प्रिया की शादी का दूसरा दिन था। सुबह का समय जेठानी जी फर्श पर बैठी हुई थी ननद रसोई में नाश्ता बना रही थी अचानक ननद प्रिया के पास आई ,उसे आंगन में ले गई और ऊंचे स्वर में प्रिया से कहने लगी कि….
“भाभी ने हमारे लिए बहुत किया है वो मां के समान है कभी कोई ऐसा काम मत करिएगा जिससे उनको दुख हो”
उनका ऊंचे स्वर में बोलना प्रिया समझ रही थी की जेठानी जी को सुना रही है…..उनकी नजरों में अच्छा बनने के लिए।
बारह दिन बाद जेठानी जी जेठ जी के साथ बड़ौदा चली गई।उनके जाते ही ननद ने जेठानी जी की बुराई करना शुरू कर दिया।
“उनको अपशब्द बोलते हुए कहने लगी कि भाभी ने मुझे शादी में जेवर नही दिया सब पैसा दबाकर रख लिया”
प्रिया उनकी बातें चुपचाप सुन रही थी।वह उनकी बुराई करती जाती और कहती मैं आपको इसलिए नहीं बता रही हूं कि आप उनसे लड़ाई करें….वैसे जेठानी देवरानी में कोई रिश्ता नहीं होता।
यह सिलसिला कई सालोतक चलता रहा।एक दिन तो उन्होंने हद कर दिया।
“बोली भाभी ने मुझे जेवर नही दिया ! प्रिया ने कहा क्या पिता जी ने भी नही दिया? बोली नही….फिर अचानक गुस्से में तमतमाते हुए अपशब्दों के साथ बोली उसने मुझे जेवर नही दिया…..क्या मैं नंगी जाती ससुराल…ये तो कहिए मेरे ससुराल से जेवर आया था और कुछ न्योता-हकारी में मिल गया था जिसे पहनकर मैं ससुराल गई”
ससुर जी के देहांत के बाद प्रिया बनारस गई भांजी की शादी की तैयारी करवाने के लिए। प्रिया और भांजी बाजार से खरीदारी करके घर आ गए खाना खाने बैठे थे……तभी भांजी ने बताया कि मौसी के सभी जेवर यही से बने थे यह सुनते ही प्रिया के होस उड़ गए…….
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प्रिया ने भांजी से पूछा पैसे किसने दिए? उसने बताया मौसी ने। प्रिया ने कहा वो कैसे?भांजी बोली मम्मी नानी से मिलने के बहाने जाती थी तब मौसी चुपके से मम्मी के हाथ मे पैसे पकड़ा देती थी।
सबकुछ जानने के बाद प्रिया चुप रही।नन्द की सब बातें प्रिया के कानो में गूंजने लगी…. उसके सिर में दर्द होने लगा। प्रिया अब अपने घर वापस आ चुकी थी। कुछ दिनों बाद बड़े नन्दोई प्रिया के घर आए ….. नन्दोई के खाना खाने के बाद प्रिया ने नन्दोई जी से जेवर के बारे में पूछा। उन्होंने सबकुछ विस्तार से बता दिया।
प्रिया अब यही सोच रही थी कि इतने सालों तक वह मुझसे झूठ क्यों बोलती रही।हो न हो इसके पीछे उसकी कोई गहरी चाल थी।या तो वह प्रिया को भावुक करके कोई किमती चीज हासिल करना चाहती थी या फिर जेठानी से झगड़ा करवाना चाहती थी।
“खैर प्रिया अभी भी रिश्ते को बचाने के खातिर चुप रही। किसी को भनक तक ना लगने दी। परन्तु भांजी की शादी के बाद नन्द ने कुछ और ऐसी हरकतें कर दी की मन घृणा से भर गया।”
प्रिया ने अब ठान लिया की अब वह अपने पति को सबकुछ बता देगी। यदि अब नही बताया तो वह आगे चलकर और भी बहुत कुछ कर सकती है।
प्रिया यह बात अच्छे से समझ गई थी की जो औरत इतना बड़ा झूठ बोल सकती है वह पुछने पर मुकर जाएगी। इसलिए प्रिया ने अपने पति को बताने से पहले उनके बच्चों की सौगंध खाई और सारी बात बता दिया।
यह सुनते ही पति आग बबूला हो गए गुस्से में उन्होंने नन्द को फोन किया और पूछा क्या तुमको शादी में जेवर नही मिला था? उधर से जवाब मिला की मिला था सभी जेवर बनारस से बने थे यह सुनते ही पति को बहुत गुस्सा आया और फिर उन्होंने फोन रख दिया।रात हो गई थी सब लोग सो गए।
प्रिया अब अच्छे से समझ गई थी की इस घर में यह औरत सबसे अधिक खतरनाक, चालबाज और झूठी है।वह सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसने जेठानी जी को कुछ भी नही बताया।
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यदि बता दिया होता तो उनके सामने भी पूछने पर वह मुकर जाती और मैं झूठी साबित हो जाती…. जेठानी देवरानी में लड़ाई होती…भाई भाई में लड़ाई हो जाती…..पति भी उस समय मुझे ही झूठा समझते ।वह तो अच्छा बनकर एक किनारे हो जाती……परिवार में लड़ाई होती रहती।
“प्रिया को इस बात की तसल्ली है की उसके पति भी नन्द की हरकतों को देख कर सब समझने लगे हैं और दुख भी है की इतना घिनौना खेल खेल रही थी”
मुझे आप लोगों की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
VM