हमारी किस्मत में शायद अधूरी मोहब्बत ही थी! – मनीषा भरतीया

मयंक और अमृता की मुलाकात दिल्ली के एक सेमिनार में हुई थी…दोनों अपनी अपनी कंपनी को रिप्रेजेंट कर रहे थे…. सेमिनार खत्म होने के बाद दोनों साथ-साथ एक कॉफी हाउस में कॉफी पीने चले गए…. वहां दोनों के बीच ढेर सारी बातें हुई देखकर कोई भी नहीं बोल सकता था कि यह दोनों अजनबी है…. जब बातें करते करते 2 घंटे निकल गए तब दोनों ने एक दूसरे से अलविदा ली…. लेकिन इतनी बातचीत के दौरान एक चीज तो दोनों ही भूल गए वो ये कि दोनों ने एक दूसरे का फोन नंबर तक नहीं लिया…..

बाद में दोनों एक दूसरे से बात करने के लिए तड़पते रहे . …लेकिन बात करे भी तो कैसे…. आखिर फोन नंबर तो था नहीं…. 2 दिन तक दोनों ने एक दूसरे को बहुत ढूंढा….. लेकिन मिल नहीं पाए…. थक हार कर और मन मसोसकर दोनों अपने अपने घर चले गए. …. वक्त बीतते गया ….दोनों अपने-अपने काम में लगे रहे…लेकिन बेचैनी दोनों तरफ बराबर थी…. काम में मन नहीं लग रहा था…. दोनों का एक दूसरे के बिना बुरा हाल था…. पहली मुलाकात में ही दोनों को मोहब्बत हो गई थी लेकिन यह एहसास उन्हें उस समय नहीं हुआ…. दोनों ही शादी लायक थे….इसलिए दोनों के घर में शादी के लिए दबाव डाला जा रहा था…. मुझे पहले अपना कैरियर बनाना है यह कहकर अमृता अपने घर पर  शादी की बात टालती रही…. तो वही मयंक ने बुझे मन से यह सोचकर हां कर दी कि मैं क्या बोल कर घर पर शादी के लिए मना करूंगा…. यह कहूंगा कि मैं किसी से प्यार करता हूं…तो सब पुछेंगें…कि वो 

कौन है कैसी है?? घर बुलवाकर मिलवाओं तो सही??? तो मैं क्या जवाब दूंगा उसे कहां से ढूंढ कर लाऊंगा…. और मैं तो यह भी नहीं जानता कि वह मुझसे प्यार करती भी है या नहीं!! इन्ही प्रश्नों के जाल की उधेड़बुन में उसनें अपने मम्मी पापा की पसंद की लड़की से शादी के लिए हां कर दी…

बहुत धूमधाम से मयंक की शादी मीता नाम की लड़की से हो गई…,.. मीता बहुत ही सुंदर, सुशील और समझदार लड़की थी… उसने अपने संस्कारों और सुंदर स्वभाव से सब के दिल में पहले दिन से ही अपनी जगह बना ली…..धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और मयंक भी अपनी गृहस्थी में रच बस गया…. मीता ने दो प्यारे प्यारे बच्चे मोनू और पिंकी को जन्म दिया….



सब कुछ अच्छा चल रहा था….. तभी अचानक शादी के 5 साल बाद जब मयंक अपनी पत्नी और बच्चों के साथ हिल स्टेशन ऊटी घूमने गया…. तभी उसकी मुलाकात अमृता से हुई…. अमृता ऊटी किसी काम से आई हुई थी…. 5 साल पहले जो कहानी शुरू हुई थी उसमें फिर से  उबाल आने लगा.. मयंक ने बहाने से अमृता से फोन नंबर लिया कि हम यहां होटल स्टे सिंपल में रुके हैं और कल सुबह 7:00 बजे घूमने निकलेंगे….  इफ यू डोंट माइंड अगर आप फ्री हो तो आप भी हमें ज्वाइन कर ले.. मैं आपको रिमाइंडर दे दूंगा फोन पर…

