हीरा – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

हीरा कृषि विज्ञान से ग्रेजुएट था, उसके साथ के कई लड़के नौकरी करने के लिए गाॅ॑व छोड़कर शहर चले गए। परन्तु हीरा गाॅ॑व छोड़कर नही गया, क्योंकि उसे अपने गाॅ॑व से बहुत लगाव था। वह गाॅ॑व मे ही रहकर खेती करना और खेती से ही जीविकोपार्जन करना चाहता था।

हीरा को खेती करना बहुत अच्छा लगता था , उसे लहलहाते खेत,झूमती गेहूं की बालियाॅ॑, धान रोपना इन सब से सुकून मिलता था। खेत जाते वक्त हीरा अपने साथ नमक की पुड़िया जरूर लें जाता था और लाल-  लाल टमाटर तोड़कर नमक से खाता था तो कभी छीमी तोड़कर चबाता। गुब्बारे की तरह फूले बैगनी बैगन को देख विभोर हो उठता था। हीरा ने अपने खेत मे लगभग सभी कुछ बो रखा था…आलू,गाजर,फूल, गोभी इत्यादि तो दूसरी तरफ हरी सब्जियाॅ॑। उसे ताजी हरी सब्जियाॅ॑ बहुत भाती थी।

इस साल सभी के यहां खेती बहुत अच्छी हुई थी। इसलिए गाॅ॑व में सभी बहुत प्रसन्न थे। हीरा बहुत ही विनम्र स्वभाव का था, गाॅ॑व के लोग हीरा को बहुत मानते थे तथा हीरा से कृषि से संबंधित जानकारियां भी लेते रहते थे।

फसल अच्छी होने की वजह से गाॅ॑व वालो का उत्साह भी बढ़ गया था। इसलिए इस बार समय से जुताई बुआई करके निश्चिन्त हो गए थे। समय-समय पर खाद पानी देते रहते थे। खेत लहलहाने लगे गाॅ॑व वालो की खुशी का ठिकाना ही नही रहा। लेकिन इन्द्र देवता को

गाॅ॑व वालो की खुशी रास नही आई, वे इतना जमकर गरजे बरसे की खेत खलिहान सब डूब गए। फसल बर्बाद हो जाने से गाॅ॑व मे मातम छा गया। ऐसे में कुछ लोग अपनी खेत बाड़ी सब बेचकर शहर की ओर पलायन करने लगे तो कुछ लोग अपने खेत गिरवी रखने लगे।

ऐसे में हीरा आगे आया और गाॅ॑व वालो को समझाने लगा। ‘गाॅ॑व छोड़कर शहर चले जाना समस्या का समाधान नही है।’

‘समाधान है – समस्याओं का सामना करना और उनका हल ढूंढ़ना। इसके लिए हमे एकजुट होना होगा और समझदारी से काम लेना होगा ‘

‘क्या शहर मे बाढ़ नही आती?’

‘आती है,शहर मे भी बाढ़ आती है।बड़ी बड़ी इमारतें पुल आदि सब ढह जाते हैं। लेकिन वे लोग शहर छोड़कर कहीं नही जाते, समस्याओं का सामना करते हुए….फिर से नई शुरुआत करते हैं।’




यदि सब लोग शहर चले जाएंगे….तो अन्न कौन उगाएगा? बिना भोजन के काम नही होता….शहर हो या गाॅ॑व सभी लोग अन्न पर ही निर्भर है और यह अन्न खेत मे पैदा होता है।सब लोग शहर मे रहने लगेंगे तो खेती कौन करेगा?

‘इन्द्र देवता गरज बरस सकते हैं पर हमे बिखेर नही सकते। हमे हिम्मत से काम लेना होगा। हम न खेत बेचेंगे और न ही गिरवी रखेंगे। हम परिस्थितियों के साथ समझौता करेंगे पर हार नही मानेंगे।’

हीरा बेटवा अगर हम न खेत बेचेंगे और न गिरवी रखेंगे तो हम का खाएंगे ? – बुजुर्ग काका बोले।’

‘हां हां हीरा भैया बताओ हम का खाएंगे और कैसे अपना परिवार चलाएंगे?- गाॅ॑व के लड़के बोले।’

‘मैं आप लोगो की परेशानी समझ सकता हूं। इस बार अधिक बारिश होने की वजह से हम सब की फसल बर्बाद हो गई। पर हर बार ऐसा नही होगा…. भगवान इतना बेरहम नही है। हम सरकार से लोन ले सकते हैं और यदि कोई विपदा आई तो इस समस्या को सरकार भी समझती है, हमारी कई तरह से मदद करती है।-हीरा ने समझाते हुए कहा।’

‘पर बेटवा जब आमदनी ही न होए त हम पचे लोन कैसे भरब?-  गाॅ॑व के बुजुर्ग बोले।’

काका इसके लिए हमें समझदारी से चलना होगा। मेरे जैसे कई नौजवान यहां पढ़ें लिखे हैं। हम पैसे बचाने तथा पैसे कमाने के लिए गाॅ॑व मे ही कई योजनाएं शुरू कर सकते हैं, लघु उद्योग खोल सकते हैं। अब तो हमारे गाॅ॑व में लड़कियां भी सब पढ़ लिख रही है कई हुनर सीख रही हैं,उनका भी सहयोग मिल जाएगा।

तभी एक बुजुर्ग दद्दा बोल पड़े उई सब तो ठीक है हीरा बेटवा पर पैसा कैसे बचाएंगे?…. और कैसे कमाएंगे बताओ?

दद्दा अम्मा अक्सर बताया करती थी कि औरते पति की कमाई कम हो या ज्यादा….थोड़ा थोड़ा करके वो पैसे बचा ही लेती है और पति को पता भी नही चलता। वही पैसे मुसीबत मे या जरूरत पड़ने पर काम आते हैं। हम भी वैसे ही बचत करेंगे जो हम सबके मुसीबत मे काम आएगा।

‘ठीक है हीरा तुम जो कहोगे हम वही करेंगे अब हम गाॅ॑व छोड़कर नही जाएंगे।मन लगा कर खेती करेंगे – सब गाॅ॑व वाले एक साथ बोले।’

हीरा ने सबके सहयोग से गांव मे एक ऐसा बैंक खोल दिया जहां पर न ब्याज मिलता था न लोन पर उस पैसे से सबको सहयोग मिलता था क्योंकि वह गाॅ॑व वालो के बचत के पैसे होते थे।

गाॅ॑व की स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी, सरकार तथा गाॅ॑व वालो के सहयोग से हीरा ने कई लघु उद्योग खोल दिए जैसे – सिलाई कढ़ाई बुनाई उद्योग,अचार,मसाले, पापड़ बनाना, गोबर से दीए बनाना इत्यादि…..। गाॅ॑व की औरते आदमी सब काम पर लग गए सबको रोजगार मिल गया।हीरा तथा गाॅ॑व का नाम दूर-दूर तक फैल गया जो लोग गाॅ॑व छोड़कर चले गए थे……वे भी गाॅ॑व वापस आने लगे।

सभी लोग खुली हवा मे सांस ले रहे थे और सच्चे मन से एक दूसरे का सहयोग कर गाॅ॑व को आगे बढ़ा रहे थे । गाॅ॑व की ख्याति अब विदेशो तक पहुंच गई थी।

#समझौता 

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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