हर कदम पर तुम्हारा साथ दूंगा – कविता झा ‘अविका’  : Moral stories in hindi

आंटी रोटी…

यह आवाज सुन पांच  साल की अंजलि दौड़ती हुई अपनी बालकनी में आई और अपनी एड़ी ऊपर उठाकर बालकनी की रेलिंग से झांकने लगी।

 वो लड़का आज भी मैले फटे कपड़े पहने कांधे पर एक गंदी बड़ी सी बोरी टांगें गेट के पास खड़ा हो बड़ी ही हसरत से आवाज लगा रहा था।

 उस लड़के को देखते ही अंजलि ने ताली बजाते हुए उसे अपनी तरफ देखने का इशारा किया।

” भईया इधर देखो, मैं यहां हूं। तुमको भूख लगी है रुको मम्मी को बोलती हूं।”

“हां गुड़िया भूख लगी है।  तुमने खाना खाया?””

“रुको मैं अभी आई …”

कहते हुए अंजलि अपनी मम्मी रोशनी के पास किचन में चली गई और उनका आंचल खींचते हुए बोली,

” मम्मा भूख लगी है, रोटी दो ना।”

“अरे! अभी जब खाना खिला रही थी तोतो कह रही थी भूख नहीं है । तुरंत तुझे भूख लग गई। अच्छा चल रुक मैं निकालती हूं तेरे लिए खाना।”

रोशनी ने अंजलि को प्लेट में एक आलू का परांठा और आम का आचार देते हुए कहा,

“यह लो तुम्हारी पसंद का आलू परांठा।”

अंजलि ने परांठे को ध्यान से देखा और फिर उचककर रोटी का डिब्बा देखते हुए बोली…

” मम्मा और चाहिए।”

“अरे! मेरी गुड़िया रानी पहले यह तो खा फिर और लेना।”

“नहीं एक से कुछ नहीं होगा। मुझे और दो ।”

“अच्छा बाबा लो दो और, पूरा खाकर दिखाना।”

इस समय कुछ  दिनों से रोज अंजलि ऐसा ही करती है। वैसे  इसे खाना खिलाना दुनिया का सबसे कठिन काम है मेरे लिए। काश! इसका एक भाई या बहन होती तो उसके साथ खाना खेलना होता इसका। अकेले दिन भर बोर हो जाती है। रोशनी अंजलि को जाते हैं देख सोच रही है।

थोड़ी देर बाद गेट खुलने की आवाज आई तो रोशनी ने बाहर जाकर देखा अंजलि उस कूड़ा बीनने वाले लड़के के साथ बैठी हुई है और उसे अपने हाथों से रोटी खिला रही है।

“भईया क्या और भूख लगी है तुमको…”

उस लडक ने हां में अपनी गर्दन हिला दी।

 “रुको मैं अभी मम्मी से मांग कर लाती हूं और रोटी।”

रोशनी वहीं पलभर खड़ी हो देखने लगी अपनी बिटिया को और उस कूड़ा बीनने वाले लड़के को।  

अच्छा तो यह बात है।

 वो अंजलि को खींचते हुए अपने साथ अंदर ले आई। “तुम अभी से झूठ बोलना सीख रही हो। जानती हो यह लोग अच्छे नहीं होते। घरों में चोरियां करते हैं और देखो कितना गन्दा है यह लड़का। तुम उसके पास क्यों गई।”

“मम्मा वो मेरा भाई है, गंदा नही है वो अच्छा है। उसको भूख लगी थी और उसका हाथ गंदा था इसलिए मैं उसे अपने हाथों से खिला रही थी। उसके मम्मी पापा नहीं है। वो भी स्कूल जाना चाहता है पढ़ना चाहता है। “

“तुम दादी अम्मा हो। चलो चुपचाप अपने रूम में और हाथ अच्छे से धोकर पढ़ने बैठो।”

रोशनी ने बेटी को डांट तो दिया पर उस बच्चे को देखकर उसके मन में भी दया आ गई। आखिर वो भी तो एक मां ही है।

“माफ कर दो आंटी, मैंने सिर्फ रोटी मांगी थी सुबह से कुछ नहीं खाया। गुड़िया मुझे अपने हाथों से खिलाने लगी। मेरी छोटी बहन बिल्कुल ऐसी ही थी।”

 

” उसे समझाना जरूरी है। सब अच्छे नहीं होते ।कौन कैसा है वो समझ नहीं पाएगी। बच्चों के अपरहण की खबरें हमेशा सुनते-सुनते डर लगता है। अच्छा बताओ बेटा तुम्हारा नाम क्या है ? तुम्हारे माता-पिता कहां रहते हैं? “

“आंटी मेरा नाम राजू है।”

उसने अपने बारे में बताया कि एक दिन मेला घूमने वो अपने माता-पिता के साथ जिस रिक्शा से जा रहे थे वो पूल से पलटकर नदी में गिर गया। वो पानी के बहाव में बहता हुआ किनारे पर आ गया और उसके माता-पिता और छोटी बहन उसे कहीं नहीं मिले।

वो अपने जैसे कुछ बच्चों से मिला जो कूड़ा इकट्ठा करके कबाड़ी वाले को बेचते हैं जिससे कुछ पैसे मिल जाते हैं। कोई कोई खाने को भी  दे देता है । मंदिर के चबूतरे पर रात बिताता है। अब उसका इस दुनिया में कोई नहीं है।

उसकी बातें सुनकर रोशनी की आंखों से आंसू आ गए। 

वो उसे अपने साथ घर के अंदर ले आई। उसके हाथ पैर धुलवाए और खाना दिया खाने को।

“आंटी आप बहुत अच्छी हैं, मेरी मम्मी भी आपके जैसी ही थी। मुझे बहुत प्यार करती थी। मुझे अपने परिवार की बहुत याद आती है।”  राजू की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे।

“बेटा आंटी मत बोलो, आज से तुम मुझे मां ही बोलो। मैं तुम्हारी यशोदा मां बनूंगी। तुम अनाथ नहीं रहोगे अब। हमारे साथ अपनी अंजलि बहन के साथ इसी घर में रहोगे।” अंजलि का पिता राकेश अपनी पत्नी के इस फैसले पर खुशी था उसने भी एक अनाथ का जीवन व्यतित किया था। वो माता पिता के प्यार से वंचित रहा ।

रोशनी ने जब अपने पति को देखा तो कहा,”सुनिए राकेश जी क्या आप मेरा साथ देंगे। मैंने फैंसला कर लिया है कि यह बच्चा अब हमारे साथ इसी घर में रहेगा। अंजलि का भाई।”

” थैंक्यू सो मच मम्मा…

आप बहुत अच्छी हैं, अब मेरा भाई हमारे साथ रहेगा। मैं भ ईया को राखी बांधूंगी।”

राकेश ने रोशनी को अपनी बाहों में भर लिया।” तुम्हारे हर  कदम पर तुम्हारा साथ दूंगा। “

कविता झा ‘अविका’

1 thought on “हर कदम पर तुम्हारा साथ दूंगा – कविता झा ‘अविका’  : Moral stories in hindi”

  1. रोचक कहानी और इतनी रोचक कि जब कहानी समाप्त होती है तो लगता है, कुछ अटका हुआ सा है क्योंकि निसंदेह और आगे लिखी जा सकती थी। भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

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