ईंट का जवाब – ललिता भाटिया

निशा का जन्म तो इसी शहर में हुआ था और पढ़ाई भी हाई स्कूल तक | पर आज ५ साल बाद वो फिर आई तो अपने मोहल्ले में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई पता नही माँ बाबू हे या नहीं  भाई भाभी भी कहाँ  रहते होंगे ? निशा तब ९ में पड़ती थी तो उसे मॉडल बनाने का शौक़ लग गया हर समय आईने के सामने सजती संवरती |  उन्ही दिनों उसकी जान पहचान उदय और सलीम से हुई जब उन्हें निशा की इच्छा का पता चला तो उन्हो ने अपना जाल फैलाया और निशा मुंबई जाने को तैयार हो गई | एक रात वो घर से बाबू की जमापूँजी ले कर स्टेशन पहुंच गई सलीम और उदय के साथ ट्रेन में बैठी तो वहाँ पहले से एक आंटी बेठी थी सलीम और उदय कुछ ही देर में उस से घुल मिल गए उसे ये अच्छा नहीं  लगा वो ऊपर जा कर चुपचाप लेट गई  |

सुबह उठी तो देखा न तो सलीम और उदय थे न ही उस का बैग था वो रात को ही किसी स्टाप उतर गए थे  उस के साथ कितना बड़ा धोखा हो गया वो रोने लगी ईज़ समय तिनके का सहारा भी काफी होता हे ट्रेन में बैठी उस महिला ने उसे प्यार किया और अपने साथ ले गई लेकिन उसे क्या पता था कि वो ओर गहरी खाई में गिर रही हे वो एक बदनाम मोहल्ले में आ गई थी  सलेम और उदय ने उस औरत के हाथ उसे बेच दिया था  अब अपनी दुनिया में वापिस आना असम्भव था  उस इस जीवन को को अपनी नियति मान  लिया था |


पीछे २ – ३ महीने से उसकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी  वो एक बार अपने शहर आना चाहती आंटी टिकट बनवा दी  घर जाना नहीं चाहती थी आते ही सलीम और उदय से सम्पर्क किया खूब बातें  की पिच्छी बाटे सभी मानो भूल गए सलीम ने उसे अपने घर के पीछे की तरफ़ बने एक कमरे में बुलाया दो तीन घंटे तीनो ने खूब मस्ती की 

अच्छा अब मैं चलती हूँ मेरी रात की ट्रेन हे |

वो दोनो उसे विदा करने के लिए गले लगे |

तुम दोनो को ऐड्ज़ मुबारक 

वो छिटक कर दूर खड़े हो गए |

अरे अब केस डरना देखो में सही मुझे ऐड्ज़ है और अब तुम दोनो ………..वो खिलखिला पड़ी |

 धोखा तुमने हमें ……….वो मिमियाते हुय बोले धोखा तो वो था जो तुम ने मुझे ५ साल पहले दिया था ये तो उस धोखे का जवाब था कहते हुए वो अपना थैला ले बाहर निकल गई |

|

ललिता भाटिया 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!