जड़ें बुलाती हैं – आभा अदीब राज़दान

“ सुनील क्या बात है, कुछ दिनों से देख रही हूँ बहुत सुस्त दिखाई दे रहे हो । ऑफिस में कोई इश्यू है क्या ।” सुनैना ने पति के बालों में अपनी उँगलियाँ फिराते हुए पूछा ।

“ आय एम गुड नथिंग टु वरी … ऐसी कोई बात नहीं सब ठीक है यार ।” सुनील ने एक फीकी सी मुस्कान के साथ कहा था ।

“ तुम इस समय बताना नहीं चाहते हो तो कोई बात नहीं लेकिन अगर बाद में मुझसे शेयर करना चाहते हो तो कर सकते हो सुनील । मेरी गट फ़ीलिंग कहती हैं कि कोई बात तो है ज़रूर ।“ सुनैना ने कहा और वह उठ कर जाने लगी ।

“ सुनो तो कहाँ जा रही हो कुछ देर बैठो न मेरे पास ।” सुनील ने कहा था ।

सुनैना पति के करीब आकर ही बैठ गयी । अब दोनों ही चुप थे, कुछ देर बाद सुनील बोला,

“ मेरी बात बहुत खुले मन से सुनना सुनैना । बहुत दिनों से मेरे मन में यही ख़्याल आ रहा है, कि हमें अब अपने देश लौट जाना चाहिए । बीस बरस हम वतन से बाहर रह लिए, बस बहुत हो गया । हम दोनों के ही माता पिता अब बहुत बुजुर्ग हैं । वह वहाँ बिलकुल ही अकेले हैं, कभी भी वह हमें अपनी कोई परेशानी नहीं कहते ।”

“ हममममम यह तो सच है ।” वह बोली थी ।



“ अब ज़रा सोंचो तो इस आयु में वहाँ उनको बहुत सी परेशानियों का सामना तो अवश्य करना ही पड़ता होगा । आज जब उनको हमारी ज़रूरत है तब हम लोग उनके कोई भी काम नहीं आ पाते हैं । पहले सोंचता था कि वह भी यहाँ आ जाएँ लेकिन उनकी इच्छा ही नहीं है । इस आयु में अपनी वह जगह छोड़ना नहीं चाहते और मैं भी आग्रह कर के यह काम करना नहीं चाहता । वहाँ उनका माहौल, उनके पुराने मिलने वाले, उनका सब कुछ । यहां आकर वह कितने अकेले हो जाएँगे यार ।” सुनील भावुक होकर बोला ।

“ हममममम बात तो सही है, यह विचार मेरे मन में भी कई बार आता है । हम दोंनो के ही माँ पापा हम से कभी भी अपनी कोई समस्या नहीं बताते लेकिन सच तो यही है अब वह बहुत वृद्ध हैं । उनको अब हमारी ज़रूरत है । अपने माता पिता अपनी मिट्टी अपने लोग सब मुझे भी बहुत याद आते हैं सुनील । शुरू में दो तीन बार वह यहाँ हमारे पास आए भी लेकिन उनको यहाँ कहाँ अच्छा लगता है ।” सुनैना ने कहा ।

“ हाँ सच है अब तो वह यहाँ आना भी नहीं चाहते हैं । अपना स्थान छोड़ कर दूर जाना आसान भी तो नहीं हैं सुनैना ।” सुनील ने कहा ।

“ सबसे बड़ी बात जो मेरे मन में आती है वह यह सुनील कि जाने अनजाने में हमने अपने बच्चों को उनके दादा दादी जी और नाना नानी जी से दूर कर कर दिया है । यह तो बिलकुल भी सही नहीं है । बहुत बार सोंचा भी कि इस विषय में तुमसे बात करूँ लेकिन कर ही नहीं सकी । तो क्या सोंचा है तुमने सुनील, मुझको बताओ ।” सुनैना बोली थी ।

“ अभी तक तो कुछ भी नहीं, पहले तुम्हारे मन की थाह लेना चाहता था । अब हम दोनों मिलकर देश वापस लौटने का जतन करते हैं ।” सुनील ने कहा था । सुनैना को पति के चेहरे पर अब एक संतुष्टि का भाव प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा था ।

आभा अदीब राज़दान

लखनऊ

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