छोटे से गाँव में रहने वाला मोहन, एक साधारण आदमी था। उसके जीवन में कुछ खास नहीं था, लेकिन उसके दिल में सपने और इच्छाएँ थीं। वह गाँव में अपने माता-पिता के साथ रहता था और खेतों में काम करता था। उसके पास बड़े-बड़े सपने थे, लेकिन हालातों की बंदिशों ने उसे अपनी जड़ों से बंधे रखा। मोहन हमेशा सोचता था कि जिंदगी और भी बड़ी और खूबसूरत हो सकती है, लेकिन समय,
परिस्थितियाँ और जिम्मेदारियाँ उसके सपनों के सामने एक दीवार की तरह खड़ी रहती थीं। मोहन का दिन रोज की तरह शुरू होता था। सुबह-सुबह उठकर वह खेतों में काम करता, दिनभर सूरज की तपिश और मेहनत की थकान के बीच वह अपना जीवन बिताता। उसकी माँ बीमार रहती थीं, और पिता उम्र के साथ कमजोर हो चुके थे। घर की जिम्मेदारी मोहन के कंधों पर थी।
वह सोचता, “क्या यही जीवन का सच है? क्या मेरी जिंदगी बस इतनी ही है?”
लेकिन, एक दिन उसकी मुलाकात गाँव के स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टरजी से हुई। मास्टरजी गाँव के सबसे समझदार और अनुभवी व्यक्ति थे। उन्होंने जीवन की सच्चाई को बेहद करीब से देखा था। मोहन ने एक दिन उनसे अपने मन की बात साझा की। उसने कहा, “मास्टरजी, मैं हमेशा सोचता हूँ कि यह जीवन सिर्फ कड़ी मेहनत और जिम्मेदारियों तक ही सीमित क्यों है? क्या इसमें कोई खुशी, कोई रोमांच, कोई नए सपनों का सच नहीं है?”
मास्टरजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, जीवन का सच इतना सरल नहीं है। हम में से अधिकतर लोग सोचते हैं कि जीवन की सच्चाई केवल भौतिक सुख-सुविधाओं में छिपी है। लेकिन असल में जीवन का सच इससे बहुत गहरा और विस्तृत है।” मोहन ने हैरानी से पूछा, “फिर असली सच्चाई क्या है, मास्टरजी?” मास्टरजी ने एक लंबी सांस ली और बोले, “जीवन का असली सच संतुलन में है।
जो कुछ हमें मिला है, उसे स्वीकार करना और जो कुछ नहीं मिला, उसके लिए शिकायत न करना। हर व्यक्ति की जिंदगी में दुख और संघर्ष होते हैं, लेकिन इन संघर्षों में ही जीवन की खूबसूरती छिपी होती है। जैसे धूप और छांव का खेल, वैसे ही जीवन में सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।”
मोहन की आँखों में अभी भी सवाल थे। उसने फिर पूछा, “लेकिन मास्टरजी, क्या यह संघर्ष और दुख हमेशा बने रहेंगे?” मास्टरजी ने धीरे से मोहन के कंधे पर हाथ रखा और कहा, “बेटा, संघर्ष और दुख जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन ये हमेशा नहीं रहते। यह हमारे ऊपर है
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कि हम उन्हें कैसे देखते हैं। अगर तुम जीवन को केवल दुख और संघर्ष के रूप में देखोगे, तो वही तुम्हें मिलेगा। लेकिन अगर तुम हर छोटी-छोटी चीज़ में खुशी ढूंढने की कोशिश करोगे, तो तुम्हें जीवन का असली आनंद मिलेगा।”
उस दिन से मोहन की सोच बदल गई। उसने सीखा कि जीवन का सच केवल बड़े सपनों और बड़ी खुशियों में नहीं है। असल में जीवन की सच्चाई उन छोटे-छोटे पलों में है, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। एक दिन मोहन खेतों में काम कर रहा था, और अचानक उसकी नज़र आसमान की ओर उठी।
उसने देखा कि पक्षी खुले आसमान में उड़ रहे थे, और सूरज की रोशनी खेतों पर गिर रही थी। हवा के हल्के झोंके उसे छूकर जा रहे थे। उस पल में उसे महसूस हुआ कि जीवन का असली सच इन साधारण क्षणों में ही है—हर सांस, हर धड़कन, हर छोटी-सी खुशी। मोहन ने अपने जीवन के संघर्षों को स्वीकार कर लिया।
अब उसे हर सुबह खेतों में जाने में खुशी महसूस होती थी। वह जानता था कि उसकी मेहनत ही उसकी सच्चाई है। माँ-बाप की सेवा करना, उनके साथ समय बिताना, और गाँव की मिट्टी से जुड़े रहना ही उसके जीवन का असली सुख था। समय बीतता गया,
और मोहन ने धीरे-धीरे अपने सपनों और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाना सीख लिया। उसने मास्टरजी की बातों को अपने जीवन का आधार बना लिया। उसने समझा कि जीवन का सच किसी मंजिल तक पहुँचने में नहीं, बल्कि सफर के हर मोड़ का आनंद लेने में है।
जीवन का यह सफर अनंत है, और इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लेकिन जो व्यक्ति इन चढ़ावों में खुशी ढूंढ लेता है, वही जीवन के असली सच को समझ पाता है। मोहन अब हर दिन को एक नई शुरुआत की तरह देखता था, और उसे यही जीवन का सच लगता था। जब हम जीवन को अपनी खूबसूरत नज़र से और साफ़ दिल से देखते हैं तो हमे हर पल खूबसूरत लगने लगता है
dr आरती द्विवेदी