जाग उठा स्वाभिमान – गोमती सिंह

—रेखा इकहरे बदन की गौर वर्ण की बहुत ही खुबसूरत गांव के शांत वातावरण में पली बढी  लड़की थी । एक विवाह समारोह में उसकी खूबसूरती देखकर ही उसे एक बड़े शहर के रहनेवाले परिवार वालों ने अपनें मुंह से उसके माता-पिता से उसका हाथ मांग लिया था । आनन फानन में विवाह हो गया था । वह   अनपढ़, अशिक्षित नहीं थी वह हायर सेकेंडरी तक की पढाई पूरी कर चुकी थी । मगर  विवाह के पश्चात जब शहर में आकर रहने लगी तो बस उसके सास  जेठानी  लोग हर बात पर टोका टाकी करते  । उठने-बैठने पहनने  ओढने हर बात पर नुक्स निकालते । ये तुम्हारा गांव नहीं, बड़ा शहर है । यहाँ इस तरह साड़ी लपेट कर नही रहोगी तुम ! ये उसकी जेठानी का कहना होता । यहाँ अब सलवार सूट पहनना पड़ेगा।  उसे इंग्लिश विंग्लिश बोलने की भी आदत नहीं थी । बस जो इंग्लिश शब्द हिन्दी में घुल-मिल गए हैं वही सब ही उसके बोलचाल में शामिल होते थे । हाँ वो समझती पूरी तरह से थी , मगर ज्यादातर बोलने की आदत नहीं थी।  इस बात पर उसके पति , जेठानी , सास सभी लोग उसके सिर चढ़े रहते , ये क्या देहाती लेंग्वेज बोलते रहती हो । 

              इस तरह के माहौल से वह घबराने लगी उसके दिमाग में आने लगा कि क्या मैं सचमुच पढी लिखी नहीं हूँ ? उसने खुद से सवाल किया कि क्या मैं अनपढ़ हूँ ? 

      तब यकायक उसका स्वाभिमान जाग गया उसका आत्मबल उसे ललकारने लगा- नहीं ,उठो ! तुम खुद को साबित कर दो अपनी काबिलियत  दिखा दो इन वाहियात शहरी लोगों को कि हिन्दी बोलने से , अपनें संस्कारी परिधान साड़ी धारण करने से लंबी चोटी रखनें से कोई गंवार नहीं हो सकता!!!  वह रात भर सोंचती रही अब मुझे क्या करना चाहिए? शान्तिपूर्वक घर गृहस्थी संभाल रही हूँ तो इन लोगों को रास नहीं आ रहा है अब मैं अपनी पढाई आगे बढाऊगी।  मै ग्रेजुएशन करनें के बाद इंग्लिश में पी. जी. करूंगी। 

          सुबह जब चाय पीने के लिए इकठ्ठा हुए तब उसने अपनी योजना अपने परिवार वालों के सामने रखी।  




            उसने कहा कि वह आगे पढाई करना चाह रही है।  उसने कहा कि वह बी ए करना चाह रही है। तब उसकी जेठानी कहने लगी -ठीक है तुम सुबह-सुबह फटा फट खाना बना कर काॅलेज जा सकती हो।  तब रेखा ने कहा नहीं दीदी मैं सुबह-सुबह काॅलेज जाऊँगी तब किचन आपको संभालना पड़ेगा।  इतना सुनते ही जेठानी के तेवर बदल गए – नहीं तुम छोटी हो किचन तो तुम्हें ही संभालना पड़ेगा।  रेखा ने तो ये बात अपनी जेठानी की मानसिकता टटोलने के लिए कही थी अतः  वह आगे कहने लगी ठीक है दीदी मैं सुबह-सुबह खाना बना कर काॅलेज जा सकती हूँ।  

         लड़कियों के ससुराल में पति ही तो आधार स्तम्भ होते अतः उसने अपने पति देव से कहा कि मेरे बी ए का एडमिशन फार्म ले आइए जी मैं आगे पढना चाहती हूँ।  उसके पति ने एडमिशन फार्म ले आए इस तरह घर को भी संभालते हुए उसने ग्रेजुएशन किया उसके पश्चात जिस बात को साबित करना था कि उसे इंग्लिश नहीं आती है, इसके लिए उसने अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लिया।  अब घर का माहौल बदल गया था सब उसे अहमियत देने लगे थे ।

        औरत जब तक गऊ बनी रहती है तो उसे इस खूंटे से उस खूंटे पर बांधते रहते हैं जब वही गऊ सींग उगा लेती है तब उसे भय खाने लगते हैं।  कहने का तात्पर्य इस समय अंतराल में उसके गोद में एक पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिसकी देखभाल उसके जेठानी तथा सासु माँ मिलकर करते थे।  पति महोदय बैंक में सर्विस करते थे अत: आर्थिक तंगी बिलकुल ही नहीं थी इसलिए रेखा ने किसी भी प्रकार से सर्विस करनें का प्रयास नही किया। हाँ मगर  घर में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी।  और अपनी लाडली बिटिया का लालन-पालन करनें लगी । और साबित कर दिया कि इंग्लिश बोलना, पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करना शिक्षित होने का पर्याय नहीं हो सकता है। 

#स्वाभिमान

            ।।इति।।

  • गोमती सिंह , 

कोरबा छत्तीसगढ़ 

स्वरचित मौलिक रचना

 

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