हर कदम तुम्हारे पीछे नहीं – अर्चना नाकरा

आज उसके अंतर्मन ने ‘क्रिमिनल लॉयर की पदवी के साथ …क्राइम कर दिया’

भले ही घर की एक सदस्य ने साथ दिया पर वह भी कब तक देती जिंदगी कशमकश में थी जितना वो तब भी चली जाती उतना उस पर हावी  होता चला जाता!

बेहतरीन जिंदगी’ शानो शौकत’ सब कुछ तो था पर ‘बस हाथ से सरका कर देने वाले भाव के साथ’

उपेश उसके पति एक प्रतिष्ठित लायर थे

और  वो..उनसे कहीं गुना ज्यादा जानकारी रखने वाली!

माता-पिता ने अच्छा घर बार देखा और सोचा दोनों एक साथ प्रैक्टिस करेंगे पर उपेश को यह सब पसंद नहीं था

वो..’ घर पर रहकर ड्राफ्टिंग करती’

 नोट्स तैयार करती !

सारे पॉइंट सिलसिलेवार लिखती..

और मुकदमा उपेश लड़ता !

वही जीतता …

और जिस किसी दिन,  किसी जगह..  मुक़दमे में एक पॉइंट पर अटक जाता तो खुद …’घर पर उसे इस ढंग से छलनी कर देता कि बस’

वह भीतर तक कांप जाती थी.. उसे कमरे के बाहर बरामदे में सोने को मजबूर किया जाता

दो तीन बार  सास से जिद कर उसने कोर्ट में साथ …जाना शुरु किया!

लड़ाई हुई घर में..

उपेश का ‘हाथ भी उठ गया’

पर अब ..उसकी मां ने बीच बचाव किया और कहा तेरा 80% काम यही करती है



दुबारा.. हाथ  उठाया तो मैं”तेरा ही हाथ तोड़ दूंगी’ बहू  ‘आशिमा ‘को साथ लेकर जा..

“एक नारी दूसरी नारी के हक के लिए खड़ी हो गई थी”

आज कोर्ट में जिरह बाजी करते हुए ‘उपेश के सिर में जोर से दर्द उठा ‘

मामला संगीन था

क्लाइंट  एक प्रभुत्वशाली व्यवसाई था

उसी दिन  ‘आखिरी सुनवाई और नतीजा सुनने की दरकार थी’

उपेश समझ नहीं पा रहा था ..’जुबान लड़खड़ा रही थी’

रात को ज्यादा पी लेने का शायद असर… अभी तक बाकी था

उसने आशिमा को इशारा किया… आशिमा धड़ाधड़ बोलती चली गई !

सिलसिलेवार ‘जिरह.. करती चली गई’

पूरी कोर्ट में मानो ‘ सुई गिरने की आवाज भी होती तो सभी को सुनाई दे जाती’

आज ‘आशिमा मुकदमे से नहीं खुद से जीत गई थी’

जोरदार तालियों के साथ आशिमा का स्वागत हुआ!

जज साहिबा ने भी उसे.. अपने केबिन में बुलाकर  शाबाशी दी

आशिमा काफी देर तक इधर-उधर कुछ टाइपिंग का काम करवाती रही और ‘उपेश बाहर कॉरिडोर में खड़ा उसे गालियां निकालता रहा’

उपेश’  गुस्से भरी दृष्टि से बाहर खड़ा देख रहा था’

दवाई खा कर थोड़ा चैन पड़ा  तो वो.. कोर्ट की सीढ़ियां उतरते हुए चिल्लाकर.. आशिमा से बोला’ आज जो तुमने किया वह मेरी मजबूरी थी’

लेकिन आइंदा से मेरे साथ कोर्ट मत आना!!

आशिमा ने विजयी मुस्कान से ‘फाइल में से एक  कागज निकाला ‘

और बोली’ साइन कर दिया है मैंने.. तुम, मुझे नहीं समझ सकते’

“अब और नहीं”

अब ये मामला भी यहां ही खत्म!

ये तलाक के कागजात है साइन कर देना…

कल फिर से इसी कोर्ट में मिलेंगे!!

यह कहकर वो अपनी साथी वकील के साथ… कार में बैठ कर चली गई…

लेखिका अर्चना नाकरा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!