घरेलू सपने – अनुपमा

रचना उठो चाय पी लो आकाश ने रचना को आवाज दी तो रचना ने आंख खोल के देखा सामने आकाश हाथ मैं चाय और बिस्कुट की ट्रे लेकर खड़ा था ,रचना बड़े आश्चर्य से आकाश की तरफ देखा तो आकाश मुस्कराने लगा और उसके गाल पर प्यार से चपत लगा दी और कहा जल्दी से चाय पी लो और उठ जाओ नहाने का पानी गर्म कर दिया है तुम्हारा ।

हैं अभी क्या कहा आकाश ने ? रचना का सर ही घूम गया उसे तो पक्का यकीन हो गया वो सपना देख रही है । चाय पी कर वो अपना बिस्तर साफ करने लगी तो उसने देखा की उसके पसंदीदा रंग की साड़ी प्रेस करके हैंगर मैं चेयर पर रखी थी , रचना को लग रहा था की वो कोई सपना देख रही है वो नहा कर बाहर निकली और तैयार होकर जैसे ही उसने खुद को आईने मैं देखा तो खुद को पहचान ही नही पाई ,कितने दिनों बाद वो कोई दिन जी रही थी तभी आकाश ने पीछे से आकर उसके बाल खोल दिए ,

रचना के बाल लंबे घने थे पर घर के काम मैं व्यस्त रहने के कारण वो कभी उन्हे संवार ही नही पाती थी हमेशा रोल बना कर क्लचर से बांध लेती थी ,रचना बाहर आई तो आज घर मैं किसी ने कोई सामान नहीं फैलाया था ना ही उसे किसी के गंदे कपड़े थे , किचन मैं आकाश और उसकी बेटी रोशनी ने मिल कर टिफिन तैयार किया और सब साफ भी कर दिया था ,रचना ने आकाश और रोशनी से पूछा की क्या हो रहा है

 आज कुछ खास है क्या अरे मैं कर लूंगी रोज का काम ही तो है और रोज करती ही हूं , सुबह उठ कर चाय टिफिन बनाना , नहाने का पानी गर्म करना ,तुम और आकाश जो सारे घर मैं कपड़े फैला जाते हो इनको समेटना और रोशनी तुम ,तुमको तो हर सामान हाथ मैं चाहिए होता है , 

सामने रखी चीज भी नही दिखाई देती तुमको ,रोज तो तुम लोगो को कहती रहती हूं की थोड़ा काम खुद भी किया करो अरे बस इतना ही कर लो की फैलाओ मत उतने से ही बहुत मदद हो जाती है पर तुम लोग सुनते ही कहां हो , पर आज तो सचमुच बहुत अच्छा लग रहा है की तुम दोनो सुधार गए हो ।

मम्मी मम्मी क्या हुआ है अभी तक सो रही हो ,देर हो रही है मुझे और मेरे हेडफोन भी नही मिल रहे …. रचना हड़बड़ा कर उठ बैठती है और सर पकड़ लेती है की वो तो सचमुच एक सपना ही था असल दुनिया मैं  उसकी वही हालत थी और रोशनी और आकाश ने घर सर पर उठा रखा था ।

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