“गिरगिट” (बदलते चेहरे) – कविता भड़ाना

“बहादुर जरा बाहर बस के ड्राइवर और कंडक्टर भैया को चाय पिला दो” बेटी का 12वा जन्मदिन मनाकर लौटी रीमा ने अपने घर के बावर्ची को आवाज देकर कहा और बस में साथ गए बच्चो को उनके रिटर्न गिफ्ट देकर विदा करने लगी….दो बच्चो को उनके मम्मी पापा अभी लेने नहीं आए तो उन्हें फोन करने के लिए रीमा जैसे ही घर के अंदर आई तो उसे अपनी जेठानी की आवाज सुनाई पड़ी…

“आ गई मैडम जी इतने सारे बच्चों को प्राइवेट बस से ले जाकर बेटी का जन्मदिन मनाकर…पति तो साथ रहता नही पर अकड़ और हुकुम तो देखो कैसे चला रही है…. सास ससुर की भी कहा सुनती है हमेशा अपनी मनमानी करती आई है तभी तो देवर जी अलग रहते है पर बेशर्मी की हद है पति पूछता नही तब भी इतने ठाट बाट से ससुराल में रहती है कोई और औरत होती तो बिना पति के ससुराल में रहने की सोचती भी नही…

जेठानी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर रीमा को कोई हैरानी नहीं हुई….

शहर के प्रतिष्ठित परिवार में दुल्हन बनकर आई थी रीमा, बहुत सुंदर और पढ़ी लिखी, पिता की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी तो मां ने अच्छा घर परिवार देख शादी कम उम्र में ही कर दी की पिता के प्यार से वंचित रीमा को ससुराल में भरपूर प्यार मिलेगा, परंतु शादी की पहली ही रात को रीमा को एक ऐसे कड़वे सच से सामना करना पड़ा जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी ,रीमा ने सुहाग कक्ष में आए अपने पति के जैसे ही पैर छुने चाहे तो वह चिहुंक उठा और तेज आवाज में बोला खबरदार जो मुझे छुआ तो, में बहुत थक गया हूं और अभी सोना चाहता हूं…कहकर सचिन बेड पर करवट बदल कर खराटे मारने लगा…

नई नवेली दुल्हन बनी रीमा जड़ ही हो गई और कुछ भी समझ नही पाई, सारी रात एक कोने में रोते रोते गुजारी और सुबह उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर जब उसकी  जेठानी ने पूछा की सब ठीक तो है ना, तब रीमा ने रात की सारी बात बताई तब जेठानी ने रीमा को दिलासा दी और बताया कि देवर जी अभी शादी नहीं करना चाहते थे इसलिए ऐसा कर रहे होंगे पर तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जायेगा…




अगले दिन सचिन थोड़ा बदला बदला सा लगा और वो रात रीमा की यादगार रात बन गई , पति का प्यार पा कर पिछली रात की सारी कड़वाहट प्यार के मीठे पलो में बह गई और सुंदर भविष्य की कल्पना में खो कर रिया बड़े सुकून से उस रात सोई …

वैसे तो सब कुछ ठीक था पर जाने क्यों कई बार सचिन की हरकते कुछ अजीबो गरीब सी रहती कई बार दो तीन दिन के लिए बिना बताए चला जाता और फोन करो कुछ पूछो तो कहता की जरूरी काम था इसलिए आना पड़ा… रीमा भी नई नई आई थी तो वो भी सास, जेठानी के साथ घर गृहस्थी में ध्यान देने लगी, कुछ दिनों बाद ही जब उसने खुशखबरी सुनाई तो सभी खुश हुए सचिन भी बाप बनने की खबर सुनकर बहुत खुश हुआ, अब वह जादातर रीमा के साथ समय बिताता… 

एक रात रीमा की आंख खुली तो देखा सचिन उसके पेट पर हाथ रखकर कोई मंत्र बुदबुदा रहा था और साथ ही कोई लेप भी पूरे पेट पर मल रहा था, रीमा को कुछ भी सही नही लग रहा था और वह डर भी बहुत गई थी, जब उसने पूछना चाहा तो सचिन की लाल आंखे देख चुप रह गई…

