हम कितने स्वार्थी हैं – नीरजा कृष्णा 

आज सुबह से ही उनके घर में रौनक है,वरना जब से उनके बेटे रोहित की बहू की कैंसर से मौत हुई है, लोग जैसे हँसना बोलना ही भूल गए हैं। मधु तीन वर्ष के मोहित को छोड़ गई है।  येन केन प्रकारेण वो सब घर और बच्चा सम्हाल रहे थे कि उन्हें मंजरी के विषय में पता लगा। उसके पति भी एकवर्षीय बच्ची को छोड़ कर कालग्रस्त हो गए थे। 

 लोगों ने बीच में पड़ कर दोनों का विवाह करा दिया पर रोहित के माता पिता को वो बच्ची स्वीकार नही थी।

ताईजी  शुभ समाचार सुन कर बिना बुलाए ही आशीर्वाद देने आ गई थीं। पर उन्हें कुछ अटपटा सा लगा। सब कुछ जान कर वो बोल ही पड़ीं,

“अरी बहू सरला! ये मैं क्या सुन रही हूँ? तुम उस नन्ही सी मिनी को उसकी माँ से अलग कैसे कर सकती हो?”

“जीजी,हम उस विधवा को तो अपने बेटे की बहू बना कर ले आए । यही क्या कम उपकार किया है। अब   किसी दूसरे की मुसीबत को जानते बूझते अपने गले में क्यों लटकाऐं?”

ताजी ताव खाकर  रोष से बोली,”सरला!तुम्हारी सोच पर मुझे शर्म आ रही है! तुम स्वार्थ में अंधी हो गई हो!तुमने रोहित का घर बसाने के लिए मंजरी से ब्याह करवाया। अपना  रोहित भी तो विधुर ही है। मोहित को तो  माँ चाहिए तो मिनी को बाप क्यों नही? अरे!तुम सबने तो उस मासूम की माँ भी छीन ली।”

सब सोच में पड़ गए, तभी रोहित बोला,”माँ! ताई जी कितना सही कह रही हैं। हम सब कितने स्वार्थी हो गए हैं! चलिए, मिनी को लेकर आते हैं!मोहित को एक प्यारी बहन मिल जाएगी।”

 

मंजरी रोते रोते उनके पैरों पर गिर गई।

#स्वार्थ 

नीरजा कृष्णा 

 

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