हमारी चाहत के साथ पहली तस्वीर – गुरविंदर टूटेजा

नुपुर क्या कर रही हो जल्दी तैयार हो…??

राजीव बस हो रही हूँ पर मेरा मन नहीं कर रहा वहाँ जाने का…क्या मुँह लेकर जाऊँ….??

अरे तुम्हारे भतीजें का नामकरण हैं और बुआ हो तो नाम तुम्ही रखोगी ना..!!

 राजीव भैया-भाभी ने हमारे कहने पर ये बच्चा हमारी गोद में डालने के लिये किया था…पर मम्मी जी ने मना कर दिया कि तुम्हारें मायके की तरफ से बच्चा नहीं लेगें ऐसा थोड़ी होता हैं…??

हाँ नुपुर मैं समझता हूँ जो हुआ गलत हुआ पर…भैया ने बोला हैं ना…वो खुश हैं और तुम अब ज्यादा सोचों मत चलों जल्दी देर हो रही हैं…!!!!

 वहाँ पहुँचें तो सब उनका इंतजार ही कर रहें थे….फिर दोनो बुआ ने मिलकर…नाम रखा वंश…भैया ने बहनों को गले से लगा लिया…सब अच्छे से हो गया…!!!!

घर आये तो नुपुर उदास रहने लगी ….आज शादी के आठ साल बाद भी वो बच्चे के लिए तरस रही थी वो माँ नहीं बन सकती…ये तो पक्का था मम्मी जी ने मायके के बाद अब कही और से भी बच्चा लेने से मना कर दिया…!!!!

 राजीव ने जब रात के बाद सब चले गये तो अपने छोटे भाई से बात की..कि वो उनकी इस कमी को पूरा कर सकता है तो…उसने साफ मना कर दिया कि आपको पता तो है कि हमारे दोनो बच्चे सिजेरियन है और गरिमा को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था तो अब मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता…!!!!




राजीव को लगा कि वो सही कह रहा था….पर उसका मन नहीं माना तो उसने फिर से मम्मी से बात करने कि कोशिश और दोनो भाईयों के बीच जो बात हुई वो भी बताई…अब मम्मी का कहना था कि तुम अपने भाई के बेटों को ही अपना मान लो…अब इस टॉपिक पर और बात नहीं करना चाहती…!!!!

   राजीव ने सोचा समय के साथ नुपुर भी नार्मल हो जायेगी पर नहीं  हमेशा हँसती रहने वाली गुमसुम व उदास रहने लगी वैसे चाहत तो उसकी भी थी पर वो भी घुटकर रह गया था…!!!!

नुपुर का जन्मदिन आने वाला था 

उसने तीन दिन की छुट्टी ले ली व वृदांवन जाने का प्लान बना लिया और पूरी बुकिंग भी कर ली….जब घर पर बताया तो माँ का कहना वही कि क्या करोगे पर आज उसने कि हम कहा जा रहें हैं…!!!!

आज वो दोनो वृदांवन आ गये…अगले दिन नुपुर का जन्मदिन था तो दोनों ने पहले मंदिर में दर्शन कियें फिर राजीव ने कहा कि अब तुम्हारे गिफ्ट की बारी है चलो कार में बैठते हुए नुपुर ने बोला….कौनसा स्पेशल गिफ्ट दे रहें हो जो इतने खुश हो रहे हों…??

अरे तुम चलों तो सही…तभी कार एक एंजियों के सामने रूकी….जिसका नाम “अपना घर” था…नुपुर को समझ आ गया था तो अंदर जाने के पहले ही बोली…मम्मी जी को क्या कहेंगे…??




  मैंने उन्हें भी मना लिया है कि हम किसी अनाथ को अपना नाम देना चाहतें हैं..चलो अब अंदर….जैसे ही अंदर गये आठ महीने की प्यारी सी बच्ची को नुपुर की गोद में दे दिया गया…दोनों ही बच्ची को देखकर रो रहें थे….ये देख वहाँ खड़ें हर किसी आँख में आंसू थे…!!!!

  राजीव बोला मैंने इसका नाम भी सोचा है…नुपुर नहीं नाम मैं रखूँगी दोनों एक साथ बोलें…”चाहत”

हाँ ये हम दोनों की चाहत हैं…!!!!इतने में एक आवाज आई कि हमको बच्ची के साथ आप दोनों का एक 

फोटो लेना है जो हमारे पास रहेगा…जी मुझे भी भेज दीजियेंगा हमारी चाहत के साथ पहली तस्वीर…!!!!

 

चाहत है जो इक बच्चें की….

तो मत किसी से उम्मीद लगाओ..!!!!

बहुत से यतीम बच्चें हैं दुनिया में…

किसी की उम्मीद व आसरा बन जाओ..!!!!

 

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

 

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