घर में पत्नी भक्त, बाहर आशिक आवारा – सुषमा यादव

शिवानी के पड़ोस में एक प्यारा सा परिवार रहता था, जिसमें पति, पत्नी और दो प्यारे से छोटे बेटे थे। शिवानी देखकर बहुत खुश थी,कि मौली का पति अपनी पत्नी को बहुत मानता था,उसका बड़ा ख्याल रखता , आफिस से आने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चों को घुमाने जरूर ले जाता, पत्नी को आये दिन तोहफ़े दिया करता, पिक्चर ले जाता,

सागर अपनी पत्नी मौली के घरेलू कामों में भी मदद करता,

शिवानी को मौली खूब ख़ुश हो कर सब बातें बताती, अपने उपहार दिखाती, ये सब देख कर शिवानी सोचती, इनकी जिंदगी कितनी खुशहाल है,मौली कितनी खुशकिस्मत हैं कि उसे बेहद प्यार करने वाला पति मिला,कितना चहकती रहती है हरदम,

एक दिन उसने अपने पति से कहा,, सागर अपनी पत्नी का कितना ध्यान रखते हैं, और सब बातें बताई, उसके पति हंसते हुए बोले, तुम घर के अंदर का नजारा देख रही हो, बाहर वो क्या गुल खिलाता है,ना तुम सोच सकती हो और ना ही उसकी पत्नी। अपने अवगुणों को छुपाने के लिए उसने एक आदर्श पति का मुखौटा ओढ़ लिया है, ताकि पत्नी खुश रहे और वो बाहर अपनी मनमानी कर सके,

गुस्से में शिवानी बोली,आप तो मुझे कभी कुछ नहीं देते,ना बाहर ले जाते हैं, कभी एक कप चाय भी बनाई है आपने, अपनी कमी छुपाने के लिए आप सागर को खराब बोल रहे हैं, और वह अपने आंसूओं को पोंछते हुए वहां से चली गई,

कुछ दिनों से शिवानी देख रही थी कि हमेशा चहकने वाली मौली गुमसुम और उदास रहने लगी थी, पूछने पर बोलती कि, नहीं भाभी, कुछ नहीं,बस थोड़ी तबियत ठीक नहीं है। अब वो घर के अंदर ही रहती।




एक दिन सागर अपने दोनों बच्चों को लेकर शिवानी के पास घबराते हुए आये और बोले, भाभी, थोड़ा बच्चों को संभालिए,मौली घर छोड़कर पता नहीं कहां चली गई है, मैं ढूंढने जा रहा हूं,

शिवानी सोच में पड़ गई, इतनी सुबह,, ऐसा क्या हो गया,सब तो उन्हें आदर्श परिवार की मिसाल देते थे, शिवानी बहुत चिंतित हो गई,हे भगवान, रक्षा करना,

करीब एक घंटे बाद सागर आया और बिना कुछ बोले अपने बच्चों को ले गया, उसके पीछे पीछे शिवानी भी उसके घर गई, देखा कि मौली बिस्तर पर लेटी हिचक हिचक कर रो रही थी, उसने सागर से पूछा, कहां मिली,रेल की पटरी पर, यदि थोड़ी देर हो जाती तो,,,,, और वह बाहर चले गए,

शिवानी ने उसके बालों को सहलाते हुए कहा,, इतना कठोर कदम तुमने कैसे उठा लिया, अपने बच्चों का मुंह भी नहीं देखा, ऐसा क्या हो गया था,

मौली शिवानी के गले लग कर खूब रोने लगी, भाभी, ये देखिए, मेरे गाल पर थप्पड़ के निशान, मेरे कान पर भी इतनी जोर से मारा है कि मेरा कान शून्य हो गया है और बहुत तेज दर्द हो रहा है,

कल रात बारह बजे ये अपने एक दोस्त के साथ खूब शराब पीकर आये थे, दोनों झूम रहे थे,अनाप शनाप बक रहे थे, मैंने दोनों को खूब डांटा और उस दोस्त से कहा, खबरदार मेरे घर आज के बाद आना नहीं, इतना सुनते ही इन्होंने मुझे मारा, मेरे दोस्त की बेइज्जती करती है, आयेगा वो रोज,तू क्या कर लेगी,

भाभी और भी बहुत कुछ सुना है इनके बारे में,, मेरे पास अब मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है,

अवाक हो कर शिवानी सब सुनती रही, और समझाया, जिंदगी से दूर भागना ही हल नहीं है,उसका सामना करो अपने अधिकारों के लिए लड़ो, ये घर तुम्हारा भी है,, सुधार करो,शायद सुधर जाएं।

कुछ दिनों बाद सागर के आफिस से एक व्यक्ति आया और शिवानी के पति से बातचीत करते हुए बोला,साहब क्या बताऊं, वो सागर साहब के बारे में तो आप जानते ही हैं,अब तो सभी हदें उन्होंने पार कर दी, उनसे तो रेजा भी नहीं बच सकती, बहुत ही घटिया इंसान हैं पत्नी इतनी खूबसूरत और वो,,छि छि, मुझे तो घिन आती है,

शिवानी परदे के पीछे चाय लेकर खड़ी थी,सब सुन लिया उसने, उसके मन में सागर के प्रति घृणा भर गई,

उसने सोचा, सही प्यार करने वाला तो उसका पति है जो दिखावा नहीं करता,हर पर उसका ख्याल रखता है, वो अपने पति के गले लग कर बोली, मुझे आप पर गर्व है, अक्सर जो दिखाई देता है वो सच नहीं होता है,

एक दिन मौली के बच्चों के जन्मदिन पर शिवानी भी उनके घर गई,सब व्यस्त थे, शिवानी रसोई में सबके लिए नाश्ता लगा रही थी,इतने में सागर आया और उसका हाथ पकड़ कर बोला, भाभी आप बहुत सुंदर लग रही हैं आज, शिवानी हल्के से मुस्कुराई और नजर इधर उधर दौड़ाया,पास में ही एक स्केल पड़ी थी,जोर से खींच कर सागर के हाथ में मारा,दांत पीसती हुई बोली, मुझे तुमने क्या समझ लिया, मैं तुम्हारे बारे में सब जान गई हूं, घर में पत्नी भक्त बनते हो और बाहर आवारागर्दी करते हो,सब आशिकी निकल जाती यदि मौली उस दिन ट्रेन के नीचे आ जाती,जेल की चक्की पीसते, समझे,अब भी सुधर नहीं सके।

तुमने तो अपने आदर्श पति का चेहरा लगा रखा है, हकीकत में तो आवारा आशिक का मुखौटा लगाकर बाहर आशिकी करते घूम रहे हो,

शर्म से सागर की आंखें झुक गई,

सुषमा यादव प्रतापगढ़ उ प्र

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

# दोहरे_चेहरे

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!