Tuesday, May 30, 2023
Homeसामाजिक कहानियांहमारा भाग्य ओर हमारे कर्म

हमारा भाग्य ओर हमारे कर्म

एक बार एक कृष्ण भक्त मन्दिर गया ! पैरों में महँगे और नये जूते होने पर उसने सोचा कि क्या करूँ ?यदि बाहर उतारता हूँ तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा सारा ध्यान जूतों पर ही रहेगा। तभी उसे बाहर एक भिखारी बैठा दिखाई दिया !

उस धनिक ने भिखारी से कहा – भाई ! मेरे जूतों का ध्यान रखोगे ? जब तक मैं पूजा करके वापस न आ जाऊँ !

भिखारी ने भी हाँ में सिर हिला दिया !

अंदर पूजा करते समय धनिक ने सोचा – हे प्रभु ! आपने यह कैसा असंतुलित संसार बनाया है ?

किसी को इतना धन दिया है कि वह पैरों तक में महँगे जूते पहनता है तो किसी को अपना पेट भरने के लिये भीख तक माँगनी पड़ती है। कितना अच्छा हो कि सभी एक समान हो जायें !

मन ही मन उस धनिक ने निश्चय किया कि वह बाहर आकर भिखारी को 100 रुपये का एक नोट देगा। लेकिन बाहर आकर धनिक ने देखा कि वहाँ न तो वह भिखारी है और न ही उसके जूते !

धनिक ने ठगा-सा महसूस किया एवं कुछ देर भिखारी का इंतजार भी किया कि शायद वह किसी काम से कहीं चला गया हो पर काफी समय उपरांत भी वह वापिस नहीं आया !धनिक दुखी मन से नंगे पैर घर के लिये चल दिया। रास्ते में फुटपाथ पर देखा कि एक आदमी जूते चप्पल बेच रहा है !धनिक चप्पल खरीदने के उद्देश्य से वहाँ पहुँचा तो क्या देखा है कि उसके जूते भी वहाँ रखे हैं !

धनिक ने दबाव डालकर उससे जूतों के बारे में पूछा तो उस आदमी ने बताया कि एक भिखारी उन जूतों को 100 रुपये में बेच गया है !धनिक ने वहीं खड़े होकर कुछ सोचा और मुस्कराते हुए नंगे पैर ही घर के लिये चल दिया !




धनिक को उसके सवालों के जवाब मिल गये थे कि समाज में कभी एकरूपता नहीं आ सकती !क्योंकि हमारे कर्म कभी भी एक समान नहीं हो सकते और जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन संसार और समाज की सारी विषमतायें समाप्त हो जायेंगी !

ईश्वर ने हर एक मनुष्य के भाग्य में लिख दिया है कि किसको कब और क्या और कहाँ मिलेगा। पर यह नहीं लिखा होता है कि वह कैसे मिलेगा ?

यह हमारे कर्म तय करते हैं। जैसे कि भिखारी के लिये उस दिन तय था कि उसे 100 रुपये मिलेंगे। पर कैसे मिलेंगे ? यह उस भिखारी ने तय किया !हमारे कर्म ही हमारा भाग्य, यश- अपयश, लाभ- हानि, जय- पराजय, सुख- दुःख, शोक, लोक- परलोक इत्यादि तय करते हैं। हम इसके लिये ईश्वर को दोषी नहीं ठहरा सकते !

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

error: Content is protected !!