सालों में तुम्हारे पास छोटी से ज्यादा जेवर न इक्कठा हो जाएं, जो भी हो तुम दोनों के पास बराबर ही रहे •••

माता पिता कभी अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करते,,मुझे पूरी उम्मीद है,,कि तुम्हे अपने सारे प्रश्नों का उत्तर मिल गया होंगा,,,

जाओ , थक गई होंगी अपने कमरे में जाकर आराम करों•••

पर रागिनी उसकी आखों में से नींद कोसों दूर थी•••

मैंने इस घर को अपने पांच साल दे दिए,उसका कोई एहसान ही नहीं…अरे अगर कोई छोटी मोटी चीज दे भी होती तो कौनसा पूरा जेवरों से कुआं भर जाता•••सब दिखावा है,,रागिनी मन ही मन बड़बड़ाए चली जा रही थी•••

रागिनी ने अभी कमरे में कदम रखा ही था कि पीछे से सोहम ने आकर उसकी आंखे बंद कर दी,, करवाचौथ मुबारक हो धर्मपत्नी जी,,रागिनी मुड़ कर पीछे देखती उससे पहले ही सोहम ने उसके गले में एक सुंदर सी चेन पहना दी••••

ये•••••

रागिनी चौंक पड़ी••ये तो••

इससे पहले वो कुछ बोल पाती,,सोहम ने बोलना शुरू किया•

हां ,,,यह वही चेन है,,जो तुम्हे छोटे की शादी के जेवरों की  खरीदारी करते समय बहुत पसंद आई थी, तब ही मां ने इसे तुम्हारे लिए खरीद लिया था और किसी मौके पर देने ले लिए रख लिया था.

आज मौका भी है,दस्तूर भी,

आपका पसंदीदा तोहफा हाजिर है,सोहम ने घुटने पर बैठ का अपने हाथ को रागिनी की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

रागिनी की आंखों में से आंसू आने लगे, मुझे माफ कर दीजिए सोहम…मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई,मैने मां पापा को कितना गलत समझ लिया, मैं भूल ही गई की इतने सालों में उन्होंने भले ही मुझे कोई तोहफा खुद से न दिया हो पर हर साल , हर त्यौहार ,हर जन्मदिन,हर सालगिरह पर तुम मेरे लिए कोई न कोई निशानी जरूर लेकर आते हो,,

और वह सब मेरा खुद का होता है,, जोकि इसी घर से मुझे मिलता है.

मां पता नही मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी•••रागिनी ने रोते हुए कहा.

उसकी चिंता तुम्हे करने की कोई जरूरत नहीं है,,मां अपनी बड़ी बहू को खुद से भी ज्यादा अच्छे से पहचानती हैं,और वह खुद भी इस दौर से गुजर चुकी हैं,,तो उनसे ज्यादा इन सब बातों को इतने अच्छे से कोई नहीं समझ सकता•••सोहम ने रागिनी की आंखों में लुढ़क आए आंसुओं को पोंछते हुए कहा•••

मुझे,,इस बार आइसक्रीम खिंलाने नही ले चलेंगे,, मिस्टर हसबैंड,,रागिनी ने हंसते हुए कहा•••

जी!! बंदा तो कब से आपकी खिदमत में हाजिर है,,दोनो एक साथ मुस्कुराए और घर से निकल गए!!!

दोस्तों•••ये एक नही शायद हर संयुक्त परिवार की कहानी है,,अगर घर के बड़े सही हो तो कभी रिश्तों के बीच किसी भी प्रकार की अनबन होने की संभावना ही नहीं होती,,,आप सब मेरी इस बात से कहा तक सहमत है,,अपनी राय मुझे कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखे,,,।

आपकी दोस्त

वर्षा गुप्ता।।

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