होनी अनहोनी  –  गीता वाधवानी

घर में खुशी का माहौल था। राजू के बड़े भाई सुधीर का विवाह था। घर में खूब रौनक थी। घर मेहमानों से भरा हुआ था और रंगीन बत्तियों से भरपूर सजा हुआ था। कोई मेहमान पकौड़े खा रहा था, कोई चाय पी रहा था। कोई मजाक मस्ती में लगा हुआ था। सभी खाली होते हुए भी व्यस्त थे। 

बुआ जी, मौसी जी, मामी जी और कई लोग राजू की खिंचाई करने में लगे थे। “सुधीर के बाद तेरा ही नंबर है शादी करने का। अगर कोई लड़की पसंद कर रखी है तो पहले से ही बता दे। बाद में मत कहना कि किसी ने पूछा ही नहीं। सब ठहाके लगा रहे थे। 

राजू  था भी तो बहुत सुंदर, बिल्कुल एक हीरो की तरह। गोरा चिट्टा, लंबा, स्वस्थ और सुंदर। उसके पिताजी बहुत बीमार रहते थे और मां हमेशा उन को लेकर चिंता ग्रस्त रहती थी। 

पिताजी की बीमारी के कारण दोनों भाइयों पर काफी कर्ज चढ़ चुका था। राजू को इस बात की बहुत चिंता थी। 

मेहमानों से हंसकर बोला-“हां हां, शादी भी कर लूंगा, पहले कर्जा तो उतार लूं। उसे उतारने में लंबा समय लग जाएगा। 

हां, लेकिन एक रास्ता है जिससे कर्ज जल्दी उतर सकता है। सब ने कहा-“चिंता मत करो बेटा ,भगवान सब ठीक करेंगे और कर्ज भी उतर जाएगा, पर तू कौन से रास्ते की बात कर रहा है?”  

राजू ने कहा-“मान लो कि अगर मैं किसी एक्सीडेंट में मर जाऊं, तो बीमे की रकम से कर्जा आसानी से उतर सकता है।” 

उसकी इस बात से सारे रिश्तेदार नाराज हो गए और उसे प्यार भरी डांट लगाई।”अपने मुंह से कभी भी ऐसी बुरी बातें नहीं कहनी चाहिए। कभी-कभी जुबान का निकला सच हो जाता है। होनी अनहोनी हो जाती है क्योंकि कहते हैं कि 24 घंटे में एक बार हमारे मुंह से निकली एक बात अवश्य ही सच होती है। इसीलिए हमेशा अच्छी बातें बोलनी चाहिए और सकारात्मक ही सोचना चाहिए।” 




राजू ने कहा-“अरे भाई, आप लोग तो सच में सीरियस हो गए ,मैं तो मजाक कर रहा था। चलो चलो चिंता छोड़ो और कोई बढ़िया गाना लगाओ ,सब मिलकर डांस करेंगे।” 

बात हंसी मजाक में आई गई हो गई और विवाह सुख से संपन्न हुआ पिताजी की सेहत में भी थोड़ा सुधार हुआ। 

(कुछ दिनों बाद) 

मां-“आज राजू ने ऑफिस से आने में काफी देर कर दी है। पता नहीं क्या बात है। सुधीर उसे फोन करके पूछ, कहां पर है।” 

सुधीर ने राजू को फोन किया तो राजू ने कहा-“बस आधे घंटे में घर पहुंच रहा हूं।” 

आधे घंटे बाद घर का फोन बजा। कोई कह रहा था ,जल्दी अस्पताल पहुंचिए, आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है। 

सब हैरान-परेशान अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टर साहब ने बताया कि राजू का हेलमेट सिर से उतरकर गिर जाने के कारण, उसका सिर सड़क से टकराया और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गई। 

माता पिता और सुधीर उन सबके होश ही उड़ गए। राजू के मुंह से निकले शब्द हो गए थे ।सब रो रहे थे और कह रहे थे कि राजू तुमने उस दिन वह सब क्यों बोला था? काश! तुमने ऐसा कुछ ना कहा होता। 

थोड़े समय बाद सचमुच राजू की बीमे की रकम से उनका सारा कर्ज उतर चुका था। 

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

#मासिक

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