इन्हें भी इज़्ज़त से जीने दो… – रश्मि प्रकाश 

“ लो आ गई महारानी… जग हंसाई करवा कर.. पूरे मोहल्ले में हमारी इज़्ज़त मिट्टी में मिला कर रख दिया है इसने.. जब देखो तब बसइसकी शिकायतें सुनने को मिलती हैं … घर में बैठ कर पल भर ना रह सकती ।” अपने कमरे से दादी सुनंदा जी की आवाज़ सुन बारहसाल की दीया राशि की ओर मुँह ताक रही थी 

“ माँ मैंने ऐसा कुछ ग़लत नहीं किया है… दादी बस कमरे की खिड़की से देखती रहती और मेरी आवाज़ पहचान कर मुझे ही सुनाती रहतीहै…तुम्हें भी पता है मैं ऐसे वैसे बेकार में किसी से नहीं उलझती ।” दीया अपनी छोटी बहन पाँच साल की दिशा का हाथ पकड़कर घर केअंदर आ ही रही थी कि दादी की बात सुन रूक गई और अपनी माँ से बोली 

” बेटा जाने दे… दादी के हिसाब से लड़कियों को ऐसे सबसे उलझना सही नहीं लगता इससे लड़की की बदनामी होती और परिवार की इज़्ज़त का बट्टा बैठ जाता … चल तू जाकर अपना और दिशा का हाथ पैर धोकर जल्दी से आ तेरे पसंद के पकौड़े बना कर रखे हैं ।” राशि ने बेटी को समझाते हुए कहा 

दीया दिशा का हाथ पकड़कर कमरे में चली गई… उधर राशि प्लेट में पकौड़े रख पहले सास को देने गई जहाँ वो फिर से शुरू हो गई 

” माँ जी आपको भी पता है आपकी पोती ऐसी नहीं है.. फिर भी हर दिन इस तरह की बातें कर क्यों उसका दिल दुखाती रहती है….हमसब जानते है वो किस दौर से गुजर रही है…हमें उसे भी समझना है और उसे मज़बूत बनाना है ।” राशि सासु माँ को प्लेट पकड़ाते हुएबोली 

“ तो तू उन दोनों को बाहर जाने ही क्यों देती हैं… अभी भी कह रही हूँ बहू देख एक बच्चा और कर ले… फिर सब ठीक हो जाएगा ।” सुनंदा जी ने कहा 

” ये कैसी बातें कर रही है माँ जी… अब हम कोई और बच्चा नहीं करने वाले…क्या पता अगली संतान कैसी हो..?” राशि मायूस हो बोलीऔर कमरे से चली गई 




 कितना खुश था पूरा परिवार जब राशि दुबारा माँ बनने वाली थी …सबसे ज़्यादा उत्साहित दीया ही थी…. बड़ी बहन बनेगी… बेबी कोऐसे प्यार करेगी उसके साथ खेलेगी… पर भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था…. दीया के लिए भगवान ने एक बेबी तो भेज दिया पर वोआम बच्चों से अलग हटकर थी…पर दीया के लिए तो वो बहन थी उसके साथ वो खेलना चाहती थी दिशा बड़ी तो हो रही थी पर आमबच्चों की तरह नहीं उसपर विशेष ध्यान देना पड़ता था… दीया उसे अपने साथ लेकर जाती तो बाक़ी बच्चे मज़ाक़ बनाते और दीया उनसेउलझ पड़ती…यही सब देख कर उसकी दादी ग़ुस्सा किया करती ।

दीया सबको समझाती ये मेरी बहन है तुम सब को कुछ नहीं करेंगी साथ में रहने दो पर कोई उसे भी खिलाने को तैयार नहीं होता…. ऐसेमें दीया को बुरा भी लगता था पर फिर वो दिशा के साथ ही पार्क में खेलने की कोशिश करती।

एक दिन सभी बच्चे बाहर खेल रहे थे…. एक बच्चा गिर गया…और रोने लगा… दिशा उसे देख रही थी वो दीया का हाथ पकड़कर उसकीओर इशारा करने लगी… दीया उठकर उसके पास गई तो दिशा को भी साथ ले गई… जाकर देखा तो उस बच्चे का पैर एक गड्ढे में फँसाहुआ था…. दीया निकालने की कोशिश की पर नहीं निकला तो वो सबको आवाज़ देने लगी… वहाँ पर सब इकट्ठे हो उस बच्चे कोनिकाल लिए…. दि़शा उस बच्चे के आँसू अपने हाथों से पोंछ रही थी… ऐसा करते वो अक्सर अपनी बहन और मम्मी को देखती थी…औरनो उस बच्चे को चुप करा रही थी 

“ आज दिशा ने मुझे बताया अद्दू गिरा तो नहीं तो किसी का ध्यान भी नहीं जाता…।” दीया अपनी बहन को गले लगा प्यार करते हुएसबसे बोली

सब आज दिशा को प्यार से देख रहे थे….दीया और दिशा की तारीफ़ दादी तक भी पहुँच गई थी…

“ वाह रे बहू आज तो तेरी बेटियों ने कमाल कर दिया… आज झगड़ा नहीं तारीफ़ करवा कर आ रही है ।”




“ हाँ तो दादी अब तो तुम्हारी इज़्ज़त मिट्टी में नहीं मिला रही ना हम दोनों…. आप भी जानती हो हमारी दिशा सब बच्चों की तरह नहीं है… अब मेरी बहन को कोई कुछ बोलेगा तो मुझे ग़ुस्सा आएगा ना…. इसमें उनकी इज़्ज़त जाती मेरी नहीं जो ये समझ नहीं पाते ऐसे बच्चों को प्यार से सँभाला जाता मज़ाक़ बना कर नहीं…. है ना मम्मी?” दीया ने कहा 

“ समझ गई मेरी झाँसी की रानी… तेरी बहन के लिए तू किसी की परवाह ना करेंगी….समझ रही हूँ बेटा… दिशा के लिए कोई कुछकहता है तो उसकी इज़्ज़त की ख़ातिर तू उन सब से उलझ जाती है…. अब देखना हमारी दिशा को सब प्यार करेंगे…।” कहते हुए दादीदिशा को गोद में बिठा ली

अब सब बच्चे दिशा और दीया के साथ खेलने लगे थे.. दिशा बोलती नहीं थी पर प्यार और ग़ुस्से की भाषा चेहरे के भाव देख समझजाती थी…

दोस्तों कुछ बच्चे आम बच्चों से भिन्न होते हैं जिसे हमारा समाज जल्दी स्वीकार नहीं कर पाता… उसे हीनता की भावना से देखते हैं…उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते…. पर उन्हें भी प्यार की ज़रूरत होती है… और प्यार मिले तो वो भी प्यार देना जानते है।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#इज़्ज़त 

मौलिक रचना

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