माधुरी के पति के आफिस में एक क्लर्क अजय था। उसका किसी बात पर अपने साहब से वाद-विवाद हो गया था। साहब ने अपने एम डी से उसकी शिकायत की।
उन्होंने उसे नौकरी से निकाल दिया ।माधुरी ने अपनी बेटी को बताया तो बेटी बहुत दुखी हुई। पर हम कर ही क्या सकते हैं,? मां यदि कोई मदद अंकल मांगे तो कर दीजियेगा। अच्छा बेटी। मां ने कहा।
एक दिन अजय माधुरी के घर आया और दुखी हो कर बोला। मैडम, मैंने कोर्ट में अपना केस लगा दिया है प्लीज़ आप मुझे दस हजार रुपए वकील को देने के लिए दे दीजिए। माधुरी ने अपनी बेटी से बताया तो उसने कहा कि मम्मी,आप दे दो, जितना पैसा लगे,आपके पास नहीं हो तो मैं दे दूंगी पर मना मत करना।
माधुरी ने उसे पैसे दे दिए। कुछ महीने बाद अजय फिर से दस हजार रुपए मांगने लगा, मैं केस जीत जाऊंगा तो आपके पैसे लौटा दूंगा। फिर से माधुरी ने पैसे दे दिए। बेचारा गरीब है, परिवार को भी तो पालना है।
बस हमेशा वो कहता रहा, अगले महीने आखिरी तारीख है,मेरा फैसला हो जाएगा सबने मेरा पक्ष लेकर गवाही दी है।
कहते करते कुछ महीनों बाद वो फिर दस हजार रुपए ले गया। माधुरी ने कहा कब तुम्हारी नौकरी बहाल होगी तो बोला कि बस अब परसों ही फैसला मेरे पक्ष में हो जाएगा। वकील साहब कह रहे थे। मैडम जी, मुझे बहुत सारा एरियर्स का पैसा मिलेगा तो मैं सबसे पहले आप का तीस हजार रुपए वापस करूंगा। वो खुशी खुशी चला गया।
एक महीने बाद पता चला कि वह केस हार गया है। अजय चुपचाप अपने घर में बैठ गया था। बाद में उसने कहीं प्रायवेट नौकरी पकड़ ली। कुछ महीने तो माधुरी चुप रही फिर वो अपना पैसा मांगने लगी। एक बार में ना सही तो किश्तों में दे दो।
अजय ने बड़ी ही ढिठाई से कहा, अरे मैडम जी,केस जीत गया होता, नौकरी मिल जाती तब ना आपका पैसा लौटाता, और वैसे भी बिटिया ने तो कहा था ना कि अंकल को मेरी तरफ से पैसे दे देना। तो आपका रुपया तो बेटी देगी ना,उसी से मांगिए।
माधुरी ने सुना तो सन्न रह गई।
उसने पैसे वापस नहीं किया।
अब माधुरी ने कान पकड़ लिया कि गिन गिन कर पैर रखूंगी। खूब सावधानी बरतना है। कभी किसी की मदद नहीं करना है।
पर क्या हम सच में ऐसा कर सकते हैं? माधुरी तो हर बार कान पकड़ कर कहती है,गिन गिन कर पैर रखूंगी,पर जब भी कोई चरौरी, विनती करता है, पैसे दे देती है और हर बार धोखा खा जाती है। शायद उसके सरल स्वभाव का लोग गलत फायदा उठा लेते हैं।
माधुरी सोचती है,ना जाने कौन सच्चा है और कौन झूठा।
इन धोखेबाजों के चक्कर में जरूरतमंद व्यक्ति की भी सहायता करने से हम हिचकिचाते हैं। आपका क्या ख्याल है ?
सुषमा यादव पेरिस से