रीमा ने ये बात अपनी सास और जेठानी से कही तो दोनो ने बताया कि सचिन के एक गुरु है जिन्हे वह बहुत मानता है और उन्ही के कहने पर बच्चे की सलामती के लिए मंत्र जाप करता होगा…

 खैर तीन महीने बाद चेकअप के लिए रीमा के साथ आए सचिन ने पैसे और रुतबे के जोर पर भूर्ण लिंग पता कराया तो पता चला कि गर्भ में लड़की है , ये सुनकर सचिन के हाथ पैर ठंडे हो गए और बैचेन हो गया उसने रीमा को बोला की ये गर्भ गिरवा दो मुझे ये लड़की नही चाहिए… 

 रीमा ने गुस्से से कहा की आप अपनी पहली संतान को मारने के लिए कैसे कह सकते हो, इतने रहीस खानदान को क्या एक कन्या का पालन पोषण भी भारी है….में मेरी औलाद को जन्म देकर रहूंगी कहकर रीना क्लिनिक से भाग निकली….




दरअसल सचिन एक मानसिक विकृति का शिकार था, जिसके बारे में सचिन के घर वालो को सब पता था और वह  किसी ढोंगी बाबा को अपना गुरु मानता था .. मां बाप ने बहुत समझाया पर उस बाबा के अलावा सचिन किसी की भी बात नही मानता था, उसी बाबा ने सचिन के दिमाग में ये बात डाल दी थी की अगर संतान लड़का हुआ तो तुम्हारे लिए बहुत भाग्यवान होगा और अगर लड़की हुई तो तुम्हारा सर्वनाश कर देगी , संतान लड़का ही हो इसलिए बाबा के बताए सारे मंत्र, लेप और जाने क्या क्या उपाय करता रहा और उसी बाबा के कहने पर शादी की पहली रात को रीमा को छूना वर्जित रखा… सास ससुर ने रीमा से कहा कि सचिन की बात मान लो और जेठानी ने भी ये कहकर पल्ला झाड़ लिया की तुम्हारा आपसी मामला है…. मां को ये बात बताई तो उन्होंने सचिन को समझाने की कोशिश की पर सब बेकार… बल्कि सब रीमा को अब परेशान भी करने लगे थे… बेटे के प्यार में अंधे सास ससुर और जेठ जेठानी से जब कोई उम्मीद नजर नहीं आई तब रीमा ने अपने और अपनी बेटी के लिए एक फैसला लिया और पुलिस स्टेशन में सारी बाते बताई और एफआईआर भी लिखवा दी की आगे कभी भी मेरे या मेरी होने वाली संतान को कोई भी हानि होती है तो उसके जिम्मेवार मेरे ससुराल वाले होंगे… पुलिस के डर से अब रीमा को सबने परेशान करना छोड़ दिया था पर उससे कोई नाता भी नही रखा…

समय आने पर रीमा ने एक सुंदर बेटी को जन्म दिया पर किसी ने भी उस नन्ही जान को कभी प्यार दुलार नही किया एक ही छत के नीचे सारा परिवार रहता है पर रीमा की बेटी परिवार और पिता के प्यार को तरसती ही रही….आज भी रीमा उसी घर मैं शान से रह रही है, 

सचिन को बेटी के रूप में अपना काल नजर आता है इसलिए उसने अलग घर लेकर रहना शुरू कर दिया 

परंतु रीमा अपनी बेटी की ढाल बनी उसकी सभी इच्छाएं पूरी करती है और दुनिया की बातो पर ध्यान ना देकर अपनी बेटी की परवरिश बहुत ही शानदार तरीके से कर रही है…. सब चाहते है की  तलाक हो जाए तो छुटकारा मिल जाए पर रीमा ने भी कह दिया  की मेरी और मेरी बेटी की जिंदगी खराब की है तुम सब ने, छुटकारा तो कभी नही दूंगी, रुपए पैसे, घर, नौकर गाड़ी सब का सुख लूंगी और बेटी को लायक बनाऊंगी….

स्वरचित

#औलाद

कविता भड़ाना

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