हाँ बेटा अब तुझे हमारे सहारे की क्या जरूरत – ममता गुप्ता

” मैने कह दिया ना मुझे किसी की जरूरत नही है ।”

” ना … माँ बाप की औऱ ना ही बहन की … बस मैं खुश हूँ अपने छोटे से परिवार के साथ …!! आप दोंनो अब चाहें कही भी रहो मुझे आप दोनो से कोई मतलब नही है ।।

रोहन ने अपने माता पिता से कहा ।।

” सही है बेटा !! ” अब तुझे हम जैसे बूढे माता पिता से मतलब भी क्या होगा …जब तूने सबकुछ तो अपने नाम करवा लिया …!! हम ही पागल थे , जो तेरे लाड़ प्यार में खुद के भविष्य के बारे में भी नही सोचा ।।

 सोचा था बड़ा होकर तू हमारा सहारा बनेगा, हमे क्या पता कि सहारा बनने की बजाय हमे ही  बेसहारा कर देगा ।

” ये तक नही सोचा कि बुढ़ापे के लिए कुछ तो जमा राशि अपने पास रखते ताकि बुढापा निकल जाता लेकिन तेरे पर भरोसा करके गलती कर दी ।।

कभी सोचा नही था कि खून ही खून से गद्दारी करेगा ।।

आज भी रोहन के कानों में अपने लाचार पिता के शब्द गूंज रहे थे, जिनसे रोहन ने धोखे से सारी जमीन जायदाद अपने नाम कर ली थी।

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रोहन दीनदयाल जी का इकलौता बेटा था , एक बहन थी जिसकी शादी हो चुकी थी । दीनदयाल व शांति जी का सुखी परिवार था , बेटा बेटी की शादी होने के बाद दोनों अपना जीवन सुखी से व्यतीत कर रहे थे ।।

लेकिन कहते है न जिसने किसी के साथ बुरा किया उसका भी कभी न कभी बुरा होता है ।।

जिस धोकाधड़ी से उसने अपने माँ बाप के पैसे अपने पास ले लिए अब कुछ ऐसा ही होने वाला था , उसी पैसों से उसने मिल के अपने एक घनिष्ट मित्र के साथ एक व्यापार शुरू किया , पर उसे क्या पता ये नया व्यापार नही बल्कि उसकी बर्बादी का रास्ता साबित होगा ।।

समय आगे बढ़ने लगा , रोहन का बेटा भी बड़ा हो गया लेकिन दोस्त के साथ शुरू किए व्यापार में उन्हें दिन ब दिन घाटा लगने लगा , बैंक का कर्जा सर चढ़ने लगा । वो ये सोच के ओर कर्ज लेने लगे कि सब ठीक हो जाएगा , व्यापार अच्छा चलेगा पर हुआ इसके विपरीत ।।

वो सर से ले कर पाव तक कर्जे मे डूब गए , इस बुरे हालात में रोहन के साथी ने भी अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए , और वो अपने जिम्मेदारी से हाथ झटकने लगा ।। धीरे धीरे अब रोहन अकेला पड़ने लगा , जिस दोस्त के साथ मिल एक व्यापार शुरू किया आज वही दोस्त मुसीबत में अपना फायदा कर रोहन को छोड चला गया ।

सारा कर्जा सारे नुकसान अकेले रोहन के सर आ पड़े , दिन रात जेल जाने का डर , अपने पीछे अपनी बीवी बच्चो का डर उसे सताने लगा , भगवान से दुआ करने लगा कि हे भगवान इस मुसीबत से निकाल दे बस …!!

रोहन का बेटा अब बड़ा हो चुका था , अपने पिता को चिंता में देख उसने अपने पिता से बात की , सारी बाते समझ ली क्या क्या माजरा है ।। लेकिन बेटा बाप से दो कदम आगे निकला , उसने अपने पिता से कहा , पापा आपने तो अपने कर्म कर लिए , मेरे पास एक इलाज है ।।

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रोहन ने कहा – जल्दी बता बेटा क्या करूँ मैं ?

रोहन का बेटा – पापा अगर कभी आपको जेल जाना पड़े या बैंक आपसे कर्ज वसूली करने आये तो आपके नाम जो भी चीज़े है वो सारी चली जाएगी , ये बंगला , गाड़ी हमारा फार्म हाउस सभी … एक इलाज ये है कि ये सारी चीज़ें आप जल्द से जल्द मेरे नाम कर दीजिए ताकि बैंक इसे सील न कर सके …

व्यापार का नुकसान की हम भरपाई नही कर सकते , पर कम से कम हमारे पास जो है वो तो रहेगा हमारे पास …



भावनाओं में डूब और बेटे के इस विचार पर रोहन ने जल्द ही अमल किया और अपना सब कुछ अपने बेटे के नाम कर दिया ।।

अब रोहन के पास अपना खुद का कुछ नही बचा , तहकीकात के समय जब उसे जेल जाना पड़ा , तब किसी भी दिन रोहन का बेटा मिलने तक नही गया , ना ही किसी तरह से हालचाल लिया ।।

 

कुछ समय बाद रोहन जब जेल से बाहर आया , घर पहुँच देखा तो आँखे फटी रही गई , ये क्या रोहन की बीवी अकेले फटे पुराने कपड़ों में बंगले के बाहर गेट के करीब बैठी थी ।। एक बेसहारा लाचार सी।।

 

रोहन ये देख कुछ समझ न पाया , अपनी बीवी के पास जा के पूछा – ये सब क्या है , और तुम यह इस हाल में कैसे ?

बीवी ने आंसू पोछते हुए कहा , अब क्या बताऊँ किस्मत का पहिया वैसे ही घूम गया जैसे आपने घुमाया था , उनकी जमीन जायदाद अपने नाम कर ली थी ।।घूम गया जैसे आपने घुमाया था , जिस तरह आपने अपने माँ बाप को धोखा दिया उनका सहारा बनने की बजाय उन्हें बेसहारा करके आश्रम में भेज दिया। 

 आज उसी तरह हमारे बेटे ने भी यही किया … यहाँ तक कि वो सब कुछ बेच अपनी प्रेमिका को ले कर दूसरे शहर चला गया जहाँ उसने अपनी नई शुरुआत की ।।

“रोहन को समझ आ गया था कि-जैसा उसने अपने माता पिता के साथ किया आज उसके साथ भी वही हुआ है…!! जैसे को तैसा ही मिलता है।

इसलिए अपने माता पिता से कभी दगा मत कीजिए बल्कि उनका सहारा बनिये ताकि बच्चे आपसे अच्छी सीख ले सकें औऱ भविष्य में बच्चे आपका सहारा बन सकें

दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी बताना जरूर।।

ममता गुप्ता✍️

अलवर राजस्थान

 

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