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हैसियत

खन्ना परिवार में चार बहुएं थी. सबसे छोटी बहू रमा, उसके बाद काजल, उसके बाद तीसरे नंबर का बेटा जितेन और उसकी बीवी भानु, और चौथा और सबसे बड़ा बेटा निकेत और उसकी पत्नी माया. चारो ही दिखने में काफी खूबसूरत थी. और तीनों ही पढ़ी लिखी समझदार थी.

ऐसे में खन्ना परिवार की चार बहुएं में से तीसरे नंबर का बेटा जितेन की बहू भानु एक गरीब परिवार से थी. गरीब परिवार से होने के कारण वह शादी के वक्त अपने दहेज में कुछ नहीं लाई थी. और इसका पूरा फायदा तीनों बहुएं खूब उठा रही थी. सबसे छोटी वाली बहू रमा का मायका बहुत ही अमीर था. और इस वजह से वह बहुत सारे सोने के गहने और कपड़े लाई थी. ऐसे में सास भी अपनी सबसे छोटी बहू रमा से कुछ ज्यादा ही प्यार जताती है. और भानु को हमेशा नीचा दिखाती है. दिन गुजरते है और एक दिन,

“अरे भानु बहू सुन तो… वह मगन चाचा के बेटे की शादी का न्योता मिला है ना हमें तो आज शाम को वही जाना है, लेकिन तेरे बाबूजी घर पर ही रुकेंगे इसलिए तू भी घर पर ही रुकना और उनके खाने पीने का पूरा इंतजाम देख लेना, और दवाई भी टाइम से दे देना!”

“ठीक है मैं कर लूंगी… और कौन रुक रहा है घर पर? एक काम कीजिए रमा को मेरे साथ रुकने के लिए कह दीजिए!”

“ये कैसी बात कर रही है, रमा की तो अभी शादी हुई है उसे तो आना ही है अरे हां याद आया, ओ रमा बेटी कहां हो!”

सास अपनी सबसे छोटी बहू को आवाज लगती है, रमा सास की आवास सुन वहां आती है,

“देखो तुम कल अच्छे से तैयार होकर आना… और रुको मैं तुम्हें साड़ी और गहने देती हूं वही पहनना, और बाकी तुम माया और काजल को भी कह देना कि मुझसे आकर कल के लिए नई साड़ी लेकर जाए. मैं नहीं चाहती कि खन्ना परिवार की बहुएं भी किसी से कम दिखे!

सास अपनी तीनों बहू को नई साड़ी और गहने शादी के फंक्शन में पहनने के लिए देती है लेकिन भानु को वह अपने साथ नहीं ले जाना चाहती थी और ना ही उसे कोई साड़ी और गहने देती है. भानु ये देख खुद के मन में बुरा महसूस करती है कि वह गरीब घर की है इसीलिए उसकी सास अब उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रही है. जब शादी से सब घर लौटे तो सब थक गए और सो गए. दूसरे दिन सुबह उठ कर काजल अपनी भाभी भानु से कहती,

“अरे भाभी आप तो कल घर ही थी ना फिर आप इतनी देर से क्यों उठी… और आपकी वजह से वो ऑफिस भी लेट हुए जल्दी उठ कर नाश्ता नहीं बना सकती थी!”



“लेकिन काजल मुझे कल रात से ही सर्दी जुखाम है, क्यों की मेरे कमरे में हीटर नही है और अच्छी रजाई भी नही, ऐसे में मुझसे सुबह जल्दी उठा नहीं गया… और लेकिन तुम तो अपने पति के लिए इतनी सी जिम्मेदारी उठा ही सकती हो ना! उसमें भी तुम मेरे भरोसे क्यों रहती हो?”

“मैं क्यों काम करूं मैं दहेज में कितना सारा धन लेकर आई हूं सोने के गहने और माजी के लिए कितनी महंगी साड़ियां लेकिन आप अपनी दहेज में क्या लाई हो कुछ नहीं ना फिर ससुराल में काम तो करना ही होगा!”

