हिन्दी मे सुविचार

जिसे जीना आता है वह बिना किसी सुविधा के भी ख़ुश मिलेगा| जिसे जीना नहीं आता वह सभी सुविधाओं के होते हुए भी दुखी मिलेगा|

जिंदगी म्यूजिक प्लेयर नहीं है जिसमें आप अपनी पसंद के गीत सुन सके| जिंदगी एक रेडियो है| उसमें जो भी आ रहा है उसी से मनोरंजन करे|

संस्कार बता देते हैं परिवार कैसा हैं? बातचीत बता देती हैं इन्सान कैसा हैं? बहस बता देती हैं ज्ञान कैसा हैं? नज़रें बता देती हैं चरित्र कैसा हैं?
ठोकर बता देती हैं ध्यान कैसा हैं? स्पर्श बता देता हैं नीयत कैसी हैं? विनय बता देता हैं शिक्षा कैसी हैं?
मुश्किलें बता देती हैं हौसला कैसा हैं? वाणी बता देती हैं स्वभाव कैसा हैं? मृत्यु बता देती हैं ज़िन्दगी क्या हैं?
एक बार एक गांव में आग लगी। सारे गांव के लोग आग बुझाने को दौड़े। एक नन्ही सी चिड़िया भी अपनी चोंच में पानी भरती और लाकर आग पर डालती

 एक कौवा ये सब तमाशा देख रहा था। उसे चिड़िया पर हंसी आ गयी। उसने चिड़िया से कहा- “तुम्हारे बुझाने से आग कम भी नही होगी। तुम्हारी कोशिश बेकार है।

ये फालतू की कोशिश बन्द करो।” चिड़िया बोली- “मुझे पता है मेरे बुझाने से आग नही बुझेगी लेकिन जब भी इस आग की चर्चा होगी मेरा नाम बुझाने वालों में गिना जायेगा
और तुम्हारा तमाशा
देखने वालों में।” आज हमारे समाज में इसी कौवे की प्रवृत्ति के लोग अधिक हैं जो हर बात का बस दूर से तमाशा देखते हैं
या किसी चिड़िया की कोशिश को व्यर्थ सिद्ध करने में जुटे होते हैं। खुद को चिड़िया की
तरह बनाएं न कि कौवे के तरह।

अगर कोई व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है तो लोग कहते है कि पैसो के लिए मरा जा रहा है और मेहनत ना करे तो निखट्टू है,पैसा खर्च करो तो उसे फिजूलखर्ची

व दिखावा
कहा जाता है और पैसा खर्च ना करे तो उसे कंजूसमक्खीचूस कहा जाता है, अगर आपके पास पैसा बहुत है तो कहेंगे कि दो नम्बर का होगा और अगर पैसा कम है

तो कहेंगे कि थोड़ी सूझबूझ होती तो यह हाल नहीं होता, और जिंदगी भर मेहनत से जमा किये गये पैसों के बारे में कहा जाता है

कि बेवकूफ़ है पैसे का सुख नहीं भोगा
तो कमाया ही क्यों था

कहीं ना कहीं कर्मों का डर है! नहीं तो गंगा पर इतनी भीड़ क्यों है? जो कर्म को समझता है उसे घर्म को समझने की जरुरत ही नहीं पाप शरीर नहीं करता विचार करते है

और गंगा विचारों को नहीं! सिर्फ शरीर को घोती है “शब्दों का महत्व तो! बोलने के भाव से पता चलता है, वरना “वेलकम” तो पायदान पर भी लिखा होता है”।
कोई बदल जाए तो दुःखी मत होना क्योंकि बदलना प्रकृति का नियम है! जब जिंदगी में कछ भी समझ ना आए तो सब कछ परमात्मा पर छोड दो!
परमात्मा से कभी कुछ मत मांगो क्योंकि वह जानता है आपको क्या देना है! बुरे समय में यह मत सोचो कि कौन साथ देगा बल्कि यह सोचो कि अब
कौन साथ छोड़कर जाएगा! अगर परमात्मा खुश हो तो वह सरताज बना देता है अगर रूठ जाए तो दर-दर का मोहताज बना देता है!

पक्षी एक एक अन्न खाने के खातिर सौ सौ बार सर झुकाता है,और एक इंसान है जो सौ बार खा कर भी एक बार परमात्मा का शक्रिया नहीं करता!

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