हम हैं न – के कामेश्वरी

राधिका रसोई में खाना बनाने वाली बाई को बता रही थी कि खाना क्या बनेगा । उसी समय माया भाभी भाभी पुकारते हुए आती है आती हैं और कहती है भाभी आप यहाँ हैं मैं तो पूरे घर में आपको ढूँढ रही थी । 

राधिका ने कहा— क्या बात है माया ऐसा कौनसा पहाड़ टूट पड़ा है जो इतना चिल्ला रही हो । 

माया ने कहा कि— भाभी हम लोग बेटे के पास बैंगलोर जा रहे हैं पीछे से हमारे घर पर नज़र रखिए । 

राधिका ने कहा—माया बैंगलोर जा रही हो अचानक ऐसे कैसे? कुछ जरूरी काम है क्या ? बेटा बहू ठीक हैं न । 

माया ने कहा- ईश्वर की कृपा से सब लोग ठीक हैं भाभी । 

राधिका— फिर क्यों बैंगलोर जा रही है माया ?

माया ने कहा कि— भाभी मेरी बहू कोमल की नौकरी लग गई है और वे दोनों चाहते हैं कि हम उनकी मदद बच्चों की देखभाल करने में कर दें । 

राधिका कहने लगी कि — वाहह माया इसका मतलब है कि नौकरानी बनने जा रही है । बहू बेटा नौकरी के बहाने निकल जाएँगे और तुम नौकरानी बनकर वहाँ बच्चों की देखभाल करोगी । यह क्या बात है माया मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है । अपनी अच्छी ख़ासी स्वतंत्र जीवन को छोड़कर जेल में गुलामी करने जा रही है । तरस आता है मुझे तुम पर । सोच जरा जब बेटा अच्छा ख़ासा कमा रहा है तो बहू को नौकरी पर जाने की क्या ज़रूरत है?वैसे भी बहू का काम घर और बच्चों को सँभालना होता है । वह भी अपना बैग लेकर निकल पड़ेगी तो घर कौन सँभालेगा? सास ससुर सँभालेंगे क्या? आजकल के बच्चों को कौन समझाए?



 

माया कहती है—-  भाभी मुझे आप की सोच पर तरस आता है । आज का जमाना ही ऐसा है कि महँगाई भी बहुत बढ़ गई है और जब दोनों पति पत्नी नौकरी करेंगे तब ही जीवन की नैया आराम से कट जाएगी। 

भाभी एक अकेले के कमाने से घर को चलाने में दिक़्क़त होती है अगर दोनों कमाएँ तो अपनी छोटी छोटी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सोचना नहीं पड़ेगा । वैसे भी भाभी सबकी अपनी-अपनी सोच है । 

वैसे भी मैं तो सोचती हूँ कि यहाँ इस घर में हम दोनों अकेले सुबह से शाम तक मक्खी मारते रहते हैं । वहाँ गए तो उनकी मदद हो जाएगी और हमें भी अच्छा लगेगा कि हमने अपने बच्चों के लिए कुछ अच्छा किया है । वैसे भी भाभी अपने-तो-अपने-होते हैं । सोचिये न अगर हम अपने बच्चों की मदद नहीं करेंगे तो कौन करेगा । 

भाभी अब मैं चलती हूँ हमें शाम को ही निकलना है । फिर कब आएँगे मालूम नहीं है बच्चों को जब छुट्टी मिलेगी तब एक बार घर आकर देख लेंगे । प्लीज़ भाभी हमारे घर का भी ख़्याल रखिए चलती हूँ । 

माया की बातों ने राधिका को झकझोर कर रख दिया था । उसे ऐसा लग रहा था जैसे माया ने उसके गाल पर करारा थप्पड़ मार दिया हो । 

माया तो चली गई थी परंतु राधिका को सोचने पर मजबूर कर दिया था । 



राधिका सोच में पड़ गई थी कि पिछले कुछ दिनों की ही बात थी जब उसे पता चला था कि बहू ने अपनी अच्छी ख़ासी नौकरी को इस्तीफ़ा दे दिया था तो वह बहुत खुश हो गई थी और उसने माया को भी मिठाई खिलाई थी यह कहकर कि अच्छा हुआ मेरी बहू ने नौकरी छोड़ दी नहीं तो वे हमें बुला रहे थे कि माँ पापा आप दोनों आकर बच्चे को सँभाल लीजिए ना । हम आपकी मदद के लिए एक हेल्पर भी रख देंगे पर वह टस से मस नहीं हुई थी । बेटे ने भी समझाया था कि माँ सिर्फ़ एक दो साल की बात है वह बड़ा हो जाएगा फिर आप आराम कीजिएगा । और तो और छुट्टियों में अक्षय को नानी के घर भेज देंगे ।तब आपको भी थोड़ी सी फ़ुरसत मिल जाएगी परंतु राधिका ने हाँ नहीं कहा था ।राधिका ने अपने पति के भी कान भर दिए थे जिससे उन्होंने भी बेटे बहू की मदद करने से इनकार कर दिया था । इसलिए बहू को अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देना पड़ा था । 

माया की बातें अब उसे सही लगने लगी थी कि सुबह से मैं घर में कुछ काम नहीं करती हूँ । काम वाली बाई है खाना बनाने वाली बाई है फिर काम कुछ नहीं रहता है आसपडोस में गप्पें मारना टी वी देखना यही मेरा काम है । बेटे की बात मान कर चेन्नई चले जाते थे तो बच्चे के साथ रह लेते थे तो थोड़ा मन भी बहल जाता था और समय भी कट जाता था । यहाँ खाली बैठे बैठे कभी कमर में दर्द तो कभी घुटनों में दर्द यही शिकायत होती है । हमारी तो अभी उम्र भी ज़्यादा नहीं है । पिछले साल ही तो पति रिटायर हुए हैं ।  हमारे शरीर में तो अभी बहुत ताक़त है ऐसे में काम से भागकर घर पर बैठे बीमारियों को न्योता देने के बदले में बच्चे के साथ खेल कर खुश रहे तो अच्छा रहेगा । 

अपने- ही-अपनों का साथ न दें तो कौन देगा यह सोच कर राधिका अपने बेटे को फ़ोन करने के लिए अंदर कमरे में गई थी कि उसे खुश ख़बर दूँगी कि हम दोनों वहाँ आ रहे हैं अक्षय के साथ समय बिताने के लिए क्योंकि उन्हें इतना तो मालूम है कि इस्तीफ़ा देने के बाद भी तीन महीने तक काम करना पड़ेगा तो बहू से भी कह दूँगी कि अपना इस्तीफ़ा वापस ले लें क्योंकि हम हैं ना । कितना खुश होगा बेटा यह सोचते हुए उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी । उसने बेटे को फ़ोन लगाया था। उसे बताया कि मैं और तुम्हारे पापा वहाँ आ रहे हैं बहू से कहना कि वह अपना इस्तीफ़ा वापस ले ले । उधर से बेटे ने कहा— माँ I Love you 

राधिका ने कहा— Love you too beta 

 

दोस्तों अपने बच्चों का साथ हम नहीं देंगे तो कौन देगा । आज हमारी ज़रूरत उन्हें है कल हमें उनकी ज़रूरत पड़ सकती है । अगर हमें ज़रूरत नहीं भी होती होगी तो भी अपने ही अपनों के काम आते हैं । 

के कामेश्वरी 

#अपने_तो_अपने_होते_हैं

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