भानु कुछ नहीं कहती और वह अपना काम करने में लग जाती है. ऐसे में खन्ना परिवार में सबके कमरे में एसी और हीटर लगा हुआ होता है लेकिन भानु और उसके पति के कमरे में पंखा भी पुराने जमाने का लगाया हुआ होता है. क्योंकि भानु का पति बचपन से ही पढ़ाई लिखाई मैं कम था और ऐसे ही वह नौकरी भी एक छोटे से कंपनी में करता था. जिससे उसका पगार इतना नहीं था. ऐसे में वह घर पर भी इतने पैसे नहीं दे पाता था, जितने उसके बाकी भाइयों दिया करते थे. बस भानु को इसिका खामियाजा भुगतना पड़ता है. लेकिन सास भी दूसरे बेटे और भानु के पति में भेदभाव करती है. जब की वह भी उसका खुद का ही खून था. पर भानू कभी कुछ नहीं कहती क्योंकि वह जानती थी कि वैसे भी वह एक गरीब घर से आई है. ऐसे में इस घर में उसकी कोई सुनने वाला नहीं होगा. और अब भानु को तो इसकी आदत भी पढ़ चुकी थी. दिन गुजरते गए और ऐसा ही चलता रहा.

एक दिन जब सास बहुत बीमार पड़ती है तो वह बीमारी के कारण सुबह अपने बिस्तर से भी उठ नहीं पाती. ठंड के कारण बहुत कांपने लगती है. ऐसे में भानु सुबह उठकर जब देखती है कि इतनी देर हो गई है अभी तक उसकी सास नहीं उठी होती. क्योंकि वो तो सुबह जल्दी उठ जाती थी, और आज नही उठी.  वह सास के कमरे में जाती है तो देती है कि बुखार के कारण सास का बदन तप रहा था. ऐसे में भानु सास की देखभाल करती है. काढ़ा बनाकर पिलाती है और माथे पर गीली पट्टी भी करती है ताकि सास का बुखार उतर जाए. और वह ठीक भी हो जाती है. सुबह के 11:00 बजते है और सारी बहुएं अब धीरे-धीरे सेठानियो की तरह उठती है. और फिर बारी-बारी से चाय मांगे रसोई में जाती है. ऐसे में देखती है कि भानु रसोई में नहीं होती और ना ही उनके लिए चाय बनी होती है. वह तीनों ही भानु को ढूंढते हुए अपने सास के कमरे में आ पहुंचती है और कहती है, 

“अरे भानु तुम यहां! हम कब से तुम्हें ढूंढ रहे है, तुमको सुनाई नहीं दिया क्या हमारे लिए चाहिए कौन बनाएगा?”

ऐसे में भानु कुछ बोलने जाती ही है तभी सास बहू का हाथ पकड़कर उसे रोकती है और खुद जवाब देती है,

“क्यों तुम लोगों के लिए चाय भानु क्यों बनाएगी? दिख नहीं रहा कि मैं इतनी बीमार हूं… और वो मेरी सेवा में लगी है बेचारी सुबह से उसने भी चाय नही पी, लेकिन तुम लोगों में से किसी ने भी मेरी हालत नहीं देखी और ना ही मुझसे पूछा की, आप कैसी हो माजी? आज ऐसी हालत क्यों है आपकी… देखो तुम पैसे वाले जरूर हो लेकिन बहुत स्वार्थी और घमंडी हो… जबकि मैंने भानु को हमेशा एक गरीब घर की लड़की समझ कर उसे कभी प्यार नही किया अपनापन नहीं दिया. उसे हमेशा ही नीचा दिखाती रही. आज वही बहू मेरी सेवा कर रही है…  तुम लोग आज से अपना काम खुद ही करोगे, भानु अब तुम लोगों का काम नहीं करेगी, क्यों की वो भी खन्ना परिवार की बहू है.”

अपनी सास की ऐसी बात सुनकर तीनों बहु के तो होश उड़ जाते है. और भानु भी आखिर के गरीब हो कर भी अपनी अमीर सास का दिल जीत ही लेती है.

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