अमृता ने कहा नहीं मैं फ्री नहीं हूं…. यह सुनकर मयंक का चेहरा उतर गया…. फिर उसने पूछा कि आपके पति और बच्चे  साथ नहीं आए? ? तब उसने कहा कि नहीं मैंने अभी तक शादी नहीं की है…. यह सुनकर मयंक जैसे सपनों की दुनिया में खो गया जब मयंक की पत्नी मीता ने देखा कि मयंक सोच की उधेड़बुन में है… मीता ने कहा कि यह कौन है क्या हम से नहीं मिलवायेगें आप??? तो मयंक ने कहा कि यह अमृता जी है मेरी दोस्त… तब मीता ने उसे  नमस्ते किया और अपने घर आने का आग्रह किया…. अमृता ने भी हां जरूर आऊंगी कहकर कहा अब मैं चलती हूँ…. मुझे बहुत देर हो रही है….

होटल पहुंचते ही मयंक ने अमृता को फोन लगाया और मिलने के लिए कहा…. अमृता ने दूसरे दिन सुबह 11:00 बजे रोज गार्डन में मिलने के लिए हां कह दी…. दूसरे दिन मयंक मीता से मेरा एक क्लाइंट  ऊंटी आया हुआ है तो उससे मिलने जाना होगा यह कहकर वह अमिता से मिलने चला गया…. तय किये गये वक्त पर दोनों रोज गार्डन पहुंच गए…. मिलते ही सबसे पहले मयंक ने  अमृता से पूछा की तुमने शादी क्यों नहीं की? ?? अमृता ने कहा तुमसे मिलने के बाद कोई अच्छा लगा ही नहीं…. इसलिए मैंने शादी नहीं की मुझे तुमसे प्यार हो गया था….. तब मयंक ने कहा प्यार तो मुझे भी तुमसे हो गया था…काश उस दिन हम दोनों ने अपने नंबर एक्सचेंज कर लिए होते… तो आज हम एक होते… मैंने तुम्हें बहुत ढूंढा लेकिन तुम मिली नहीं…. घर में भी शादी के लिए बहुत दबाव था ….फिर मैं ये भी नहीं जानता था कि तुम मुझसे प्यार करती भी हो या नहीं…



 

मैं अगर कहता कि मैं किसी से प्यार करता हूं ….तो सब कहते कि हमें उससे मिलवाओं… लेकिन मैं कहाँ से मिलवाता… इन सब प्रश्नों के जाल के उधेड़बुन में मैंने शादी कर ली…

 

अमृता ने कहा की दबाव तो मुझ पर भी था…. पर मुझे अपना कैरियर बनाना है यह कह कर मैंने शादी की बात को टाल दिया… क्योंकि मुझे कहीं ना कहीं विश्वास था कि तुम मुझे एक न एक दिन जरूर मिलोगे….

 

खैर मयंक मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है…और इसमें तुम्हारी  कोई गलती भी नहीं है… लेकिन अब जो तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार है उसे आज की आज ही खत्म करना होगा क्योंकि अब तुम शादीशुदा हो…. तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे बच्चे तुम्हारी जिम्मेदारी है….. अब तुम्हारे प्यार पर सिर्फ तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे बच्चों का हक है…. किसी और के बारे में सोचना भी पाप है…प्यार में स्वार्थी होना ठीक नही…..प्यार का दुसरा नाम तो त्याग है….हमारी किस्मत में शायद अधूरी मोहब्बत ही थी .. तो मैंने कहा  कि एक शर्त पर  मैं तुम्हें भूल जाऊंगा… वो ये की तुम भी अब शादी करके अपना घर बसा लोगी… अमृता ने कहा ठीक है… कहकर चल दी… और कहा मैं तुम्हें शादी की फोटो भेज दुगीं….

कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा….पसंद आए तो लाइक, कमेंट और शेयर जरूर कीजिए….

 

#प्रेम

आपकी ब्लॉगर दोस्त

©® मनीषा भरतीया

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