जो मेरे साथ हुआ वो तुम्हारे साथ नहीं होगा… – मीनाक्षी सिंह   : Moral stories in hindi

मम्मी जी…. इतनी जल्दी जल्दी मुझे कहां लेकर जा रही है ??? 

बहू सविता चंडी बनी सास ज़मुनी  से बोली…… 

आज मैं करके रहूँगी जो सोची हूँ…. बहुत सह लिया  अत्याचार तूने बच्ची……….. 

सास कसके बहू का हाथ पकड़े पुलिस थाने आ गयी….. 

ये तो थाना है माँजी…. आप ठीक तो है ??? 

कहां ले आयीं है आप मुझे…. 

सविता हाथ छुड़ाते हुए बोली…. 

चुपकर चल अन्दर ….. 

बहू को जबरन अंदर लेकर आ गयी ज़मुनी जी….. 

का बात है ??? 

सबेरे सबेरे ये लाल चेहरा लिए काहे आयी हो पुलिस थाने अम्मा  …..?? 

थानेदार बोला….. 

साहब…. ये मेरी बहू सविता है और मैं इसकी सास जमुनी….. 

माँ जी…. आज तक घर की बात घर तक ही रही…. आप ही तो कहती थी आज तक हमारे घर की औरतें थाने नहीं गयी तो फिर आज क्यूँ …. चलिये घर ….. 

सविता ज़मुनी जी के आगे गिड़गिड़ाने लगी….. 

इसी कारण आज तक तेरा ससुर और पति अत्याचार करते रहे हम पर …. खुले सांड से घूमते रहे….पर  अब नहीं….. 

सविता आँखें नीची कर बैठ गयी…. 

बात बता अम्मा…… टाइम खराब मत कर मेरा…. और भी कहीं जाना है …… तेरे लिए ही नहीं बैठा रहूँगा….. 

थानेदार चाय पीता हुआ बोला….. 

तो सुन रे थानेदार….. मेरी बहू को ब्याह के आये 7 साल हो गए…. इसका पति राकेश रोज इसे बेल्ट,,,डंडे, चिमटे  से मारता है …. शराब पीता है …. बाहर की औरतों से भी गलत सम्बंध है उसके…. गाली गलौज करता है मेरी बहू के साथ ….. 

तो अब तक क्यूँ ना आयीं रपट कराने अम्मा…. अब तक मार खाते हुए तेरी बहू पक्की हो गयी होगी….. अब का फायदा….. इसका पति तेरा बेटा भी तो है …… 

थानेदार बोला…. 

ऐसे बेटे को तो फांसी भी हो जायें तो भी ना रोऊँ मैं …

 मेरे खसम ने मेरे साथ भी पूरा जीवन ऐसा ही बर्ताव करा पर लोक लाज के भय,, बच्चों की खातिर चुप रही…. पर जो मेरे साथ हुआ वो मैं अपनी फूल सी मासूम बहू के साथ कभी ना होने दूँगी थानेदार…… कैसी हंसती हुई आयीं थी मेरे आंगन में ये चिरईया ….. इसकी हंसी से पूरा घर खिलखिला जाता था…. पर कुछ ही बखत में मेरी बच्ची की हंसी तो जैसे गायब ही हो गयी…. बस इसकी सिस्कियां सुनायी देती पूरी रात…… बेचारी सुबह उठ उफ भी ना करती….. आंगन बुहारने लग ज़ाती….. 

ज़मुनी जी बहू के सर पर हाथ फेर बोलती जा रही थी…. 

ये सब मेरी ही गलती की सजा मिल रही इसे….. अगर ये कदम मैं अपने  खसम के अत्याचारों के लिए उठाती तो शायद मेरा कपूत ऐसा ना होता….. अब मेरा शुबू (पोता) भी अपने बापू को देख यही सीखेगा…… जो मैं अब ना होने दूँगी ……. 

कड़ी से कड़ी सजा दे थानेदार मेरे खसम और बेटे को….. 

एक बार और सोच ले अम्मा…. कई धारायें लगेंगी दोनों के खिलाफ … जीवन भर जेल ही के ही चक्कर काटेंगे ….. तू और तेरी बहू कैसे गुजारा करेगी अकेले …… 

बता रपट लिखूँ य़ा नहीं…… ?? 

बहू सविता ज़मुनी जी की तरफ देख रही थी…. ज़िसके  हाथ पिछले रात की मार से ज़ख्मों से भरे थे…… 

अबेर कर दी थानेदार सोचने में…. तू फांसी की भी सजा सुना दे दोनों को तो भी कम है ….. 

थानेदार उठा….. बाकी पुलिस वालों के साथ जाकर दारू के ठेके पर बैठे बापू बेटे को घसीट लाया….. 

का कर रहे  ?? 

का करा है हमने… छोड़ साले….. 

सविता का पति खुद को छुड़ाते हुए बोला…. 

तेरी महरारू और महताई ने रपट लिखायी है तुम दोनों बापू बेटे की… 

वो देख सामने खड़ी है ….. 

रुक इसकी तो…. सविता का पति भागता हुआ सविता के पास आया… उसके बाल खींचने वाला था… उस से पहले ही ज़मुनी जी ने बेटे का हाथ पकड़ उसकी पीठ पर दो चार डंडे दे मारे….. 

अम्मा तू मुझे मारेगी?? 

मारूँगी ही नहीं जान  ले लेती तेरी तो …. पर मुझे जेल हो जाती तो मेरी बच्ची और शुबु का का होता बस इसलिये ही रुक गयी…. 

तुझे तो देख लूँगा ज़मुनी….. आने दे बाहर…. दो चार दिन से तेरी पीठ लाल ना  की ना इसलिये जबान खुल गयी है  तेरी….. 

ज़मुनी जी का पति गुस्से में बोला…. 

ज़मुनी जी पास आयीं… अपने पति के मुंह पर जोर से थूक दिया …… 

तू इसी लायक है ….. जा यहां से…… 

थानेदार दोनों को ले गया…. 

ज़मुनी जी और सविता की आँखों में आंसू तो थे…. 

अगले दिन सविता बोली…. माँ जी…. कोई साग ना है घर में …??

का बनाऊँ?? 

तेरी अम्मा ज़िन्दा है …. 

साग ,,रोटी ,,दही सबका इंतजाम करेगी…. 

अगले दिन से ज़मुनी जी चूड़ी के कारखाने में काम करने लगी… 

बहू सविता के कई बार कहने पर भी उसे कारखाने में काम न करने दिया….. उसकी आगे की पढ़ाई पूरी करायी ….. 

सविता ने बी. ए कर लिया …… 

उसकी मेहनत रंग लायी…… रेलवे में उसे तृतीय श्रेणी की नौकरी मिल गयी….. 

ज़मुनी जी को ये ख़ुशी बताते ही,,,,एक मुस्कान के साथ सविता और शुबू के सर पर हाथ रख,,,वो दुनिया से विदा हो गयी….. 

सच्ची घटना पर आधारित 

मीनाक्षी सिंह की कलम से 

आगरा

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